जमशेदपुर में तमिल ब्राम्हण परिवार में जन्में व पले-बढ़ें अभिनेता,निर्माता,लेखक व निर्देशक आर माधवन की यात्रा बहुत ही अलग व रोचक रही है. वह न तो अभिनेता बनना चाहते थे और न ही इंजीनियर. पर बाद में उन्होंने इलेक्ट्रिनकस में बीएससी की. सच यह है कि वह तो एनसीसी कैडेट थे, जिसके चलते उन्हे इंग्लैंड में ब्रिटिश आर्मी से ट्रेनिंग लेने का अवसर मिला. वहां पर चार वर्ष तक ट्रेनिंग लेकर फौजी बनकर भारत वापस आए.तब तक भारतीय सेना का हिस्सा बनने की उम्र से छह माह ज्यादा हो गए थे. फिर वह पर्सनालिटी डेवलपमेंट के शिक्षक बन गए. पर तकदीर कुछ और ही चाहती थी.जिसके चलते उन्हें एक सीरियल मे अभिनय करने का मौका मिला.उसके बाद अभिनय जगत में उन्होंने अच्छा नाम कमाया.चार फिल्मफेअर अवार्ड के साथ ही तमिलनाड़ु स्टेट फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं.
इन दिनों आर माधवन एक जुलाई को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘रॉक्रेट्री द नाम्बी इफेक्ट’’ को लेकर चर्चा में हैं. हिंदी, अंग्रेजी व तमिल तीन भाषाओं में बनी इस फिल्म में इसरो वैज्ञानिक नम्बी नारायण का किरदार निभाने के साथ ही उन्होंने फिल्म का लेखन व निर्देशन भी किया है.पद्म विभुषण से सम्मानित और त्रिवेंद्रम निवासी इसरो वैज्ञानिक ने रॉकेट साइंस के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की. मगर उन पर एक मालदीव की औरत के साथ अफेयर और 1994 में भारतीय रॉकेट साइंस को पाकिस्तान के हाथों बेचने का आरोप लगा था. मगर 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने नाम्बी नारायण को बइज्जत बरी करने के साथ उन पुलिस अफसरो पर काररवाही करने का आदेश दिया था, जिन्होंने इसरो वैज्ञानिक नाम्बी नारायण पर झूठा आरोप लगाया था.