फिल्म ‘हीरो’ से हिंदी सिनेमा जगत में चर्चित होने वाले अभिनेता जैकी श्रौफ किसी परिचय के मोहताज नहीं. हालांकि उनकी पहली फिल्म ‘स्वामी दादा’ थी, पर फिल्म ‘हीरो’ ने उन्हें रियल हीरो बना दिया, जिसके बाद से उन्हें पीछे मुडकर देखना नहीं पड़ा. उन्हें लोग प्यार से ‘जग्गू दादा’ भी कहते हैं. उन्होंने हर तरह की फिल्में की और अपनी एक अलग पहचान बनायीं. उन्होंने आज तक करीब 9 भाषाओँ में 175 से अधिक फिल्में की हैं. मिलनसार और हंसमुख स्वभाव के लिए वे आज भी सभी निर्देशकों के प्रिय पात्र रहे हैं और करीब सभी बड़े निर्देशकों और कलाकारों के साथ उन्होंने काम किया है.

हीरो, कर्मा, रामलखन, परिंदा, सौदागर, किंग अंकल, अग्निसाक्षी, भूत अंकल, देवदास, लज्जा आदि ऐसी कई फिल्में हैं, जो बौक्स औफिस पर हिट रहीं और उन्हें कई पुरस्कार भी मिले. वे फिल्मों को दिल से करते हैं और जो भी चरित्र उन्हें मिलता है, उसे सजीव कर देते हैं. उन्हें आज भी हर कहानी और हर किरदार नया और चुनौतीपूर्ण लगता है. वे फिल्मों की कहानी और चरित्र पर हमेशा ध्यान देते हैं और कोशिश ये करते हैं कि दर्शकों को कुछ नया दे सकें. उनका बेटा अभिनेता टाइगर श्रौफ है, जबकि उनकी बेटी कृष्णा श्रौफ एक टीचर, प्रोड्यूसर और सहायक निर्देशक भी है. अभी जैकी ने एक बड़ी शार्ट फिल्म ‘द प्लेबौय मि. शाहनी’ में प्ले बौय की मुख्य भूमिका निभाई है. उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.

इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

इस फिल्म में एक पुरुष और महिला के बीच के संबंधो को दिखाने की कोशिश की गयी है. जिसमें यह बताया गया है कि कैसे वे एक दूसरे को समझने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. प्यार, पैसा और शोहरत  कैसे किसी की जिंदगी को बना और बिगाड़ सकती है और इसकी जरुरत कहां तक है. इसके अलावा एक छोटी सी बात प्यार की परिभाषा को इस फिल्म में बहुत चंद समय में कही गयी है. ये अवधारणा मेरे लिए नयी थी और मैंने इसे स्वीकार किया. शोर्ट फिल्म मुझे इसलिए भी पसंद है कि कम समय में एक बड़ी बात कहने का मौका मिलता है.

आपने इस फिल्म में प्ले बौय की भूमिका निभाई है, क्या रियल लाइफ में भी इस तरीके के प्रसंग आपकी जिंदगी में आए?

मेरी पत्नी आयशा पहले मेरी प्रेमिका हुआ करती थी. वह बहुत छोटी थी जब मैं उनसे मिला और बातचीत शुरू की. इससे पहले जब मैं स्कूल में था तब एक लड़की से मुझे प्यार हुआ था, लेकिन तब जेब में पैसे नहीं थे. इसलिए रिश्ता टूट गया. दूसरी ऐसी थी, जिसे मैं बहुत प्यार करता था, उसने कहा था कि मैं कमाकर तुम्हें सम्भालुंगी, मुझे लगा यह ठीक है, पर पता चला कि वह 11 वीं पास है. फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था और सोचा था कि मैं कुछ पोस्टर या काम कर परिवार चला लूंगा, लेकिन संभव न हुआ. तीसरी ऐसी मिली थी, जो मुझे अमेरिका ले जाकर पिता का व्यवसाय सम्हालने को कह रही थी. पर उस समय मेरे माता-पिता की उम्र हो चुकी थी और मैं उन्हें अपने साथ नहीं ले जाना चाहता था और वह भी रिश्ता टूट गया. इसके बाद मुझे एक दिन आयशा बस में लटकती हुई दिखी. पहले तो देखकर ‘उफ’, फिर प्यार हुआ और वहीं से हमारी कहानी शुरू हुई. पहले तो मैं उनके घर में रहा और उनका साथ दिया. फिर आयशा की मां ने मुझे अलग घर लेकर दिया और मेरी शादी आयशा से करायी और आज मेरी जिंदगी यहां तक पहुंची है. आयशा ने मुझे हमेशा सहयोग दिया है, क्योंकि शादी के बाद सबकुछ बदल जाता है. बच्चे होने के बाद और भी बदलाव आता है. आयशा ने हमेशा मुझपर विश्वास रखा, दोनों बच्चो को अच्छी परवरिश दी. तभी मैं महीनो दूर रहकर काम कर सका. मैंने माधुरी दीक्षित से लेकर सभी बड़ी हीरोइनों के साथ काम किया, लेकिन उसने कभी मुझे कुछ भला-बुरा नहीं कहा. आज भी मैं उसे बहुत प्यार और मान देता हूं.

