हिंदी फिल्म ‘सांवरिया’ से ऐक्टिंग के क्षेत्र में कदम रखने वाले रणबीर कपूर ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत एक असिस्टैंट डायरैक्टर के रूप में डायरैक्टर संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘ब्लैक’ के साथ की थी. फिल्म ‘ब्लैक’ के रिलीज होने के तुरंत बाद संजय लीला भंसाली ने उन्हें अपनी फिल्म ‘सांवरिया’ में सोनम कपूर के साथ ऐक्टिंग करने का मौका दिया था. वह फिल्म बौक्स औफिस पर हिट नहीं थी, पर दर्शकों ने रणबीर कपूर के काम की तारीफ की थी.

इस के बाद रणबीर कपूर फिल्म ‘बचना ऐ हसीनो’ में दिखे. यहीं से उन के और दीपिका पादुकोण के बीच रोमांस की खबरें उछली थीं. यहां तक कि दीपिका ने रणबीर के नाम का टैटू तक अपनी गरदन पर गुदवा डाला था. पर इन दोनों के बीच की कैमिस्ट्री ज्यादा दिनों तक नहीं चली और इस रिश्ते का अंत हो गया. रणबीर कपूर ने हमेशा अपनेआप को अलगअलग किरदारों में फिल्मी परदे पर उतारा. कुछ फिल्में चलीं, तो कुछ नहीं चलीं, पर दर्शक हमेशा उन के साथ रहे.

एक इंटरव्यू में रणबीर कपूर ने कहा था कि उन्हें अभी भी शादी के लिए एक सच्चे प्यार की तलाश है. कैटरीना कैफ के साथ वे केवल दोस्ती को मानते हैं. पिछले साल के आखिर में उन की फिल्म ‘तमाशा’ रिलीज हुई थी, तभी उन से एक दिलचस्प बातचीत हुई थी. पेश हैं, उस के खास अंश:

हिंदी फिल्म तमाशामें हीरो के किरदार वेद को ले कर आप क्या कहेंगे?
यह फिल्म उन मातापिता के लिए है, जो बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपते हैं. बचपन से बच्चे में कुछ बनने की जो चाहत होती है, उसे दबाया जाता है. बिना मन के कोई मातापिता की चाहत को पूरा करतेकरते क्या बनता है, उसी को दिखाया गया.मैं कहना चाहता हूं कि कोई भी नौजवान बिना इच्छा के कोई काम न करे. अपनी चाहत को बनाए रखे, उसे भुलाए नहीं. मैं बचपन में गणित में बहुत कमजोर था. मुझे गणित में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी. मैं ने जो पढ़ना चाहा, मातापिता ने साथ दिया. अंदर से खुश हो कर अगर आप कोई काम करते हैं, तो आगे निकलना आसान हो जाता है.ऐसे कई लोग हैं, जो रास्ते से भटक जाते हैं. आगे चल कर उन्हें पता नहीं होता कि वे क्या करेंगे.

इस फिल्म में आप के लिए सब से बड़ी चुनौती क्या थी?
हर किरदार हमेशा चुनौती से भरा होता है. कहानी को परदे पर तभी सही दिखाया जा सकता है, जब मैं अपनेआप को भुला कर किरदार में खो जाऊं. डायरैक्टर जो महसूस करे, उसे परदे पर सही तरह से उतार सकूं. इस फिल्म में भी मैं ने यही करने की कोशिश की है.

आप की कई फिल्में उतनी नहीं चलीं, पर दर्शकों ने आप का साथ भरपूर दिया. फिल्मों की नाकामी में आप अपनी जिम्मेदारी कहां तक मानते हैं?
काम की तारीफ मिलती है, तो अच्छा लगता है. दर्शकों को मेरा काम पसंद आए, ऐसी कोशिश मैं हमेशा करता हूं. फिल्में न चलने की वजह कई होती हैं, पर मैं अपना काम ईमानदारी से करता हूं. मेरी यही कोशिश रहेगी कि मैं दर्शकों का विश्वास फिर से जीतूं. इस के लिए मैं हमेशा बेहतर करने को तैयार हूं.

आप ने दीपिका पादुकोण के साथ काम करने को दालचावलकी उपमा दी है. इस की वजह क्या है?
जब आप सफर करते हैं, तो दालचावल के साथ आप रिलैक्स होते हैं, उसी तरह दीपिका के साथ काम करने में मैं अपनेआप को सुरक्षित महसूस करता हूं. दीपिका जिस दर्जे की ऐक्टिंग करती हैं, उस लैवल तक मुझे भी पहुंचना पड़ता है, ताकि उन को काम करने में आसानी हो.

आप दोनों ने एकसाथ काम करना शुरू किया, कैमिस्ट्री बनी, रिश्ता बना, फिर टूटा. फिल्मों में दोबारा से उसी कैमिस्ट्री को बनाना कितना मुश्किल था?
इस का श्रेय हम दोनों को है. हम दोनों बहुत ही महत्त्वाकांक्षी कलाकार हैं. एकदूसरे को प्यार और इज्जत करते हैं. हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम दोनों दर्शकों को अपनी अदाकारी से निराश न करें. दर्शकों ने जिस तरह से हम दोनों को ‘काजोलशाहरुख’ की जोड़ी जैसा माना है, उस पर यकीन नहीं होता. हम जिस तरह फिल्मों में रोमांस करते हैं, उस की सीख हम ने काजोल और शाहरुख से ही ली है.

आप एक फिल्मी परिवार से हैं. अपने पुरखों को कैसे याद करते हैं?
मैं अपने दादा और परदादा की बातें अपने पिता से सुनता हूं. मैं तब पैदा नहीं हुआ था, पर उन की हर बात जानता हूं. उस वक्त कलाकारों में बहुत प्यार था. फिल्म प्रीमियर के समय सब एकदूसरे को सहयोग देते थे. आज के जमाने में ऐसा नहीं है. कलाकार आपस में प्रतियोगिता की भावना रखते हैं. मेरे पास कई ऐसी तसवीरें हैं, जो उस जमाने की हैं. मैं उन्हें इकट्ठा करता रहता हूं. एक तसवीर में राज कपूर, देवानंद और दिलीप कुमार क्रिकेट खेलते हुए हैं. यह सब देखना अच्छा लगता है. मैं ने अपने परदादा पृथ्वीराज कपूर और दादा राज कपूर की कई फिल्में देखी हैं. मैं उन दोनों कलाकारों की अदाकारी से बहुतकुछ सीखता हूं.   

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