हेल्मेट ना पहनने वाले दो पहिया वाहनों और सीट बेल्ट ना लगाने वाले चार पहिया वाहनों पर जुर्माना करके सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाने का दावा किया जा रहा है. राजधानी लखनऊ के गंवई इलाके में सड़क सुरक्षा सप्ताह एक मजाक बन कर रह गया है. राजधानी से 35 किलोमीटर दूर नगराम थाना क्षेत्र में पटवाखेडा गांव में एक पिकअप वाहन जो माल वाहक गाड़ी होती है. 32 लोगों को शादी के समारोह में बाराबंकी जिले से लेकर नगराम गई थी. सुबह उसे माल की ढुलाई करने जाना था.

ऐसे में उसने सभी लोगों को रात में वापस चलने के लिये विवश किया. रात डेढ़ बजे वह लोग घर से निकले और नहर की पटरी के रास्ते सड़क तक पहुंचने लगे. ऐसे में पिकअप नहर में गिर गई और उसके सवार सभी लोग नहर में डूब गये. बड़े लोग तो किसी तरह से पानी में बहने से बच गये पर 7 बच्चे पानी में बह गये, जिनमें से 3 के शव निकाल लिये गये. बाकी के बच्चों का पता नहीं चल सका. दुर्घटना के बाद प्रशासन और सरकार तेजी में आये और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवारों की मदद का दावा किया. इस हादसे के जिम्मेदार वह लोग तो थे ही जिन्होंने ढुलाई के वाहन से यात्रा की. उससे अधिक दोषी सरकार और प्रशासन की है. जिसकी खुली छूट के चलते माल की ढुलाई करने वाले वाहन सवारी ढोने काकाम करते है.

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पूरे प्रदेश की सड़कों पर माल की ढुलाई करने वाले ऐसे तमाम वाहन दिखाई पड़ते है, जो सवारी बैठाने का काम भी करते है. ग्रामीण इलाकों में शादी-विवाह, मेला-ठेला और दूसरे तमाम अवसरों पर ऐसे वाहन खुब सवारी ढ़ोते है. ऐसे वाहनों के चालक ज्यादातर नशा करते है. इसके साथ ही साथ यह लोग प्रशिक्षित ड्राइवर नहीं होते है. ऐसे में दुर्घटना की संभावना अधिक होती है.

नगराम में 7 बच्चों के साथ हादसे में ऐसी वजहें प्रमुख कारण है. जब तक सड़क सुरक्षा सप्ताह के नाम पर केवल तमाशा होगा तब तक ऐसे हादसे रोके नहीं जा सकते. सड़क सुरक्षा सप्ताह में सवारी ढोने वाली माल गाडियों पर रोक लगाना जरूरी है. इसके साथ ही साथ नशे में चालक गाड़ी ना चलाये यह रोकथाम जरूरी है. माल की ढुलाई करने वाली गाडियों के ड्राइवर प्रशिक्षित है या नहीं यह देखना परिवहन विभाग का काम है. गाड़ी की फिटनेस और खराब हालत पर नजर रखना भी सड़क सुरक्षा में ही आता है. केवल सीट बेल्ट और हेलमेट से ही सड़क सुरक्षा सप्ताह पूरा नहीं होगा. सड़क पर हादसों को रोकना है तो पूरे साल सुरक्षा कानूनों का पालन करना होगा.

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