क्या आप जानते हैं, धूम्रपान के कारण भारत में हर साल तकरीबन 10 लाख लोगों की जान चली जाती है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे – 4 के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में 13 राज्यों में कराए गए सर्वे के मुताबिक तंबाकू खाने वालों की संख्या 47% के करीब है. वैश्विक स्तर पर लगभग 60 लाख लोग हर साल तंबाकू की बलि चढ़ते हैं, जिन में 10% यानि 6 लाख लोग नौन स्मोकर होने के बावजूद पैसिव स्मोकिंग का शिकार होते हैं.

नयति सुपर स्पेशिएलिटी हौस्पीटल, मथुरा द्वारा कराए गए एक रिसर्च के मुताबिक अकेले प. उत्तर प्रदेश की करीब 21% आबादी तंबाकू के  लत की शिकार है. यह भी पाया गया कि 45 साल या अधिक की आयुवर्ग के लोगों में तंबाकू का प्रयोग आम है जबकि युवा आबादी धूम्रपान की गिरफ्त में है. धूम्रपान करने वाली 55% आबादी की उम्र 25 से 45 साल पाई गई.

बी एल के सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर तपस्विनी शर्मा के मुताबिक़ तंबाकू की लत ओरल कैविटी, कंठनली, ग्रासनली, पेनक्रियाज, आंत और किडनी तथा फेफड़ों के कैंसर का कारण बनती है. तंबाकू की लत का सीधा संबंध सभी तरह के कैंसर से होने वाली लगभग 30 प्रतिशत मौत से होता है. धूम्रपान करने वाले धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में औसतन 15 साल पहले काल का ग्रास बन जाते हैं. सिगरेट, पाइप, सिगार, हुक्का, शीशा पीने और तंबाकू चबाने और सूंघने जैसे तंबाकू सेवन के अन्य तरीके खतरनाक और व्यसनी होते हैं. तंबाकू में मौजूद निकोटिन मस्तिष्क में डोपामाइन एवं एंड्रोफाइन जैसे केमिकल्स का स्तर बढ़ा देता है जिस से इस की लत लग जाती है. ये केमिकल्स आनंद का अहसास कराते हैं और इसलिए तंबाकू उत्पादें की ललक बढ़ जाती है. यदि कोई व्यक्ति इस लत को छोड़ना भी चाहता है तो उसे चिड़चिड़ाहट, बेचैनी, अवसाद और एकाग्रता की कमी जैसी परेशानियों से गुजरना पड़ता है.

तंबाकू और तंबाकू के धुएं में लगभग 4,000 केमिकल्स पाए जाते हैं, जिन में से 250 केमिकल्स जहरीले होते हैं और 60 केमिकल्स कैंसर (कैंसरकारी तत्त्व) का कारण बनते हैं. तंबाकू के धुएं रक्त नलिकाओं को सख्त बना देते हैं जिस से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इस में कार्बन मोनो आक्साइड भी होता है जो रक्त में आक्सीजन की मात्रा घटा देता है. आम तौर पर सिगरेट नहीं पीने वालों के मुकाबले सिगरेट पीने वालों में कोरोनरी आर्टरी रोगों से होने वाली मृत्यु दर 70 प्रतिशत अधिक रहती है. गर्भकाल के दौरान मां के धूम्रपान की लत के कारण समय पूर्व बच्चे का जन्म, बारबार गर्भपात की घटनाएं, मृत शिशु का जन्म और बच्चे का वजन कम होने का खतरा रहता है.

धूम्रपान के कारण पुरुषों में फेफड़े के कैंसर के 90 प्रतिशत मामले जबकि महिलाओं में 80 प्रतिशत मामले देखे गए हैं. तंबाकू का धुआं  नानस्मोकर्स और खास कर बच्चों के लिए भी उतना ही खतरनाक होता है. धूम्रपान करने वाला कोई व्यक्ति न सिर्फ खुद की सेहत को खतरे में डालता है बल्कि उस के आसपास मौजूद लोगों, मसलन सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों, की जिंदगी भी खतरे में डाल देता है और उन्हें कैंसर, हृदय रोग तथा स्ट्रोक एवं फेफड़े का संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा रहता है. धूम्रपान करने वालों के बच्चों में अस्थमा, ब्रोनकाइटिस, साइनस संक्रमण और मानसिक थकान जैसी समस्याएं बढ़ने का खतरा अधिक रहता है. धूम्रपान करने की लत अमूमन किशोरावस्था में ही लगती है और वयस्क होतेहोते लोग इस के आदी हो जाते हैं. इस की लत की चपेट में आने वाले व्यक्तियों को इस बात का एहसास नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं या किस चीज का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन की लत इस हद तक पहुंच जाती है  कि यह उन के शरीर के लिए नुकसानदेह बन जाती है.

