एक्शन और रोमांच से भरपूर अजय देवगन निर्देशित फिल्म का बजट लगभग एक सौ दस करोड़ रूपए है. यह फिल्म बाक्स ऑफिस पर अपनी लागत वूसल कर पाएगी, इसमें संशय है. अजय देगवन का दावा है कि यह फिल्म पिता पुत्री के रिश्तों की कहानी है, मगर इसमें फिल्म पूरी तरफ से सफल नहीं हो पाती. फिल्म में एक्शन की भरमार है, मगर भावनात्मक दृष्य ठीक से नहीं उभरे हैं. अगर शिवाय देखते हुए आपको हॉलीवुड फिल्म “टेकन” की याद आ जाए, तो आश्चर्य करने की जरूरत नहीं, क्यूंकि शिवाय की कहानी वहीं से ली गई लगती है.
फिल्म ‘‘शिवाय’’ की कहानी शिवाय (अजय देवगन) से शुरू होती है, जो कि ऊंची से ऊंची हिमालय की चोटियों में आराम से चढ़ जाता है. उसे ट्रेकिंग में महारत हासिल है. वह पर्वतारोहण का इंचार्ज है. एक दिन जब वह कुछ देसी व विदेशी सैनानियों को ट्रेकिंग पर हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर ले जाता है, तो जिस पहाड़ी पर वह होते हैं, वहां बादल फटने लगता है. पर शिवाय चलाकी से सभी को वहां से दूसरी पहाड़ी पर भेज देता है और अंत में वह बुलगैरिया से आयी सैलानी ओलगा (इरिका कर) को बचाने जाता है, तो उसी वक्त पहाड़ी दो टुकडे़ में फट जाती है. पर उससे पहले वह खुद ओलगा के साथ बचाने में सफल हो जाता है.
दोनों के बीच प्यार पनपने के साथ ही शारीरिक संबंध बन जाते हैं और फिर ओलगा जिद करती है कि उसे वापस अपने देश बुलगेरिया जाना है. ओलगा का मानना है कि उसे अपने देश में बहुत काम करना है. और शिवाय के साथ उसका जो भी संबंध था, वह उतने दिन के लिए ही था. पर वह उससे प्यार करती रहेगी. लेकिन तभी पता चलता है कि वह गर्भवती है. अब शिवाय कि जिद है कि वह बच्चे को जन्म देने के बाद ही बुलगैरिया जा सकती है. शिवाय की जिद के चलते ओलगा एक बेटी गौरा (अबिगेल याम्स) को जन्म देती है. पर उसका ना नाम रखती हैं ना चेहरा देखती है. वापस अपने वतन बुलगैरिया चली जाती है. इधर शिवाय अकेले ही अपनी बेटी को पालता है. पर्वतारोहण के समय उसे अपने साथ ले जाता हैं.