मार्च माह जातेजाते उम्मीद की एक लौ जगा गया था, मगर अप्रैल के पहले सप्ताह ने उस उम्मीद की लौ पर पानी डाल दिया. अप्रैल के पहले सप्ताह यानी कि 5 अप्रैल को एक भी बड़ी फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई पर जो छोटी फिल्में प्रदर्शित हुई, उन्होंने तो साबित कर दिखाया कि हर फिल्मकार हमेशा के लिए बौलीवुड को तबाह करने पर उतारू है.
5 अप्रैल के दिन ‘गोलियो की रास लीला : रामलीला’, ‘पद्मावत’, ‘बाजीराव मस्तानी’,  ‘टौयलेट एक प्रेम कथा’, ‘ब्रदर्स’, ‘राब्टा’, ‘पल पल दिल के पास’, ‘बट्टी गुल मीटर चालू’ और ‘जबरिया जोड़ी’ सहित कई फिल्मों की लेखकीय जोड़ी सिद्धार्थ गरिमा ने बतौर लेखक व निर्देशक किराए की कोख वाली कहानी पर फिल्म ‘दुकान’ ले कर आईं, तो बौक्स औफिस पर चारों खाने चित्त हो गई. इतना ही नहीं यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ‘दुकान’ की लेखक व निर्देशक जोड़ी ने ही उपरोक्त सफलतम फिल्में लिखी थीं.

टौयलेट एक प्रेम कथा
टौयलेट एक प्रेम कथा

फिल्म ‘दुकान’ पिछले 3 साल से प्रदर्शन का इंतजार कर रही थी और जब 5 अप्रैल को यह फिल्म प्रदर्शित हुई तो इसने बौक्स औफिस पर पानी तक नहीं मांगा. एक सप्ताह के अंदर यह फिल्म बामुश्किल 19 लाख ही बटोर सकी. इतना 3 साल तक फिल्म के डिब्बे में बंद पड़ी रहने के चलते ब्याज देना पड़ गया होगा.
वास्तव में सब से बड़ी कमी लेखक की ही है. फिल्म ‘दुकान’ की कहानी एक लाइन में यह है कि, ‘‘अगर किसी दंपति का अपना परिवार बढ़ाने के लिए अपनी कोख किराए पर देने वाली मां को अपने गर्भ से जन्म लेने वाले बच्चे से प्यार हो जाए, तो क्या होगा?’’ लेकिन कहानी पूरी तरह से भटकी हुई है. निर्देशन में दम नहीं. ऊपर से फिल्मकार ने दो ऐसी कंपनियों को अपनी फिल्म के प्रचार का जिम्मा दिया, जिन्होने इस कदर प्रचार किया कि पत्रकारों तक को नहीं पता चला कि यह फिल्म कब सिनेमाघर पहुंची और कब सिनेमाघर से बाहर हो गई. इस की एक पीआरओ तो बहुत ही ज्यादा बदतमीजी से बात करने के लिए मशहूर है. बहरहाल, फिल्मकार तो अपनी इस फिल्म की लागत भी बताने को तैयार नहीं है.
5 अप्रैल को ही लेखक, निर्माता, निर्देशक आदित्य रनोलिया की फिल्म ‘द लास्ट गर्ल’  5 अप्रैल को सिनेमाघरों में पहुंची. फिल्म की लागत को ले कर निर्माता ने चुप्पी साध रखी है. यह फिल्म बौक्स औफिस पर 10 लाख रूपए ही कमा सकी, इतनी रकम तो शूटिंग के दौरान चाय पीने में खर्च हो गई होगी.
5 अप्रैल से एक दिन पहले 4 अप्रैल को रोहित बोस रौय के जन्म दिन पर उन के अभिनय से सजी रोमांचक फिल्म ‘आइरा’ प्रदर्शित हुई. यूरोप में फिल्माई गई और ‘एआई’ यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस पर आधारित फिल्म ‘आइरा’ ने बौक्स औफिस पर इतनी ज्यादा रकम बटोर ली है कि अब निर्माता बौक्स औफिस के आंकड़े व लागत दोनों बताना नहीं चाहता.
हमारे सूत्र बताते हैं कि इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर सिर्फ 8 लाख रूपए ही एकत्र किए. यह अति महंगी फिल्म है. निर्देशक सैम भट्टाचार्जी और अभिनेता रोहित बोस रौय ने दावा किया था कि यह पहली फिल्म हैं, जिस में 1600 वीएफएक्स शौट्स हैं.
यहां पर हमें कानपुर स्थित ‘जुबुली पैलेस’ सिंगल थिएटर के मालिक राम जायसवाल की बात याद आती है कि बौलीवुड को दर्शक नहीं बल्कि फिल्मकार स्वयं बरबाद कर रहे हैं और अगर यह अभी भी नहीं चेते तो भारतीय सिनेमा को लोग हमेशा के लिए भूल जाएंगे.

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