पूरे विश्व का एक ही नियम है. छोटी मछली को खा जाओ. उत्तर प्रदेश निवासी स्वतंत्र विजय सिंह ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर देशभर में कुछ वर्षों के दौरान हुए दंगो की पृष्ठभूमि पर मुस्लिम लड़की व हिंदू लड़के की प्रेमी कहानी वाली फिल्म ‘‘शोरगुल’’ का निर्माण किया है, जो कि 24 जून को पूरे देश के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली थी, लेकिन सिनेमाघर मालिकों पर उत्तर प्रदेश राज्य प्रशासन द्वारा बनाए गए दबाव के चलते फिल्म का प्रदर्शन रूक गया. हालात ऐसे हो गए हैं कि निर्माताओं को मजबूरन अपनी फिल्म ‘‘शोरगुल’’का प्रदर्शन एक जुलाई तक के लिए टालना पड़ा है.

फिल्म का प्रदर्शन टालने की मजबूरी स्वयं स्वतंत्र विजय सिंह ने मीडिया को बयान जारी कर बतायी है. मीडिया को जारी किए गए बयान में स्वतंत्र विजय सिंह ने कहा है-‘‘हमें अपनी फिल्म ‘शोरगुल’ का प्रदर्शन एक जुलाई तक टालने के लिए मजबूर किया गया. कई वितरक व सिनेमाघरों के मालिक इस फिल्म के प्रदर्शन को लेकर असमंजस तथा फिल्म ‘शोरगुल’ को प्रदर्शित करने को लेकर  तैयार नही हो रहे हैं. जबकि हमने सभी सिनेमाघर मालिकों को अपनी तरफ से आश्वस्त करने का प्रयास किया कि हमारी फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे कोई बवाल हो. पर वह फिल्म को प्रदर्शित न करने के अपने निर्णय पर अटल हैं. हम पहली बार निर्माता बने हैं और हमें कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही है. हम खुद को अपाहिज महसूस कर रहे हैं. हमारी फिल्म मानवता से प्रेरित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ बनायी गयी रचनात्मक प्रस्तुति है. हमारी फिल्म में आम इंसानों के लिए सशक्त संदेश हैं. हम हर किसी से समर्थन की चाह रखते हैं, जिससे एक जुलाई को हमारी फिल्म प्रदर्शित हो सके.’’

फिल्म ‘‘शोरगुल’’ के निर्माता के इस बयान में एक कमजोर व छोटे बजट की फिल्म निर्माता की बेबसी नजर आती है. वह छोटा निर्माता है, इसलिए पूरा बौलीवुड चुप है. अब बौलीवुड के अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाले फिल्मकारों को भी अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात नजर नहीं आ रहा.

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