Exclusive Interview : सुभद्रा महाजन का प्रोफैशनल कैरियर पत्रकारिता से शुरू हुआ और अब वे फिल्मसर्जक बन चुकी हैं. अपनी फिल्म में उन्होंने हिमाचली कल्चर को दिखाया है जिसे काफी सराहा भी गया है.
‘हर इंसान को जिंदगी दूसरा मौका देती है’ इस बात की वकालत करने के साथ भारत में टैबू समझे जाने वाले गर्भपात के मुद्दे पर आधारित अपनी पहली फीचर फिल्म ‘सेकंड चांस’ से ही पूरे विश्व में तहलका मचा देने वाली युवा फिल्मसर्जक सुभद्रा महाजन मूलतया शिमला, हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं लेकिन उन की फिल्म भौगोलिक सीमाओं से परे कार्लोवी वैरी इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल, बुसान इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल, धर्मशाला इटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल सहित कई फिल्म फैस्टिवल्स में सम्मान बटोर चुकी है.
सुभद्रा महाजन पिछले 10-12 वर्षों से इंटरनैशनल फिल्मकार पैन नलिन के साथ जुड़ी हुई हैं. उन्होंने 2015 में रिलीज फिल्म ‘एंग्री इंडियन गौडेसेस’ की सहलेखक के रूप में पुरस्कार बटोरा था. उस फिल्म को विश्व के 60 देशों में दिखाया गया था तो वहीं वे औस्कर में जा चुकी फिल्म ‘द लास्ट शो’ में मुख्य सहायक निर्देशक थीं.
जब सुभद्रा से पूछा गया कि वे पत्रकार से फिल्मसर्जक बनने की यात्रा पर रोशनी डालेंगी, तो वे कहती हैं, ‘‘मैं ठेठ पहाड़ी हूं. मेरा जन्म, परवरिश और शिक्षा शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुई. मेरी मां उमा महाजन लेखक हैं. उन की एक किताब ‘बिटवीन द वर्ल्ड’ काफी चर्चित हुई थी. इस वजह से मेरी भी क्रिएटिविटी व लेखन में रुचि रही है. मुझे मेरी स्कूल पत्रिका, ‘मेयो कालेज गर्ल्स स्कूल’ का संपादक बनाया गया था. उस के बाद मुझे यकीन हो गया कि मुझे पत्रकार बनना चाहिए.’’
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