नई सरकार के गठन के बाद से ही सिनेमा के विकास में योगदान के लिए कार्यरत चार
संगठनों को ‘राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम’में विलय करने की चर्चाएं शुरू हो गयी थी.इसी तरह की
चर्चा  के बीच ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड’का दफ्तर जो मुंबई मे एक अलग स्थान पर था,उसे ‘फिल्मस
डिवीजन’के प्रांगण में अप्रैल 2017 में स्थानांतरित कर दिया गया था.

पूरे विष्व में प्रति वर्ष सर्वा धिक फिल्में भारत में बनती है.एक अनुमान के अनुसार हर वर्ष भारत
में तकरीबन तीन हजार से अधिक फिल्मों का निर्माण किया जाता है.यह एक अलग बात है कि इसमंे
सरकारी या ेगदान न के बराबर है.निजी कंपनियों व निजी फिल्म निर्माताओं की ही भागीदारी ज्यादा हैअब वर्तमान सरकार फिल्म क्षेत्र में अपनी प्रतिभागिता बढ़ाना चाहती है.इसीके मद्दे नजर केंद्रीय
मंत्रीमंडल ने सरकारी खर्च में कटौती करने के साथ ही देश में फिल्मों के विकास के नाम पर एक बड़ा
फैसला लेते हुए फिल्म विकास से जुड़ी चार अहम इकाइयों,संस्थाओ का विलय भारतीय फिल्म विकास
निगम (एनएफडीसी) में कर दिया है.प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेमा रेंडम
ऑफ आर्टिकल्घ्स ऑफ एसोसिएशन ऑफ एनएफडीसी का विस्तार करके इसमें अपनी चार मीडिया
इकाइयों,फिल्मस डिवीजन, फिल्म समारोह निदेशालय, भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार और बाल
फिल्म सोसायटी के विलय को मंजूरी दे दी.

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सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक बयान के अनुसार राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम एक ‘छाता
संगठन‘ के रूप में कार्य करेगा। सरकारी निकाय फिल्म्स डिवीजन, नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ
इंडिया, चिल्ड्रंस फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया और  फिल्म फेस्टिवल निदेशालय का विलय कर दिया
जाएगा. प्रत्येक संगठन अलग- अलग कार्य करता है और विभिन्न शहरों में स्थित है.1975 में स्थापित
राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम/ एनएफडीसी,जो मुंबई से संचालित होता है.यह फिल्मों के लिए धन
इकट्ठाकर फिल्मकारों को धन मुहैया कराता है.साथ ही साथ सह-निर्मा ण मंच फिल्म बाजार भी
चलाता है.

1948 में स्थापित फिल्म्स डिवीजन का मुख्यालय मुंबई में एक अलग परिसर में है.इसका मुख्य
काम सरकार के कार्यक्रमों को  बढ़ावा देने के लिए वृत्तचित्रों और समाचार वीडियो  का निर्माण करना है.
यह संस्था वृत्तचित्रों, लघु फिल्मों  और कई विषयों पर एनीमेटेड फिल्मों  का निर्मा ण करता है.इसके
अलावा फिल्म्स डिवीजन हर दो वर्ष में एक बार मुंबई में ही अंतरराष्ट्रीय  फिल्म समारोह व पुरस्कार
समारोह का भी आयोजन करता है.

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चिल्ड्रेन्स फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया यानी कि बाल चित्र समित का गठन 1955 में हुआ थाइसका कार्या लय मुंबई में फिल्म्स डिवीजन कॉम्प्लेक्स में स्थित है,जो कि बच्चों और युवा वयस्कों के
मद्देनजर फिल्मों  का निर्माण करती है.
1973 में स्थापित फिल्म समारोह निदेशालय के कार्यो में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों  का संगठन,
दादा साहब फाल्के पुरस्कार और भारत का वार्षि क अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह शामिल है,जो विदेशों में
भारतीय फिल्मों  की स्क्रीनिंग की सुविधा प्रदान करता है.इतना ही नही भारत में हर वर्ष संपन्न होने वाले
‘अंतरराष्ट्रीय  फिल्म समारोह’के पैना रमा खंड की फिल्मों का चयन भी यही इकाई करती है.यह
निदेशालय उन भारतीय फिल्मों के संग्रह का भी काम करता है, जिन्होंने वर्षो से अंतर्राष्ट्रीय त्योहारों की
यात्रा की है.

