मौडलिंग के जरीए टीवी में दस्तक देने वाले रोहित खुराना उन इनेगिने कलाकारों में हैं, जो अपने पहले ही सीरियल से सुर्खियों में आ गए. वे अपने पहले सीरियल ‘उतरन’ में वंश के किरदार से खूब चर्चित हुए. दिल्ली के रोहित ने छोटे परदे पर आने के लिए बहुत संघर्ष किया. अपनी बचपन की फ्रैंड को अपनी जीवनसंगनी बनाने वाले रोहित ने एक इवेंट के दौरान अपनी कुछ बातें साझा कीं:

जितनी ख्याति पहले सीरियल ‘उतरन’ में वंश के किरदार में मिली है क्या किसी और धारावाही में भी मिली है?

मेरी ऐंट्री टीवी पर इसी सीरियल से हुई थी. मेरा किरदार बहुत ही सुंदर तरीके से लिखा गया है और बहुत ही अच्छे तरीके से इसे फिल्माया भी गया है. मुझे वंश के किरदार से मिलताजुलता किरदार ‘लाजवंती’ धारावाही में जमाल का लगा, इसलिए मैं ने इसे करने के लिए हामी भरी. जमाल की कहानी सुन कर मुझे लगा कि यह किरदार मुझे वहां ले जाएगा जहां मैं जाना चाहता हूं. ‘उतरन’ को मैं अपनी जिंदगी का माइलस्टोन मानता हूं. पहला धारावाही भी आप के पहले प्यार की तरह होता है, जिसे आप जीवन भर नहीं भुला सकते.

किसी सीरियल को हिट कराने में सब से ज्यादा क्या अहम है?

मैं उस की राइटिंग को अहम मानता हूं, क्योंकि जब अच्छा लिखा जाएगा तभी तो उसे अच्छी तरह से बोला जा सकता है. धारावाही हिट बनाने में उस की स्टोरी का बहुत बड़ा योगदान होता है. उस के बाद निर्देशन और फिर उस की स्टारकास्ट आती है. अगर कहानी और निर्देशन कसा हुआ हो तो धारावाही का हिट होना पक्का है.

आप की नजर में ऐक्टर प्रमुख होता है या किरदार?

अगर छोटे परदे की बात की जाए तो उस में ऐक्टर से ज्यादा किरदार की अहमियत है, क्योंकि टीवी पर एक कलाकार को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए बहुत समय मिलता है और उस की स्वयं की पहचान उस किरदार के नाम से होती है जैसे मुझे आज भी लोग रोहित खुराना से ज्यादा वंश के नाम से जानते हैं. फिल्मों में ठीक इस के उलटा होता है. 5 मिनट के सीन में आप को अपना 100 फीसदी देना होता है. वहां चेहरे की वैल्यू ज्यादा होती है, क्योंकि फिल्में स्टारकास्ट देख कर ही हिट होती हैं.

धारावाही का कई सालों तक खींचा जाना आप की नजर में सही है?

मैं इसे गलत नहीं मानता, क्योंकि दर्शकों का प्यार मिल रहा है तभी तो धारावाही चल रहा है. मुझे अभी तक लंबे धारावाहिक का औफर नहीं आया है. ऐसे शो में ऐक्टर 4-5 सालों के लिए निश्चिंत हो जाता है कि उसे और कहीं काम ढूंढ़ने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. सब से अहम बात यह है कि दर्शकों की नजरों में उस की वैल्यू बढ़ जाती है. अगर मुझे इस तरह के किसी सीरियल का औफर मिलता है तो मैं उसे तुरंत स्वीकार कर लूंगा.

ऐक्टिंग में आने के लिए क्या प्रशिक्षण लेना जरूरी मानते हैं?

अगर मैं अपनी बात करूं तो मैं ने बिना कोई ऐक्टिंग कोर्स किए कैमरा फेस किया है. मैं ने जो भी सीखा सैट पर ही आ कर सीखा. मुझे बहुत अच्छे निर्देशक और राइटर मिले. उन से मैं ने बहुत कुछ सीखा. मैं मानता हूं कि ऐक्टिंग कोर्स करने से ऐक्टिंग नहीं आती. ऐक्टिंग आती है लगन और मेहनत से काम करने से.

फिल्मों में काम करने में रुचि नहीं है क्या?

बिलकुल है. मैं ने 4 साउथ की फिल्में की हैं. 2 पंजाबी और 2 हिंदी फिल्मों में भी काम कर चुका हूं. मेरी एक और कौमेडी फिल्म ‘होटल ब्यूटीफुल’ जौनी लीवर व अन्य नए कलाकारों के साथ मार्च में रिलीज होगी. अगर अच्छे रोल मिलते हैं तो जरूर फिल्में करूंगा. मैं हर तरह का किरदार निभाना चाहता हूं. वैसे एक कलाकार के लिए ऐक्टिंग करना माने रखता है यह नहीं कि वह फिल्मों में काम कर रहा है या टीवी पर.

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