रेटिंग: तीन स्टार

निर्माताः पवन तिवारी,जैगम इमाम व गोविंद गोयल

एसोसिएट निर्माता व प्रस्तुतकर्ता: पियूश सिंह

लेखक व निर्देशक: जैगम इमाम

संगीतकार: अमन पंत

कैमरामैन: असित विश्वास

कलाकार: इनामुलहक, शारीब हाशमी, कुमुद मिश्रा, राजेश शर्मा, पवन तिवारी, गुलकी जोशी,  हरमिंदर सिंह अन्य.

वाराणसी में ही पले बढ़े और पत्रकार से फिल्मकार बने जैगम इमाम धार्मिक कट्टरता के खिलाफ लड़ने  की  बात करने वाली ‘दोजख:इन सर्च औफ हैवन’ और ‘अलिफ’ जैसी दो फिल्में दे चुके हैं. अब वह तीसरी फिल्म ‘‘नक्काश’’लेकर आए हैं. उनकी इन तीनों ही फिल्मों में बनारस, गंगा, मंदिर व मस्जिद, हिंदू व मुस्लिम के साथ ही धार्मिक कट्टरता के खिलाफ लड़ाई व छटपटाहट मौजूद है. मगर जैगम इमाम ने इस बार फिल्म ‘‘नक्काश’’ में धर्म के नाम पर समाज में विभाजन करने वाली राजनीति को जोड़ा है. और यहीं पर वह थोड़ा सा मात खा गए. परिणामतः उनकी यह अति जरुरी फिल्म उनकी पिछली फिल्मों के मुकाबले कथानक व पटकथा के स्तर कुछ कमजोर नजर आती है.

फिल्मकार के तौर पर जैगम इमाम की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि वह समाज के दर्पण की तरह ‘नक्काश’ लेकर आए हैं. भारत में कभी भी धार्मिक कट्टरता हावी नही रही है. हमेशा धार्मिक सद्भाव व भाईचारा रहा है. पर कुछ समय से यह लुप्त हो रहा है, उसे ही लोगों के सामने रखने के साथ इंसान को सोचने पर मजबूर करने का काम फिल्म ‘‘नक्काश’’ करती है.

कहानीः

‘नक्काश’की कहानी अल्ला रक्खा सिद्दिकी (इनामुल हक) नामक एक मुस्लिम कलाकार की है, वाराणसी में मंदिर में नक्काश और भगवान के गर्भ ग्रृह में नक्काशी का काम करते हैं. अल्ला रक्खा की पत्नी का देहांत हो चुका है और उनका एक छोटा बेटा मोहम्मद (हरमिंदर सिंह) है. अल्ला रक्खा हर दिन गंगा नदी में ही वुजू करते हैं और गंगा घाट पर ही नमाज अदा करते हैं. अल्ला रक्खा के पुरखे भी मंदिर में नक्काशी का काम करते रहे हैं. बनारस के बहुत बड़े व भव्य मंदिर के मुख्य पुजारी वेदांती (कुमुद मिश्रा) की नजरों में अल्ला रक्खा से बेहतरीन कोई कारीगर नही. वेदांती सदैव अल्ला रक्खा का समर्थन करते हैं. क्योंकि वह उनकी कला और रचनात्मकता का सम्मान करते हैं, जो उन्हें भगवान द्वारा दिया गया है. वेदांती सभी धर्मो का सम्मान करते हैं. मगर माहौल बिगड़ा हुआ है, इसलिए वेदांती की सलाह पर अल्ला रक्खा हर दिन शर्ट पैंट पहने और माथे पर टीका लगाकर ही मंदिर आता है. वेदांती का बेटा मुन्ना भाई (पवन तिवारी) तो धर्म की राजनीति करते हुए इस बार चुनाव में टिकट पाने की जुगाड़ में है. उसे एक विधर्मी अल्ला रक्खा का मंदिर में नक्काशी का काम करना पसंद नही, पर पिता वेदांती के सामने वह चुप रहता है. उधर कोतवाली के पुलिस इंस्पेक्टर (राजेश शर्मा) को भी मंदिर में मुस्लिम का काम करना पसंद नहीं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...