1964 में स्थापित ‘नेशनल फिल्म आर्का इव ऑफ इंडिया’का मुख्यालय महाराष्ट् के पुणे में है.यहां
भारतीय सिनेमा का भंडार है,जो मूवी प्रिंट, प्रचार सामग्री और सिनेमा के लेखन का संग्रह कर रहा हैपुरालेख भी दुर्लभ प्रिंट के अधिग्रहण और चुनिंदा शीर्षकों की बहाली में शामिल रहा है.
वैसे फिल्मों से जुड़े कई लोग इन इकाइयों  के कामकाज से असेतुष्ट थे.एनएफडीसी,बाल चित्र
समिति, फिल्मस डिवीजन सहित हर इकाई में समय समय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं इसके
अलावा चारों संबद्ध इकाइया ें के बीच समन्वय के अभाव की बातें भी समय पर सामने आती थीं.
यॅू तो सरकार के पास तमाम शिकायतें पहुॅची थी.

आरोप लगते रहे हैं कि फिल्मस डिवीजन और भारतीय बाल फिल्म सा ेसायटी अपनी भूमिका
सही ढंग से नहीं निभा रही है.बाल चित्र समिति के चेअरमैन पद पर रहते हुए अमोल  गुप्ते व मुकेश
खन्ना भी अपनी असंतुष्टि जाहिर करते हुए अपने अपने पदों से त्यागपत्र दे चुके है.वास्तव में इन
सरकारी इर्काइेयों में लालफीताषाही के साथ पुराने ढर्र  पर ही काम होता है.यहां नए विचारों और नई
योजनाओं का स्पष्ट अभाव देखा जा सकता था.जबकि इन इकाइयों का गठन देश में सिनेमा के विकास
में योगदान देने के लिए किया गया था.सरकार का मानना है कि अब एनएफडीसी में विलय से इनकी
कार्यप्रणाली सुधरेगी और देश में एक फिल्म नीति बनाने में भी बहुत मदद मिलेगी.

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‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल इन मीडिया इकाइयों  के विलय को मंजूरी देने के बाद संपत्ति और
कर्मचारियों के हस्तांतरण पर सलाह देने और विलय के परिचालन के सभी पहलुओं की देखरेख के लिए
एक लेन-देन सलाहकार और कानूनी सलाहकार की नियुक्ति को भी मंजूरी दी है.
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है-‘‘विलय की इस कवायद को करते हुए,सभी संबंधित मीडिया
इकाइयों के कर्मचारियों  के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा और किसी भी कर्मचारी को नहीं हटाया
जाएगा.‘‘

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘नई इकाई की दृष्टि अपने सभी शैलियों में भारतीय सिनेमा के
संतुलित और केंद्रित विकास को सुनिश्चित करने के लिए होगी,जिसमें ओटीटी प्लेटफार्मों, बच्चों  की
सामग्री, एनीमेशन, लघु फिल्मों और वृत्तचित्रों के लिए फिल्में आदि सामग्री शामिल हैं.‘‘
मंत्रालय के बयान के अनुसार विलय ‘‘मौजूदा बुनियादी ढांचे और जनशक्ति के बेहतर और
कुशल उपयोग‘‘ और ‘‘गतिविधियों के दोहराव में कमी और सरकारी खजाने का  सीधे बचत‘‘ के उद्देश्य
से किया गया है.

सरकार के अनुसार नई संस्था की परिकल्पना में नए समय में फिल्मों के बदले हुए रूप पर
ध्यान दिया जाएगा.भविष्य में नई संस्था का काम फिल्मो,ओटीटी मंचो की विषयवस्तु, बच्चों से संबंधित
विषय वस्तु, एनीमेशन, शॉर्ट फिल्मों और वृत्तचित्रों (डॉक्युमेंट्री) सहित अपनी सभी शैलियाों की फीचर
फिल्मों में भारतीय सिनेमा का संतुलित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करना रहेगा.

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