बिहार के करीब तीन दशक पुराने चारा घोटाले की फाइलों को लेकर अब नया घोटाला हो गया है. पशुपालन विभाग के विधि शाखा से चारा घोटाले से जुड़ी कई महत्वपूर्ण फाइलें गायब हो गई हैं. विभाग की 3 अलमारियों का ताला तोड़ कर चोरों ने बड़ी ही सफाई से घोटाले से जुड़े दस्तावेजों को गायब कर दिया. चारा घोटाले के आरोपी कई नेताओं, वेटनरी डाक्टर और अराजपत्रित मुलाजिमों के खिलाफ चल रही न्यायिक और विभागीय जांच की फाइलें चोरी हो गई हैं.

विभाग से फाइलों के चोरी होने की बात को विभाग के आला अफसरों ने दबा कर रखा और गुपचुप तरीके से फाइलों की खोज की गई, पर फाइलें नहीं मिल सकीं. थक-हार कर सचिवालय थाना में चोरी की एफआईआर दर्ज की गई. विभाग की अलमारी से करीब 300 फाइलों की चोरी हुई है. विभागीय सचिव राधेयाम साह ने बताया कि एफआईआर कराने के साथ ही मामले की जांच के लिए 3 सदस्यों की जांच कमिटी बनाई गई है. इसके साथ ही सचिव यह भी दावा कर रहे हैं कि चोरी हुई फाइलों में चारा घोटाले से जुड़ी फाइलें नहीं हैं. अधिकतर फाइलें वेटनरी डाक्टरों की मांगों से जुड़ी थी. वहीं पशुपालन मंत्री अवधेश कुमार सिंह बताते हैं कि विभागीय मुकदमों से जुड़ी फाइलों की चोरी हुई है, पर उन्होंने भी चारा घोटाला की फाइलों के चोरी होने से इंकार कर दिया.

गौरतलब है कि जनवरी 1996 में 950 करोड़ रूपए के चारा घोटाले का भंडाफोड़ हुआ था. उस समय उपायुक्त रहे अमित खरे ने पशुपालन महकमे के दफ्तरों पर छापा मार कर खुलासा किया था कि चारा सप्लाई के नाम पर फर्जी कंपनियों के ओट में करोड़ों रूपयों की हेरापफेरी हुई है. बाद में इस घोटाले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया था. 17 साल तक की जांच और अदालती सुनवाई के बाद लालू समेत पहले के मुख्यमंत्री और जदयू नेता जगन्नाथ मिश्रा, जदयू सांसद जगदीश शर्मा, राजद विधयक आरके राणा समेत 32 आरोपियों को सजा मिली है.

1996 में 950 करोड़ रूपए के जिस चारा घोटाला का पर्दाफाश हुआ था, उसके 1 केस चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी का मामला, केस नंबर- आरसी 20ए/1996 का फैसला सुनाया जा चुका है और लालू को 5 साल की कैद की सजा मिली है. गौरतलब है कि 10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा था कि 2 साल या इससे ज्यादा सजा पाने वाले नेता 6 सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. इस लिहाज लालू यादव  साल 2023 तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं

फिलहाल तो चारा घोटाले के 1 ही मामले में फैसला आया है और 5 मामलों में फैसला आना बाकी है.  केस नंबर- आरसी 38ए/1996 ; दुमका ट्रेजरी 3 करोड़ 97 लाख का घोटाला, आरसी- 47ए/1996 ; डोरंडा ट्रेजरी 184 करोड़ का घोटाला, आरसी- 64ए/1996 ; देवघर ट्रेजरी 97 लाख का घोटाला, आरसी- 68ए/1996 ; चाईबासा ट्रेजरी 32 करोड़ का घोटाला और आरसी-63ए/1996 ; भागलपुर ट्रेजरी के घोटाले का फैसला आना अभी बाकी ही है.

कुल 64 मामलों पर 17 साल तक चले सीबीआई जांच में कुल 56 लोगों के खिलाफ आरोप साबित किया गया. इनमें से 7 आरोपियों की मौत हो चुकी है.  475 पेज के फैसले में इस केस की सुनवाई के दौरान 7 जज बदले गए और आखिरकार आठवें जज प्रभास कुमार सिंह ने फैसला सुनाया. 950 करोड़ के चारा घोटाला की जांच में सीबीआई ने 622 करोड़ के घोटाले को सही पाया. साल 1996 में तब बिहार के डीसी रहे अमित खरे ने घोटाला का केस दायर किया था. चारा घोटाले के फंदे में 9 राजनेता, 7 आईएएस अपफसर, 1 आईआरएस अफसर, 66 ट्रेजरी अपफसर और पशुपालन महकमे के 197 अफसर फंसे थे.

चारा घोटाला के मामले में लालू यादव कई दफे जेल के अंदर जा चुके हैं और जमानत पर बाहर निकल चुके हैं. सबसे पहले 30 जुलाई 1997 को केस नंबर- 20ए/1996 में मामले में 134 दिनों तक जेल में रह चुके हैं. उसके बाद केस नंबर-64ए/1996 मामले में 28 अगस्त 1998 को जेल भेजे गए और 73 दिनों के बाद बाहर आए. 5 अप्रैल 2000 को 36 दिनों तक जेल में कैद रहे और पिफर 28 नबंबर 2000 को केस नंबर-5ए/1998 के मामले में 1 दिन के लिए जेल में रहे. केस नंबर-47ए/1996 के मामले में 26 नबंबर 2001 को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाएं गए और 59 दिनों तक अंदर रहे.

भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार हों पर असल में राजपाट लालू यादव ही चला रहे हैं. अपनी सरकार ही है तो फाइलों को गायब करना कौन सी बड़ी बात है? इस चोरी से जनता के बीच यही मैसेज जा रहा है कि लालू ने अपने बचाव के लिए ही फाइलों को गायब करवाया है, इस मामले की सही और तेज जांच के बाद ही चोरों का खुलासा हो सकेगा.

20 सालों से गायब है लालू के पीए

लालू यादव जब बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उनके पीए मुकुल कपूर की तूती बोलती थी. वह 1990 से 1996 तक लालू की आंख और कान रहे. चारा घोटाले का खुलासा होने के बाद से लेकर आज तक 20 सालों से ज्यादा समय बीत गया पर मुकुल कपूर का अता-पता नहीं चल सका है. सीबीआई खाक छानती रह गई पर मुकुल को ढूंढ नहीं सकी है. सीबीआई ने जब मुकुल के घर पर छापा मारा था तो उसे एक डिजिटल डायरी हाथ लगी थी, जिसमें चारा सप्लायरों का जिक्र था और सभी के नाम और एकाउंट नंबर दर्ज थे. माना जाता है कि लालू के इशारे पर ही मुकुल गायब हो गए. कई बार उन्हें पटना और दिल्ली में देखे जाने की हवा उड़ती रही. यह भी हवा है कि वह उत्तराखंड में नाम और चेहरा बदल कर रह रहा है, पर सीबीआई उस तक पहुंच पाने में नाकाम ही रही है.

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