नाना के गुस्से से सारा देश वाकिफ है . दरअसल एक चैनल पर इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह कहा कि प्रत्यूषा की मौत बेहद ही दुर्भाग्यपुर्ण है लेकिन किसानों की मौत को नजरअंदाज कर आए दिन प्रत्यूषा मामले को हाइलाइट करना क्या यह सही है? जो किसान आए दिन आत्महत्या कर रहे हैं क्या उनकी जि‍ंदगी कोई मायने नहीं रखती?

नाना पाटेकर की इस बात से सरोकार रखने वाले एक फिल्ममेकर जो कि नाना पाटेकर के साथ काम कर चुके हैं उन्होंने कहा, 'नाना राष्ट्रीय मुद्दों पर इमोशनल हो जाते हैं. उन्हें सतर्क रहना चाहिए. उनकी आवाज बहुत दूर तक जाएगी.'

नाना किसानों की मदद के लिए एक 'नाम' फाउंडेशन चलाते हैं. वे किसानों से कहते हैं कि दुखी होकर सुसाइड न करें, बल्कि उनसे मिले. वे उनकी मदद करेंगे. नाना पाटेकर हर किसान को यह संदेश देते हैं कि वह आत्महत्या कर अपनी जान ना गंवाएं बल्कि मदद के लिए उनसे मिलें.

आपको बता दें कि साल 2015 में गरीबी से जूझ कर आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या करीब 3,228 थी. इसके अलावा 4 मार्च, 2016 को राज्य सभा में इस बारे में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर दिन करीब 9 किसान आत्महत्या कर रहे हैं.

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