आजकल जितनी भी फिल्में बन रही हैं, युवाओं को ध्यान में रख कर बनाई जा रही हैं. नएनए हीरो, हीरोइनें आएदिन परदे पर नजर आते हैं. रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर भी ज्यादा पुराने नहीं हैं, मगर इन दोनों ने अपनी इमेज बना ली है. हाल ही में प्रदर्शित ‘...राम-लीला’ में रणवीर सिंह युवाओं की कसौटी पर खरा उतरा है. अर्जुन कपूर ने भी ‘इशकजादे’ में बेहतरीन परफौर्मेंस दे कर युवाओं में अपनी पैठ बना ली है.
‘गुंडे’ में अब इन दोनों युवा हीरो ने अपना जलवा दिखाया है. इन दोनों ने एंग्री यंगमैन का रोल कर युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश की है. ‘गुंडे’ दोस्ती पर बनी फिल्म है. दोस्ती भी ऐसीवैसी नहीं, ‘यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ वाली. मगर जब इन दोस्तों के बीच एक खूबसूरत लड़की आ जाती है तो दोस्ती की सारी कसमें धरी की धरी रह जाती हैं और दोनों एकदूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं. यही है फिल्म का मूल विषय यानी कि लव ट्राएंगल.
निर्देशक अली अब्बास जफर ने दोस्ती के इस आइडिया को फिल्म ‘शोले’ से उड़ाया है. ‘शोले’ के जय और वीरू की ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ दर्शक आज भी नहीं भूले हैं. निर्देशक ने फिल्म को दोस्ती के नाम पर बजाय कुछ नया कहने के इमोशंस, ऐक्शन और ड्रामा डाल कर एक चटपटी चाट की तरह बना डाला है.
फिल्म की कहानी 1971 की है. उस दौरान पाकिस्तान का विभाजन हुआ था और एक नए देश बंगलादेश का उदय हुआ था. हजारों शरणार्थी ढाका से भाग कर कोलकाता आए थे. इन शरणार्थियों में 2 किशोर विक्रम (रणवीर सिंह) और बाला (अर्जुन कपूर) भी थे. कोलकाता आ कर दोनों कोयले की चोरी करने लगते हैं. वे चलती ट्रेन से कोयला लूटते हैं.