फिल्मों की 2 तरह की श्रेणियां बनती जा रही हैं. पहली जो मेडिकोर विषय पर बनी आम मसाला फिल्में हैं, जिन्हें मास सिनेमा भी कहते हैं, आसानी से रिलीज हो जाती हैं और करोड़ों कमा डालती हैं. दूसरी श्रेणी में आर्ट या कहें औफबीट फिल्में आती हैं जो आर्थिक तंगी के बावजूद बनती हैं. ऐसी फिल्में बमुश्किल रिलीज होती हैं लेकिन अवार्ड खूब बटोरती हैं. हाल में फिल्म ‘बेयरफुट टू गोआ’ भी इसी श्रेणी में शामिल हो गई. मजेदार बात यह है कि इसे क्राउड फंडिंग यानी लोगों से चंदा मांग कर रिलीज किया गया है. अच्छी बात यह है कि सिनेमा के शौकीन ऐसी फिल्मों को प्रोत्साहित करने के लिए सिर्फ जबान ही नहीं, बल्कि अपनी जेबें भी ढीली कर रहे हैं.
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