अपनी लम्बी जर्नी से आप कितने खुश हैं और आप अभी भी किसी फिल्म में आने पर अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं, ये कैसे संभव होता है?

मैंने पहले बहुत संघर्ष किया एक अच्छी फिल्म के लिए, लेकिन फिल्म ‘हीरो’ के हिट होने के बाद मेरी जिंदगी बदल गयी. इसके बाद इंडस्ट्री में अपने आप को बनाये रखने के लिए बहुत डाउन टू अर्थ होना पड़ता है. टेक्निशियन से लेकर निर्माता निर्देशक सभी के साथ एक अच्छी बोन्डिंग रखनी पड़ती है. इसके लिए आपकी बौडी लेंग्वेज से लेकर बातचीत, आवाज आदि सारी बातों पर ध्यान देना पड़ता है. ये हर क्षेत्र में लागू होता है चाहे आप लेखक हो या कहानीकार, आगे वही बढ़ता है, जिसे किसी दूसरे व्यक्ति को समझने की समझ हो.

क्या कुछ मलाल रह गया है?

मैं अधिक नहीं सोचता, जो कहानी मेरे दिल को छूए उसे कर लेता हूं. इसके अलावा कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मेरी मदद की जरुरत है, उसे अवश्य करता हूं. कई बार तो मैंने किसी दोस्त के फिल्म में भी काम किया है, ताकि वह आगे बढ़ सके. इसके अलावा मैं अपनी भावनाओं, पैसे, बैनर और अच्छी स्क्रिप्ट के लिए काम करता हूं.

अबतक की फिल्मों में कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

फिल्म ‘किंग अंकल’ मेरे दिल के बहुत करीब है, इसमें ‘गर्ल चाइल्ड एडाप्शन’ पर कहानी थी. जिसे करने में मुझे बहुत अच्छा लगा था.

आपके बच्चे आपके काम से कितने प्रभावित हैं?

मेरे बच्चे मेरे काम से बहुत प्रभावित हैं और इसका श्रेय मेरी पत्नी और मेरी मां को जाता है, क्योंकि मैं तो काम पर था और इस दौरान उन दोनों ने बच्चो की पूरी देखभाल की है.

आपकी फिटनेस का राज क्या है?

मैं रोज 12 घंटा काम करता हूं, जिसमें 5 घंटा खड़े रहना पड़ता है. इससे मेरी फिटनेस बनी रहती है.

क्या कुछ सामाजिक काम करना चाहते हैं?

मैं ‘थैलेसेमिया’ नामक बीमारी के बारें में लोगों की जागरूकता को बढ़ाना चाहता हूं. इस बीमारी में हर 15 दिन बाद खून बदलना पड़ता है. ये बहुत कठिन है. इतनी छोटी उम्र में बच्चे का नस नहीं मिलता. इसके लिए शादी से पहले पति-पत्नी को अपने खून की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए, ताकि इस रोग से बच्चा मुक्ति पा सकें. इसके अलावा कोई भी सामाजिक काम के लिए मैं हमेशा तैयार रहता हूं.

आगे अभी कौन सी फिल्म है?

मेरी अगली फिल्म ‘प्रस्थानम’ और ‘भारत’ है. इसके अलावा वेब सीरीज और तमिल फिल्म भी कर रहा हूं.

इंडस्ट्री में आये बदलाव को कैसे देखते हैं?

बदला बहुत कुछ है, पर भावनाएं नहीं बदली हैं. लोग जज्बाती हैं और जज्बाती ही रहेंगे. इसके अलावा थिएटर भी अधिक खुल गए हैं और फिल्मों को बनाने की तकनीक बहुत बदली है. आजकल लोग किसी दूसरे के बारें में बहुत सोचते हैं. मेरी सलाह है कि वे किसी के बारें में सोचना बंद करें और अपने बारें में अधिक सोचे. हर रोज ब्रश करते हुए व्यक्ति अगर अपने आपको आईने में देख लें, तो समझ आयेगा कि हम कितने पानी में है.

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