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हनीमून
उन को भ्रम था कि सुबह का सपना सच होता है. इसलिए अनिष्ट की आशंका से उन की नींद उड़ गई थी. वे पत्नी से बेटी को फोन करने के लिए भी नहीं कह सकते थे क्योंकि यह उन के अहं के आड़े आता.
भाग - 1
काले, बदसूरत आशीष से मुग्धा ने शादी तो कर ली थी लेकिन पति के रूप में उसे अपनाना उस के लिए आसान न था. पर धीरेधीरे मुग्धा पर आशीष की सूरत के बजाय उस की सीरत हावी होने लगी.
भाग - 2
उन्होंने एक बार पति से कहा भी था, ‘जल्दबाजी मत कीजिए. बेटी को संभलने का एक मौका तो दीजिए. लड़के का रंग बहुत काला है. अपनी मुग्धा उस के साथ खुश नहीं रह पाएगी.’
भाग - 3
वह हर क्षण उस के अहं पर चोट पहुंचाती कि वह अब नाराज होगा. परंतु वह अपना हौसला नहीं छोड़ता. उस के चेहरे पर हर पल मुसकराहट बनी रहती. कुछ दिनों बाद एक दिन वह बोला...
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