भारतीय फिल्मों को मुख्यतौर पर 2 धड़ों में बांटा जाता है. पहला व्यावसायिक सिनेमा जिसे चालू और मसाला फिल्मों का सिनेमा भी कहते हैं और दूसरा समानांतर सिनेमा, जो ज्यादातर सामाजिक सरोकार और मुख्यधारा से उपेक्षित विषयों, मसलों व समाज की आवाज को परदे पर उतारता था. जाहिर है इन्हीं 2 धाराओं में न सिर्फ सिनेमा बंटा था बल्कि अभिनेता भी बंटे थे. सुपरस्टार और हीरो की छवि में कैद कलाकार व्यावसायिक सिनेमा के पैरोकार थे तो वहीं गैर परंपरागत चेहरेमोहरे और थिएटर की पृष्ठभूमि से आए कलाकार पैरेलल यानी समानांतर सिनेमा के पैरोकार थे. एक तरफ मसाला सिनेमा जहां दिलीप कुमार, राज कपूर से ले कर खान, कपूर और कुमार सितारों तक सिमटा है तो वहीं समानांतर सिनेमा में नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख, अमोल पालेकर, ओम पुरी, कुलभूषण खरबंदा, नीना गुप्ता, सुरेखा सीकरी, स्मिता पाटिल, शबाना आजमी जैसे अनूठे अभिनेता व अभिनेत्री थे. हालांकि यह विभाजन कई बार धुंधला भी होता है और एकदूसरे धड़े के कलाकार प्रयोगों से गुजरते हैं.

लेकिन सईद जाफरी जैसे कुछ कलाकार ऐसे भी होते हैं जो इन सीमाओं से परे वैश्विक रंगमंच में कलाकार की उस हैसियत को छू लेते हैं जो किसी खास मुल्क या बिरादरी की मुहताज नहीं होती. सईद जाफरी को बतौर कलाकार परिभाषित करना बेहद मुश्किल है. बौलीवुड के शौकीन उन्हें आमिर खान की ‘दिल’ और राज कपूर की फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के मामा कुंजबिहारी की भूमिका के लिए, हास्य रसिक उन्हें ‘चश्मेबद्दूर’ के पानवाला लल्लन मियां के लिए याद करते हैं. लेकिन सईद जाफरी होने का अर्थ सिर्फ हिंदी फिल्में ही नहीं है. अर्थपूर्ण फिल्मों के शौकीनों की नजर में वे महान फिल्मकार सत्यजीत रे की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ के नवाब मिर्जा हैं जो शतरंज की बाजियों में इस कदर मसरूफ हैं कि उन्हें लखनऊ के बदलते सियासी हालात की फिक्र ही नहीं. इंटरनैशनल फिल्म बिरादरी में जो पहचान सईद जाफरी की है वह चंद भारतीय समझते हैं, जो लंदन थिएटर से वाकिफ और हौलीवुड की चालू मसाला फिल्मों से इतर भी अंगरेजी सिनेमा को कुछ समझते हैं. उन्हें वे ‘अ पैसेज टू इंडिया’, ‘द फार पवेलियंस’ और ‘माय ब्यूटीफुल लौंड्रेट’ सहित महान फिल्म ‘गांधी’ के सरदार पटेल की भूमिका के लिए जानते हैं. एक ही दौर में अभिनय के इतने आयामों और अलगअलग देशों में सक्रिय रहे सईद ने 80 और 90 के दशक में न जाने कितने यादगार काम किए हैं. सईद जाफरी की खासीयत यही थी कि वे कला फिल्मों में और बौलीवुड मसाला फिल्मों में उतनी ही शिद्दत से काम करते थे जितना अमेरिका के हौलीवुड और ब्रिटिश फिल्मों, बीबीसी की सीरीज और थिएटर में. चश्मेबद्दूर के शौकीन और दिलफेंक मिजाज पानवाला से ले कर ठसकदार नवाब की भूमिकाएं अदा करने वाले बहुमुखी अभिनेता सईद जाफरी का पिछले दिनों 86 वर्ष की अवस्था में लंदन स्थित आवास पर ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया.

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