दा रूलशफा लखनऊ का सब से पौश एरिया है. यहां पर ज्यादातर विधायक ही रहते हैं.

यह उत्तर प्रदेश की विधानसभा के नए लोकभवन के पीछे का इलाका है. दारूलशफा के दूसरी तरफ लखनऊ का सब से पौश हजरतगंज का जनपथ मार्केट है.

दारुलशफा के ही फ्लैट नंबर बी-137 में एटा के एमएलसी व उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव की दूसरी पत्नी मीरा अपने 2 बेटों 27 साल के अभिषेक और 22 साल के अभिजीत यादव उर्फ विवेक के साथ रहती थी. जबकि रमेश यादव 12, कालीदास मार्ग पर अपने सरकारी आवास में रहते थे.

रविवार की सुबह मीरा सो कर उठी तो उसे छोटा बेटा बेहोशी की हालत में मिला. यह देख कर वह घबरा गई. पति से उस की अनबन चल रही थी, इसलिए मीरा ने अपने दूसरे बेटे अभिषेक को फोन किया. अभिषेक यादव उस समय दारूलशफा से कुछ दूरी पर नरही स्थित दूसरे फ्लैट में रहता था. वह तुरंत मां के पास आया और अपने भाई के कमरे में गया. जब उस ने भाई का हाथ पकड़ा तो उस की नब्ज गायब थी. उसे लगा कि वह मर गया है.

सुबह करीब 7 बजे मीरा के फ्लैट पर नौकर गया था. उस ने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया इस के बाद भी मीरा ने दरवाजा नहीं खोला तो नौकर वापस चला गया. इस के बाद ही मीरा ने बड़े बेटे अभिषेक को फोन किया था. अभिषेक के आने के बाद सभी को यह पता चला कि अभिजीत की मौत हार्टअटैक से ही हुई है.

आननफानन में मीरा और उस के परिवार के लोगों ने अभिजीत के दाह संस्कार करने की योजना बना ली. मामले की सूचना दारूलशफा पुलिस चौकी पर मौजूद पुलिस वालों तक पहुंची तो चौकी इंचार्ज ने यह जानकारी हजरतगंज थाने को दे दी. थाने से पुलिस जब दारूलशफा में मीरा के फ्लैट पर पहुंची तो मीरा ने पुलिस को बताया कि अभिजीत की स्वाभाविक मौत हुई है.

मीरा ने पुलिस को बताया कि अभिजीत देर रात घर आया तो उस ने सीने में दर्द होने की बात कही. उसे लगा कि पेट में गैस बन गई होगी. उस ने अभिजीत के सीने पर दवा लगा दी. इस के बाद वह सो गया तो वह भी सो गई. सुबह जब वह सो कर नहीं उठा, तो उस ने बड़े बेटे अभिषेक को बुलाया.

अभिषेक के आने के बाद पता चला कि अभिजीत की मौत हो चुकी है. पुलिस को मीरा और परिजनों ने स्वाभाविक मौत की बात बताई और दाहसंस्कार कराने के लिए मना कर दिया. पुलिस ने भी उन पर मोस्टमार्टम कराने का कोई दबाव नहीं डाला.

इस के बाद घर वाले शव को ले कर दाह संस्कार के लिए बैकुंठधाम के लिए निकल गए. अभी वे लोग घर से एक किलोमीटर दूर सिकंदर बाग चौराहे के नजदीक ही पहुंचे थे कि पुलिस वहां पहुंच गई और उन्हें रोक लिया.

इस बीच पुलिस के बड़े अफसरों को शिकायत मिली थी कि अभिजीत की मौत संदिग्ध है. उस की हत्या की शंका जाहिर की गई थी. इस पर बडे़ अफसरों और लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने शव को दाह संस्कार करने से पहले ही रुकवा दिया. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भेज दिया गया.

रविवार की देर शाम अभिजीत की लाश का पोस्टमार्टम हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि अभिजीत की हत्या गला दबा कर की गई थी.

इस रिपोर्ट के आने के बाद पुलिस ने अभिजीत के बड़े भाई अभिषेक की तहरीर के आधार पर भादंवि की धारा 302 और 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर के मामले की पड़ताल शुरू कर दी.

पुलिस ने परिवार के सभी लोगों से बात की. इस में सब से अधिक संदिग्ध अभिजीत की मां मीरा दिख रही थी. पुलिस पूछताछ में मीरा अलगअलग बयान देने लगी, अपने बयान की पुष्टि के लिए वह कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाई.

ऐसे में पुलिस के शक की पुष्टि हो गई. लखनऊ पुलिस ने घटना के 24 घंटे के अंदर ही अभिजीत की हत्या के आरोप में उस की मां मीरा को गिरफ्तार कर के मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से मीरा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

जांच में पता चला कि मीरा यादव और रमेश यादव की पहली मुलाकात सन 1984 में हुई थी. उस समय रमेश यादव एमएलसी थे. मुलाकात के बाद दोनों करीब आ गए. बाद में रमेश यादव ने मीरा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. मीरा के पिता बैंक में मैनेजर थे. मीरा ने एमए और एलएलबी की पढ़ाई की थी. सन 1986 में दोनों ने शादी कर ली.

