हिंदी फिल्मों की जानीमानी हीरोइन और ‘बिग बौस’ व ‘नच बलिए’ में प्रतियोगी रह चुकी पायल रोहतगी की शोख व बोल्ड अदाएं अब पूरे 2 साल बाद रमेश नैयर की भोजपुरी फिल्म ‘हल्फा मचा के गईल’ में भी देखने को मिल रही हैं. पायल रोहतगी इस भोजपुरी फिल्म में एक स्पैशल डांस में नजर आएंगी. इस गाने की शूटिंग मुंबई से 50 किलोमीटर दूर नायगांव के आरडीएल स्टूडियो में लगाए गए भव्य सैट पर की गई जिस में पायल रोहतगी के साथ फिल्म के हीरो राघव नैयर ने भी हिस्सा लिया.
इस गाने में पायल रोहतगी का बिंदास रूप दिखेगा. उन्होंने कहा, ‘‘फिल्म के निर्माता रमेश नैयर ने जब मुझे इस फिल्म का औफर दिया तो मैं इनकार न कर सकी. ‘‘फिल्म ‘हल्फा मचा के गईल’ भोजपुरी जरूर है, मगर मेरे डांस नंबर के बोल हिंदी में हैं. गाने के बोल बहुत अच्छे हैं. मैं ने तो इसे पूरी तरह से हिंदी आइटम सौंग मान कर किया है. यह एक क्लब के अंदर हो रहा डांस है जहां फिल्म के हीरो राघव नैयर एंजौय करने के लिए आते हैं.
‘‘जब मैं किसी फिल्म से जुड़ती हूं तो इस बात पर ध्यान देती हूं कि वह फिल्म अच्छी है या नहीं, क्योंकि सिनेमा का अच्छा होना जरूरी है. मेरी नजर में कोई सिनेमा छोटा नहीं होता.’’
पायल रोहतगी पिछले 4 सालों से किसी फिल्म में काम करते हुए नजर नहीं आईं. इस की क्या वजह रही?
इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं काफी काम कर रही हूं. अब हम ‘संग्राम सिंह फाउंडेशन’ के लिए भी काफी समय देते हैं.
‘‘इस के अलावा मैं फिल्म और टैलीविजन में ऐक्टिंग कर रही हूं. एक नारी प्रधान गुजराती फिल्म में मैं लीड किरदार निभा रही हूं. इस फिल्म में लोगों को पहली बार मेरी ऐक्टिंग में कई तरह के रंग देखने को मिलेंगे.’’
‘संग्राम सिंह फाउंडेशन’ के बारे में पायल रोहतगी ने कहा, ‘‘हमारे देश में क्रिकेट व हौकी के अलावा दूसरे खेलों से लोगों को ज्यादा पैसे नहीं मिल पाते हैं. बाकी खेलों से जुड़े खिलाड़ी मेहनत करते हैं, पर उन्हें मनचाहे पैसे नहीं मिल पाते हैं. नतीजतन, उन्हें कई तरह की पैसे संबंधी मुसीबतों से जूझना पड़ता है. ऐसे खिलाड़ी बड़ी मुश्किल से अपनी रोजीरोटी कमा पाते हैं. हम चाहते हैं कि कुश्ती भी क्रिकेट के आईपीएल की तरह एक मशहूर खेल बन जाए.
‘‘अब तो सलमान खान और आमिर खान जैसे बड़े कलाकारों ने कुश्ती जैसे खेल पर फिल्में भी कर ली हैं. इस से लोगों के बीच एक जागरूकता पैदा हुई है.
‘‘इस फाउंडेशन के तहत हम ने कुछ बच्चों को एडौप्ट भी किया है. संग्राम सिंह बच्चों से बहुत प्यार करते हैं. हम दोनों चाहते हैं कि उभरते हुए उन बच्चों के लिए कुछ किया जाए जो कुश्ती में दिलचस्पी रखते हैं. ‘‘इस फाउंडेशन ने सब से पहले केडी जाधव मैमोरियल टूर्नामैंट कराया था. यह पिछले साल की बात है, जहां हम ने उभरते हुए पहलवानों के मैच कराए थे. जो पैसा जमा हुआ था, वह उन में बांटा गया था.’’
क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों की बदहाली के लिए भारतीय सोच पर बात करते हुए पायल रोहतगी ने कहा, ‘‘यह हमारे देश की बदकिस्मती है वरना कुश्ती भारत देश का सब से पुराना खेल है.
‘‘अफसोस की बात है कि जब दूसरे देशों के खिलाडि़यों ने कुश्ती में नाम कमाया तब हम ने उस पर ध्यान दिया. ‘‘हमारे यहां सब से बड़ी समस्या यह है कि हम लोग सबकुछ बाहर से आयात करना चाहते हैं. हम अपने घर की चीजों की अनदेखी करते हैं. पर जब वह चीज विदेशों में मशहूर हो जाती है, तो हम उसे अपना लेते हैं. यह हमारी भारतीय सोच की कमी है.’’