‘जो दिखता है वह बिकता है’ का कॉन्सेप्ट मॉल कल्चर के लिए बहुत मायने रखता है. दुकानों के सामने सिर्फ डिस्प्ले लगाने का दौर अब नहीं रहा. शोरूम्स में हर चीज इतनी सलीके से रखी हुई मिलती हैं कि कस्टमर कोई वस्तु खरीदने जाता है, तो अन्य चीजें भी आकर्षित करने लगती हैं. सेल्समैन से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं पड़ती. दरअसल, यह सब विजुअल मर्चेंडाइजिंग का कमाल है, जो अपने आप में पूरी एक साइंस है यानी स्टोर में प्रोडक्ट को कैसे डिस्प्ले करना है? वॉल पर क्या कलर अच्छा लगेगा? कैसे टारगेट कस्टमर को दुकान या स्टोर के अंदर लाया जाए? ... इत्यादि. इसीलिए विजुअल मर्चेंडाइजर को ‘साइलेंट सेलर’ भी कहा जाता है. रिटेल स्टोर और मल्टी स्टोर का चलन बढ़ने से इस प्रोफेशन की डिमांड बहुत बढ़ गई है.

प्रोफेशनल थीम का जमाना

विजुअल मर्चेंडाइजिंग प्रजेंटेशन का एक आर्ट है, जिससे किसी चीज की छवि बनाई जाती है. दरअसल, यह मार्केटिंग का ही दूसरा रूप है. एक विजुअल मर्चेंडाइजर का मुख्य ध्येय कस्टमर को प्रोडक्ट के प्रजेंटेशन के जरिये लुभाना और उन्हें खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि सेल्स में बढ़ोत्तरी हो.

ऐसा करने के लिए स्टोर में चीजों को क्रिएटिव ढंग से लगाना, विंडो डिस्प्ले, विजुअल डिस्प्ले, कलर ब्लॉकिंग, काउंटर तथा इन-काउंटर डिस्प्ले जैसे तमाम तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं. मॉल या स्टोर के लिए पिक्चर, ब्रॉसर और पोस्टर भी यही लोग तैयार करते हैं ताकि कस्टमर से बिना कुछ बोले कम्युनिकेट किया जा सके. ऐसे प्रोफेशनल थीम के अनुसार अपनी स्ट्रेटेजी बदलते रहते हैं. मसलन, किस मौसम में क्या विंडो थीम रखना है? होली, दीपावली जैसे त्योहारों पर या वैलेंटाइन जैसे मौकों पर स्टोर की विंडो थीम क्या होनी चाहिए?

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