इस के बाद रमेश यादव ने उस के रहने की व्यवस्था लखनऊ के दारूलशफा स्थित अपने आवास में कर दी. मीरा 2 बच्चों, अभिषेक और अभिजीत की मां बनी.

मीरा पर्यटन विभाग में क्लर्क के रूप में काम करती थी. लेकिन साल 2012 में रमेश यादव ने उस की नौकरी छुड़वा दी थी. समय के साथ उन के और मीरा के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. वह मीरा को खर्च के लिए पैसे भी कम देते थे.

रमेश यादव खुद कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास में रहते थे. दारूलशफा स्थित आवास में उन का आनाजाना नहीं होता था. रमेश यादव वैसे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला एटा के रहने वाले थे. वह ज्यादातर समय वहीं गुजारते थे. मीरा का बड़ा बेटा अभिषेक कंस्ट्रक्शन का काम करता था. उस ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.

छोटा बेटा अभिजीत अपनी पढ़ाई के साथ दूसरे काम करता था. वह कभी किसी काम में सफल नहीं हुआ था. परेशानी बस यह थी कि वह नशे का शिकार हो गया था. अभिजीत को लगता था कि उसे जितना पैसा मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है.

इसे ले कर उस का अपनी मां के साथ झगड़ा होता था. झगड़े में अभिजीत मां द्वारा रमेश यादव के साथ की गई शादी को ले कर भी ताने मारता और उस के चरित्र पर भी सवाल उठाता था. मीरा को यह बातें बुरी लगती थीं.

मीरा ने अपने गहने बेच कर बेटे को कुछ बिजनेस शुरू कराया पर वह सफल नहीं रहा. दशहरे के दिन भी अभिजीत ने अपनी मां से पैसे मांगे और न मिलने पर झगड़ा किया. इतना ही नहीं उस ने मां को मारापीटा भी था. मीरा भी बारबार पैसे दे कर थक चुकी थी.

लखनऊ के एएसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्रा के अनुसार, पुलिस को दिए गए अपने बयान में मीरा ने कहा, ‘अभिजीत शराब पीने का आदी था. आए दिन शराब पी कर हंगामा करता था. वह रोजरोज के झगड़े से तंग आ चुकी थी.

‘शनिवार की रात करीब 11 बजे अभिजीत शराब के नशे में धुत हो कर घर आया और आते ही गालीगलौज करने लगा. मीरा को लगा कि दशहरे वाले दिन की तरह वह फिर से उस के साथ मारपीट करेगा. उस दिन इस सब से डरी मीरा ने अभिजीत को थप्पड़ मारे और धक्का दे दिया.

‘अभिजीत दरवाजे से टकरा कर नीचे गिर गया. उस के बाद वह दोबारा उठा और मां से हाथापाई करने लगा. तब गुस्से में आ कर मीरा ने उसे दीवार की तरफ धक्का दे दिया. जिस से वह गिर कर बेहोश हो गया. मीरा को लगा कि वह अभी फिर उठेगा और मारपीट शुरू कर देगा. ऐसे में उस ने बेटे के गिरने के बाद अपने दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.’

मीरा ने हत्या का समय रात करीब 12 बजे बताया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उस की मौत का यही वक्त बताया गया था. बेटे को ठिकाने लगा कर वह सोने चली गई.

रविवार की सुबह जब अभिजीत के शरीर में कोई हलचल नहीं दिखी तो मीरा ने समझ लिया कि वह मर चुका है. हत्या के आरोप से बचने के लिए उस ने अपने अपराध को छिपाने की कोशिश शुरू की.

इस काम में मीरा ने सब से पहले अपने दुपट्टे को गैस के चूल्हे पर रख कर जला दिया. अभिजीत की गरदन पर बने निशान को मिटाने के लिए सोफ्रामाइसिन क्रीम लगाई. हजरतगंज पुलिस ने क्रीम और जला हुआ दुपट्टा बरामद कर लिया. एक मां के द्वारा जवान बेटे की हत्या किए जाने की बात पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था. विधान परिषद के सभापति रमेश यादव ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

पुलिस के सामने बेटे की हत्या कबूल करने वाली मां मीरा ने मीडिया के सामने अपना जुर्म कबूलने की बात को गलत बताया. मीरा ने बताया कि अभिजीत ने खुदकुशी की, जिस से उस के गले पर निशान आया.

मीरा ने अपने पति और पुलिस पर खुद को हत्या के आरोप में फंसाने का आरोप लगाया. मीरा ने कहा कि उस ने अभिजीत को नहीं मारा. उस से झगड़ा हुआ था, जिस में उसे चोट लग गई थी. पुलिस ने मीरा को सोमवार 22 अक्तूबर को सीजेएम आनंद प्रकाश सिंह की कोर्ट में पेश किया, जहां से 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

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