बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी ने ‘बेंडिट क्वीन’ फिल्म से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा, लेकिन उन्हें पौपुलैरिटी फिल्म ‘सत्या’ से मिली. इस फिल्म ने उन्हें उस समय की सभी बड़े अभिनेताओं की श्रेणी में रख दिया था. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल और तेलगू भाषाओँ में फिल्में की है.

बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक छोटे से गांव से निकलकर यहां तक पहुंचना और कामयाबी हासिल करना मनोज बाजपेयी के लिए आसान नहीं था. साधारण और शांत व्यक्तित्व के मनोज ‘फिल्मों के लिए चूजी’ नहीं, उन्हें जो भी कहानी प्रेरित करती है वे उसे कर लेते हैं. यही वजह है कि उन्होंने हर तरह कि फिल्में की है. उनके इस सफर में उनकी पत्नी नेहा और बेटी का साथ है. जिनके साथ वे क्वालिटी टाइम बिताना पसंद करते हैं.

इतना ही नहीं मनोज को बचपन से कवितायें पढ़ने का शौक है. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में हर तरह की कवितायें पढ़ी है. उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार भी जीता है, पर वे कविता लिखते नहीं. उनका मानना है कि जो कलाकार कविताओं में रूचि रखते है, वे अच्छा अभिनय भी कर सकते हैं. इस समय वे उनकी आने वाली फिल्म ‘अय्यारी’ के प्रमोशन पर है. उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार है.

किसी भी फिल्म की बार-बार रिलीज की तारीख बदलने से उस पर कितना प्रभाव पड़ता है?

असर पड़ता है, क्योंकि निर्धारित समय पर फिल्म के रिलीज होने पर उसका परिणाम अच्छा होता है, लेकिन कुछ कारणों से अगर नहीं हो पाया, तो दिन आगे करना ही पड़ता है, क्योंकि ये व्यवसाय है यहां हर कोई कमाना चाहता है.

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