दिल्ली में पले बढ़ें तुशार पांडे स्कूल दिनों से ही हर तरह की सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेते रहे हैं.फिर एक वक्त वह आया, जब उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रवेश लेकर अभिनय की बारीकियां सीखी. पर उन्हें लगा कि अभी भी कुछ सीखना बाकी है, तब वह ‘लंदन इंटरनेशनल स्कूल आफ परफार्मिंग आर्ट्स..’’चले गए. कुछ समय लंदन व यूरोप में रंगमंच पर काम करने बाद वह भारत वापस आए. भारत वापस आते ही तुषार पांडे ने सबसे पहले दिल्ली के ‘राष्ट्रीय’ नाट्य विद्यालय’ में अभिनय का प्रशिक्षण देना शुरू किया.उसके बाद वह फिल्मों से जुड़ने के मसकद से मुंबई आ गए. मुंबई में उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘बियांड’में अभिनय कर कुछ इंटरनेशनल अवार्ड अपनी झोली में कर लिए. उसके बाद ‘फैंटम’  के अलावा ‘पिंक’ व ‘हम चार’ में छोटे छोटे किरदार निभाकर अपनी अभिनय प्रतिभा से लोगों को आश्चर्यचकित करते रहे. फिर उन्हें फिल्म ‘छिछोर’ में सुशांत सिंह राजपूत के दोस्त का किरदार निभाने का अवसर मिला,जिससे उनकी पहचान बनी. ‘छिछोरे’ के बाद एम एक्स प्लेअर पर प्रसारित वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’ में सत्ती का किरदार निभाकर उन्होंने स्टारडम हासिल कर लिया. इन दिनों वह फिल्म ‘‘टीटू अंबानी’’ को लेकर चर्चा में हैं.

प्रस्तुत है तुशार पांडे संग हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश...

tushar-pandey

आपकी परवरिश अकादमिक परिवार में हुई है.तो फिर आपको अभिनय का चस्का कैसे लगा?

माना कि मेरी मां शिक्षक है. मेरी बहने भी शिक्षक हैं. तो मेरा पूरा परिवार अकादमिक है. मगर हुआ यह है कि स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ मेरा रूझान हर तरह की गतिविधि की तरफ रही है. फिर चाहे वह नृत्य हो,पेटिंग हो या क्रिकेट हो या फुटबाल हो. मतलब कुछ भी हो.सब कुछ करता रहता था.हमारे स्कूल में  सारी एक्टीविटीज हुआ करती थी, जिनमें हिस्सा लेने के लिए हमें स्कूल के शिक्षक प्रोत्साहित भी किया करते थे. मैं हर एक्टीविटी में हिस्सा लिया करता था, पर कभी यह नहीं सोचा कि मुझे डांसर बनना है या मुझे क्रिकेटर बनना है.ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई के दौरान इंजीनियरिंग मेरा विषय था,पर मैंने कभी भी इंजीनियिरंग की परीक्षा नहीं दी. मुझे कभी लगा नहीं कि इंजीनियिरंग में मेरी कोई रूचि है. मेरे इस विचार का मेरे माता पिता ने भी समर्थन किया.कहने का अर्थ यह कि कहीं न कहीं मुझे लगा कि यह चीज मेरे लिए वर्कआउट कर रही है, वह मैं करता रहा.मैने अंग्रेजी ऑनर्स से कालेज की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद मेरे दिमाग में अभिनय की बात आयी और मैं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय’ से जुड़ गया.जब दूसरे विषय का सेशन खत्म होने वाला था, तो मेरे दिमाग में आया कि सवा साल में एनएसडी की मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी. लेकिन अभिनय तो बहुत गूढ़ विषय है.

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