झमाझम बारिश वाला जुलाई का महीना खेती के लिहाज से खासा मुफीद होता है. गरमी की तपती प्यासी जमीन की प्यास सही मानों में जुलाई के दौरान ही बुझती है. गहराई तक पानी समाने के बाद सही मानों में जमीन सोना और हीरेमोती उगलने लायक हो जाती है. भीगेभीगे मौसम का सुकून किसानों के चेहरों पर?भी नजर आता?है और वे पूरी शिद्दत के साथ खेती के कामों में जुटे रहते हैं.
पेश है जुलाई के दौरान होने वाले खेती के खासखास कामों का ब्योरा. सही मानों में जुलाई धान की फसल के लिए जाना जाता है, मगर धान के अलावा भी जुलाई से जुड़े तमाम अहम काम होते?हैं, इन्हीं सब पर एक नजर:
* शुरुआत धान से करें तो इस अहम फसल की रोपाई का काम हर हालत में इसी महीने निबटा लेना चाहिए. उम्दा रोपाई के लिए करीब 3 हफ्ते की पौध का इस्तेमाल बेहतर रहता है.
* धान के पौधों की रोपाई सीधी रेखा में करीब 15 सेंटीमीटर के फासले पर करनी चाहिए. एकसाथ 2 पौधे रोपना बेहतर रहता है.
* धान की रोपाई के बाद 4 दिनों के अंदर खेत में बढ़ने वाले खरपतवारों को खत्म करने का इंतजाम करना जरूरी?है. इस के लिए एनीलोफास 30 ईसी या?ब्यूटाक्लोर 50 ईसी का इस्तेमाल करें.
* आमतौर पर किसान धान की सीधी बोआई करते?हैं, मगर सीधी बोआई का काम 10 जुलाई के आसपास खत्म कर लेना चाहिए.
* धान की सीधी बोआई करने में तो कोई हर्ज नहीं?है, मगर इस में धान की किस्म का खयाल रखना जरूरी है. असिंचित हालत में धान की सीधी बोआई के लिए 90 से 100 दिनों में पकने वाली किस्में मुफीद रहती हैं.
* धान की सीधी बोआई के लिए 70 से 80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.
* बोआई से पहले धान के बीजों को करीब 12 घंटे तक पानी में भिगो कर रखें. फिर बीजों को पानी से निकाल कर 45 घंटे तक
ढेर बना कर रखें, इस दौरान बीजों का अंकुरण हो जाएगा.
* अंकुरण होने के बाद बीजों को सीधी रेखा में 20 सेंटीमीटर का फासला रखते हुए बोएं.
* गन्ने के लिहाज से भी जुलाई की अहमियत होती है. इस महीने गन्ने के खेतों की अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए, वरना फसल पर असर पड़ सकता है.
* बारिश के मौसम में खरपतवार खूब पनपते हैं, लिहाजा गन्ने के खेतों से खरपतवारों को चुनचुन कर निकाल देना मुनासिब रहता?है.
* गन्ने के कीटों के मामले में भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, क्योंकि कीटों का बढ़ता असर गन्ने की क्वालिटी बिगाड़ देता?है.
* गन्ने को तबाह करने वाले तनाबेधक व शीर्षबेधक कीटों की रोकथाम के लिए थायोडान 35 ईसी या नुवाक्रान 40 ईसी दवा का छिड़काव करना चाहिए.
* पाइरिला व सफेद मक्खी से गन्ने को बचाने के लिए मैथालियान 50 ईसी या मेटासिस्टाक्स 25 ईसी दवा का छिड़काव करना कारगर रहता?है.
* अरहर की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों की बोआई अगर अभी तक न की गई हो, तो यह काम जुलाई की शुरुआत में ही यानी पहले हफ्ते के दौरान निबटा लें.
* अरहर की बोआई के लिए 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई करने से पहले बीजों को कार्बंडाजिम से उपचारित करना न भूलें.
* अरहर की बोआई सीधी लाइनों में 45 सेंटीमीटर के फासले से करें.
* उड़द की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों की बोआई के लिहाज से जुलाई का महीना मुफीद रहता?है. 15 जुलाई के बाद उड़द की बोआई की जा सकती?है.
* मूंग की बोआई के लिए भी जुलाई का महीना मुनासिब रहता है. इस की समय पर तैयार होने वाली किस्मों की बोआई महीने के आखिरी हफ्ते में करनी चाहिए. अगर मूंग बोने का इरादा हो, तो समय रहते बोआई निबटा लें.
* सोयाबीन की फसल का वजूद दिनबदिन बढ़ता जा रहा?है. इस की बोआई के लिए भी जुलाई का महीना मुफीद है. 10 जुलाई तक सोयाबीन की बोआई का काम निबटाएं.
* सोयाबीन की बोआई के लिए 80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई 45 सेंटीमीटर के फासले से कतारों में करें.
