बौलीवुड में सिनेमा को लेकर एक नई बहस शुरू हो गयी है. कुछ लोगों का मानना है कि सिनेमा विशुद्ध रूप से मनोरंजन का साधन है. कुछ लोग मानते हैं कि सिनेमा कला व अर्थशास्त्र का मिश्रण है. जबकि कुछ लोग सिनेमा में सामाजिक बदलाव की ताकत मानते हैं. इस बहस के बीच ही कई तरह का सिनेमा बन रहा है. कुछ लोग यथार्थ परक सिनेमा परोसने के नाम पर सेक्स से भरपूर या अतिशुष्क सिनेमा बना रहे हैं. तो कुछ लोग विचारवान सिनेमा बना रहे हैं. यानी कि सभी की अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग चल रहा है.
जबकि अक्सर देखा गया है कि किसी विचारोत्तेजक फिल्म को देखते समय दर्शक प्रभावित जरुर होता है, पर बाद में वह सोचता है कि ऐसा यथार्थ में नहीं हो सकता. यह तो फिल्म में दिखाया गया है. यही वजह है कि अब कुछ लोग यह कहने लगे है कि सिनेमा दर्शक को प्रभावित करने में नाकाम हो रहा है.
मगर इस बात से बौलीवुड के साथ साथ हालीवुड में अभिनय कर रहे अभिनेता इरफान सहमत नही हैं. उनकी राय में सिनेमा के अंदर समाज को नई दिशा देने व लोगो की सोच को बदलने की भी ताकत रहती है. वह लोगों को जगाने के मकसद से ही सिस्टम पर चोट करने वाली रोमांचक फिल्म ‘‘मदारी’’ लेकर आ रहे हैं. जिसके वह सहनिर्माता भी हैं और मुख्य भूमिका भी निभायी है.
हाल ही ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए इरफान ने कहा-‘‘सिनेमा चाहे मोहब्बत की बात करे या सिस्टम की बात करे. वह इमोशन कहीं न कहीं इंसान तक पहुंचता है. जो इंसान को इंस्पायर करता है. इंसान को इमोशनली भले ही इंवाल्ब न करे, पर सोचने पर मजबूर जरुर करता है. अभी सिनेमा ग्रो हो रहा है. अब विविधतापूर्ण सिनेमा बन रहा है. अब सिनेमा में नए नए आयाम आएंगे. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि एक आवाज लोगों के अंदर पनप रही है. ऐसा सिनेमा देखने वाले लोग हैं. अब लोगों की सिनेमा को लेकर रूचि बदली है. अब दर्शक चाहता है कि सिनेमा उसकी बुद्धिमत्ता को चुनौती दे. दर्शक चाहता है कि सिनेमा में ऐसा कुछ हो, कि जब वह सिनेमा देखकर थिएटर से बाहर निकले, तो कुछ उसके साथ जाए, वह सोचने पर मजबूर हो.’’
जब उनसे हमने पूछा कि उनकी फिल्म ‘‘मदारी’’ इसे किस तरह से पूरा करेगी? तो इरफान ने कहा-‘‘अभी हम कुछ नहीं कहना चाहते. जब फिल्म आएगी, तो अपने आप पता चल जाएगा. फिल्म में जो ड्रामा है, वह पहले कभी नहीं आया. इसमें सिनेमा का नया रूप नजर आएगा. इसमें रहस्य, मनोरंजन, यथार्थ नजर आएगा. इस फिल्म की कहानी के कई अलग अलग आयाम निकल कर आए हैं. इसे हम किसी एक परिभाषा के अंदर नहीं बांध सकते. फिल्म में कुछ समस्याओं से उपजा हुआ ड्रामा है.’’