वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत प्रस्तावित जीएसटी की दर यथासंभव कम रखने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी बिल को संसद के आगामी मॉनसून सत्र के दौरान पास कराने की कोशिश करेगी. कुछ अनुमानों में कहा गया है कि जीएसटी लागू होने से देश का जीडीपी 2% तक बढ़ जाएगा.

संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, के अनुसार, जीएसटी काउंसिल टैक्स रेट की सिफारिश करेगी. काउंसिल में केंद्रीय वित्त मंत्री, राजस्व राज्य मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री होंगे. जेटली ने मेक इन इंडिया सेमिनार में जापानी निवेशकों से कहा, 'मैं नहीं जानता कि जीएसटी काउंसिल किस रेट की सिफारिश करेगी. फाइनेंस मिनिस्ट्री की एक एक्सपर्ट कमेटी सहित कुछ विशेषज्ञ समितियों ने अपनी सिफारिशें दी हैं. मुझे विश्वास है कि हम दरों को यथासंभव कम रखने की कोशिश करेंगे.'

इस सेमिनार का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने मिलकर किया था. यह सत्र अगले महीने शुरू होगा. विपक्षी कांग्रेस ने जीएसटी बिल को समर्थन देने के लिए तीन शर्तें रखी हैं. उसका कहना है कि जीएसटी रेट की लिमिट संविधान संशोधन विधेयक में 18% तय की जाए और इंटर-स्टेट सेल्स पर 1% के अतिरिक्त टैक्स को हटाया जाए.

कांग्रेस पर राज्यसभा में इस बिल की राह में रोड़ा डालने के आरोप लगते रहे हैं, हालांकि ऐसी ही हरकतें विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने भी इस बिल पर की थीं. जेटली ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि यह बिल पास हो जाएगा. आंकड़े जीएसटी के पक्ष में हैं. संविधान संशोधन पर मुहर लगने के बाद तीन और कानूनों को पास करने की जरूरत होगी, दो केंद्र सरकार से और एक राज्यों की विधानसभाओं से.'

भारत को निवेश के लिए आकर्षक बताते हुए जेटली ने कहा कि सरकार ने कई रिफॉर्म किए हैं और यह प्रक्रिया जारी रहेगी. उन्होंने कहा, 'अगले कुछ वर्षों में इंडिया में कई रिफॉर्म होने हैं.' जेटली ने कहा कि इस साल सामान्य से बेहतर मॉनसूनी बारिश होने का अनुमान है और ऐसा होने पर देश और तेजी से विकास करेगा. जेटली ने कहा कि सरकार ने देश में बिजनेस करने के नियम आसान किए हैं और नीतियों में निरंतरता की स्थिति बनाई है. उन्होंने कहा, 'सरकार ने वादा किया है कि किसी भी कानून को बीच में ही नहीं बदला जाएगा.'

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