* जुलाई में तिल की बोआई भी की जाती?है. अगर इस का इरादा हो, तो 15 जुलाई तक यह काम कर डालें.
* तिल की बोआई के लिए 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई कूंड़ों में 30 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए करें.
* मूंगफली की बोआई के लिए भी जुलाई का महीना मुफीद रहता?है. मूंगफली की बोआई 15 जुलाई तक कर लेनी चाहिए.
* मूंगफली की गुच्छेदार किस्मों के लिए 80-90 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई सीधी रेखा में 45 सेंटीमीटर के अंतर पर करें.
* मूंगफली की फैलने वाली किस्मों के लिए 60-80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई सीधी रेखा में 30 सेंटीमीटर के अंतर पर करें.
* मूंगफली के बीजों को बोआई करने से पहले कार्बंडाजिम से उपचारित कर लेना चाहिए. ऐसा करने से जमाव अच्छा होता?है और पौधे स्वस्थ रहते?हैं.
* अगर ज्वार की बोआई बाकी रह गई हो, तो उसे जुलाई के पहले हफ्ते में निबटाएं.
* ज्वार की बोआई के लिए
15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई 45 सेंटीमीटर के फासले पर सीधी लाइनों में करें.
* बैगन की रोपाई का काम 1 से 15 जुलाई के बीच करें. तैयार की गई क्यारियों में 60×60 सेंटीमीटर के फासले पर बैगन की रोपाई शाम के वक्त करें. रोपाई के बाद हलकी सिंचाई करें.
* तनाछेदक व फलछेदक कीड़ों से बैगन को बचाने के लिए सेविन नामक दवा का इस्तेमाल करें.
* तुरई की रोपाई जुलाई के पहले हफ्ते के दौरान 100×50 सेंटीमीटर की दूरी पर करें. बरसात के मौसम वाली इस तुरई के लिए मचान भी बना सकते?हैं.
* खेत की अच्छी तरह तैयारी कर के 60×45 सेंटीमीटर के फासले पर टमाटर की रोपाई करें.
* पहले बोए गए?टमाटर के खेत में ढंग से निराईगुड़ाई करें और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें.
* टमाटर की फसल में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई दें, तो बचाव के लिए इंडोफिल 45 दवा का छिड़काव करें.
* अब तक टमाटर के जो फल तैयार हो चुके हों, उन की तोड़ाई करें और बाजार में भेजने का बंदोबस्त करें.
* जुलाई में शकरकंद की बोआई की जाती?है. इरादा हो तो बाकायदा खेत तैयार कर के 60 सेंटीमीटर के फासले पर लाइनों में शकरकंद की रोपाई करें.
* खीरा वर्ग वाली सब्जियों की क्यारियों की निराईगुड़ाई करें. कीटों से बचाव के लिए सेविन या थायोडान दवा का छिड़काव करें. तैयार सब्जियों की तोड़ाई कर के बाजार भेजें.
* अमरूद, आंवला व नीबू के बाग लगाने के लिए जुलाई का महीना मुनासिब होता है. इच्छानुसार पौधे लगाएं. बाग में पानी की निकासी का इंतजाम सही रखें.
* अंगूर की मध्य समय में पकने वाली किस्मों के फल तैयार हो चुके होंगे, उन्हें तोड़ कर मार्केट भेजें. अगर फल विगलन बीमारी के लक्षण नजर आएं तो उस का इलाज कराएं.
* जुलाई में लीची की रोपाई की जाती?है. लीची के नए पौधे तैयार करने के लिए गूटी बांधने का काम करें.
* जुलाई में केले की रोपाई भी की जाती?है. बाग से केले की रोपाई के लिए तलवार जैसी दिखने वाली पुत्तियों का चुनाव करें.
* बरसात के झमाझम मौसम में अपने मवेशियों का खास खयाल रखें. उन्हें तेज बरसात में लगातार भीगने से बचाएं, वरना बीमार होने का खतरा हो सकता?है.
* बरसात व गरमी के असर से पशु अकसर बीमार पड़ जाते?हैं. जरा भी अंदेशा लगे तो माहिर पशु चिकित्सक से जांच कराएं.
* अपनी गायभैंसों व मुरगेमुरगियों को बारिश के कहर से बचाने का सही बंदोबस्त करें. जरूरत के मुताबिक उन के शेड या आवास की मरम्मत कराएं.
* बारिश के दिनों में तमाम तरह के कीड़ेमकोड़े व सांप वगैरह निकलते रहते?हैं, जो पशुओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. लिहाजा इस मामले में चौकन्ने रहें. पशुओं के रहने
वाली जगह पर रात के वक्त रोशनी का पूरा इंतजाम रखें.
* अगर गाय या भैंस गरमी में आए तो वक्त रहते गाभिन कराने का इंतजाम करें. इस काम के लिए पशुचिकित्सक की मदद लें. ठ्ठ