बाद में देखा गया कि धूम्रपान की लत प्रोफेशनल्स में बढ़ी है. संभवतः वे बहुत ज्यादा तनाव और काम के दबाव में रहने तथा आर्थिक एवं व्यक्तिगत समस्याओं से घिरे होने के कारण ऐसा करते हैं. भले ही वे कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन खुद का और अपने परिवार का भरणपोषण करने के लिए उन के पास धन पर्याप्त नहीं होता है. कुछ लोगों को गलत शादियां या गलत संबंधों के कारण शारीरिक एवं या जुबानी तकलीफ झेलनी पड़ती है. अपनी नौकरी बनाए रखने के लिए अपना लक्ष्य पूरा करने का दबाव भी उन पर अधिक रहता है. वे देर रात तक काम करते हैं या शिफ्ट में नौकरी करते हैं इसलिए उन की नींद भी पूरी नहीं हो पाती है. इन में से कई प्रोफेशनल्स औफिस जौब करते हैं और ज्यादातर वक्त औफिस के अंदर ही सिमटे रहते हैं. ऐसे लोगों में सुकून का एहसास पाने या कठिन दौर से उबरने के लिए धूम्रपान की प्रवृत्ति देखी गई है.

तंबाकू छोड़ने के उपाय

अगर एक बार किसी व्यक्ति को तंबाकू की लत लग जाती है तो उस व्यक्ति के लिए इसे छोड़ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. व्यक्ति यदि इस को छोड़ने का प्रयास भी करता है तो उसे सिरदर्द, अनिद्रा, तनाव, बेचैनी, हाथपैर कांपने और भूख न लगने की शिकायत या खून की उलटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. तंबाकू छोड़ने के इन प्रयासों को अंग्रेजी में विड्रावल लक्षण कहा जाता है.तब व्यक्ति स्वयं को एक तरह के चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाता है.

ऐसे छोड़ें तंबाकू की लत

·         तंबाकू छोड़ने के लिए सब से जरूरी है, इसे छोड़ने का पक्का फैसला करना.

·         तंबाकू एक झटके में छोड़ना मुश्किल है. धीरेधीरे मात्रा कम करते हुए छोड़ें.

·         अपने मित्रों, परिचितों व रिश्तेदारों को भी बता दें कि आप ने नशा छोड़ दिया है और वे आप को नशा करने के लिए बाध्य न करें.

·         अपने पास सिगरेट, तंबाकू, गुटका, माचिस आदि रखना छोड़ दें.

·         जब आप खुद को सारा दिन व्यस्त रखते हो, तो आप का ध्यान तंबाकू की तरफ जाता ही नहीं.

·         थोड़ा वक्त योगा और प्राणायाम को दें.

·         अच्छा आहार और समय पर आराम जैसी बातों का खयाल रखें.

·         नशा करने वाले दोस्तों की संगत छोड़ दें.

·         तंबाकू छोड़ने के लिए आप बिना शुगर वाली चुइंगम/मुलेठी आदि चबाते रहे. फिर आप को तंबाकू की तलब नहीं लगेगी.

·         जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो तो जीभ पर थोड़ा नमक रख लें.

डॉक्टर तपस्विनी कहती हैं किधूम्रपान से छुटकारा पाने के लिए दवाइयां और व्यवहार थेरापी भी एक उपचार विकल्प हो सकता है. हालांकि धूम्रपान त्यागने में सफलता पाने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति सब से जरूरी होती है. इन सभी बातों को देखा जाए तो इस बुराई से लड़ने का सब से अच्छा तरीका इस से बचना ही है. जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मजबूत एंटीस्मोकिंग मीडिया कैंपेन एक अच्छा प्लेटफार्म हो सकता है.

स्कूलों में धूम्रपान न करने की शिक्षा भी दी जानी चाहिए जहां बच्चे बड़ी आसानी से प्रभावित हो जाते हैं. अपने घरों, सार्वजनिक स्थलों, सिनेमाघरों, रेस्तराओं, सार्वजनिक वाहनों में धूम्रपान पर प्रतिबंध जैसी सामाजिक पहल से जागरूकता बढ़ाई जा सकती है कि तंबाकू का सेवन एक लत है और इस से धूम्रपान के सेवन में कमी लाई जा सकती है. हमें धूम्रपान त्यागने की शपथ खुद के लिए, अपने देश के लिए और अपनी आगामी पीढ़ी के लिए जरूर लेनी चाहिए.

सरकारी प्रयास

नाबालिगों को धूम्रपान, तंबाकू और गुटके के नुकसान से बचाने के लिए भारत सरकार ने इन्हें बेचना गंभीर अपराध घोषित किया है. दिसंबर 2015 में भारतीय संसद में पास हुए नए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के मुताबिक़ किसी नाबालिग को तंबाकू के उत्पाद बेचना  दंडनीय अपराध माना जाएगा और दोषी को 7 लाख तक की जेल व अधिकतम 1 लाख तक  का जुर्माना लगेगा.

तंबाकू उत्पादों की बढ़ती खपत पर अंकुश लगाना अब जरूरी हो गया है. फिजिशियनों की सलाह पर धूम्रपान त्यागने की सफलता दर बढ़ी है और धूम्रपान करने वालों की काउंसिलिंग तथा उन्हें सहयोगी संस्थाओं और कार्यक्रमों से जोड़ने पर भी सफलता मिली है.

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