सालों बाद फिल्म ‘शाहिद’ से निर्देशन के मैदान में उतरे हंसल मेहता इन दिनों सैंसर बोर्ड से दोदो हाथ करने के मूड में हैं. हंसल ने सैंसर बोर्ड पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन की फिल्म ‘शाहिद’ को ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया गया, जबकि उत्तेजक, किसिंग और हिंसक दृश्यों से भरपूर ‘...राम-लीला’ और ‘मद्रास कैफे’ को यू/ए सर्टिफिकेट दिया गया.

हंसल मेहता कहते हैं कि वे 2013 में प्रामाणिक की गई फिल्मों पर आरटीआई दायर करेंगे, ताकि सैंसर बोर्ड के दोहरे मापदंडों को उजागर किया जा सके. वैसे सैंसर बोर्ड पर भेदभाव वाले आरोप पहले भी लगते रहे हैं.

 

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