सामाजिक सरोकार के पैरवीकार माने जाने वाले फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने 2006 में ‘‘रंग दे बसंती’’ जैसी फिल्म बनाकर हलचल मचा दी थी. उसके बाद से वह लगातार सामाजिक मुद्दों को उकेरने वाली फिल्में ही बनाते रहे हैं. अब जबकि उनकी फिल्म ‘‘रंग दे बसंती’’ के रिलीज को दस साल पूरे हो गए हैं, तो वह सामाजिक चेतना की बात को परे रखकर प्रेम कहानी वाली फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ लेकर आ रहे हैं. जिसमें अनिल कपूर का बेटा और सोनम कपूर का भाई हर्षवर्धन कपूर हीरो है. तो क्या राकेश ओम प्रकाश मेहरा की सोच में बदलाव का यह परिणाम है?

वैसे फिल्मकार मेहरा खुद इसे सोच का बदलाव नहीं मानते हैं. वह कहते हैं-‘‘मैंने हमेशा अपनी हर फिल्म में किसी न किसी सवाल या मुद्दे का जवाब तलाशने की कोशिश की. मेरी फिल्में ‘रंग दे बसंती’, ‘दिल्ली 6’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ ’त्रियोलाजी थी. तीन फिल्मों की श्रृंखला थी. इन तीनों में मैं कुछ खोज रहा था, जिसका जवाब मुझे मिला. ‘रंग दे बसंती’ में करप्शन के मुद्दे को लेकर, युवा बैठकर सरकार को कोसने की बजाय खुद सड़क पर निकलता है. इसमें यह बात उभरी थी कि सिर्फ बैठे न रहे, मुद्दे हल भी करे. ‘दिल्ली 6’ में जांत पांत और हिंदू मुस्लिम को लेकर जो असहिष्णुता की बात हो रही थी, उसका आइना दिखाने का मौका मिला. ‘भाग मिल्खा भाग’में मुझे यह जवाब मिला कि असली लड़ाई हमारी अपनी आंतरिक है. हमें अपने आपको बदलना व उठाना है. यदि हम सभी इस बात को समझकर खुद को बदलने लगें, तो सब कुछ संभव है. अब मैं अपनी नई फिल्म ‘मिर्जिया’ में प्यार के मायने क्या हैं, उसे तलाश रहा हॅूं. इस फिल्म से मैं प्रेम को लेकर लोगो की सोच व समझ में आए बदलाव को समझने का प्रयास कर रहा हूं. प्रेम का भी समाज से गहरा संबंध है. तो मैं आज भी समाज व देश से जुड़ी बात ही करने जा रहा हूं.’’

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