पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर कुछ ज्यादा ही गंभीरता से एक्टिव रहने वाले क्रिकेटर गौतम गंभीर ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. वे आखिरी बार 6 दिसंबर से शुरू हो रहे रणजी ट्रॉफी के मुकाबले में आंध्र प्रदेश के खिलाफ खेलने उतरेंगे. दिल्ली के उन के होम ग्राउंड फिरोजशाह कोटला मैदान पर एक तरह से यह उन का फेयरवेल मैच होगा.
गौतम गंभीर का क्रिकेट को अलविदा कहने का तरीका भी बड़ा शानदार रहा. उन्होंने इस संन्यास के बाद अपने एक भावुक वीडियो संदेश में कहा जिस के अंश कुछ इस तरह हैं, ‘दोस्तो, अपना कीमती समय देने के लिए आप का शुक्रिया. आज मैं आप लोगों के साथ कुछ शेयर करना चाहता हूं जिस के बारे में मैं बहुत दिनों से सोचविचार कर रहा था, पर कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.
‘यह विचार मेरे दिमाग में दिनरात चल रहा था. यह विचार मुझे वैसे ही परेशान कर रहा था, जैसे हवाई सफर के दौरान कोई एक्स्ट्रा लगेज आप के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. यह विचार अभ्यास के दौरान भी मेरे साथ रहता, मुझे किसी गेंदबाज की तरह धमकी देता रहता था. कभीकभी तो यह विचार मेरे रात के खाने को बेस्वाद बना देता था. ग्राउंड, ड्रेसिंगरूम से ले कर वॉशरूम तक यह विचार मुझे डराता था.
‘जब भी मैं बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरता, चाहे वह भारत के लिए हो, कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए या फिर दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए, यह विचार परेशान करने वाले एक शोर के रूप में बदल जाता और वापस ड्रेसिंगरूम लौटने तक मेरे कानों में चिल्लाता, ‘इट इज ओवर गौती’ (अब अंत आ चुका है गौती). ( गौतम गंभीर को उन के चाहने वाले गौती कहते हैं).
‘जब 2014 के आईपीएल सीजन में मैं लगतार 3 मैचों में बिना खाता खोले आउट हो गया था, तब इस विचार ने मेरा मजाक उड़ाया और मेरे ऊपर जोरजोर से हंसा. उसी साल इंगलैंड के दौरे पर भी मैं बुरी तरह नाकाम रहा और एक बार फिर इस विचार ने मुझे डराया. साल 2016 में एक बार फिर मैं अपने घुटनों पर था. इंगलैंड के खिलाफ राजकोट टैस्ट मैच के बाद मुझे टीम से बाहर कर दिया गया था.
‘मैं अपना आत्मविश्वास वापस पाने की कोशिश कर रहा था लेकिन यह विचार एक शोर बन कर मेरे कानों में गूंज रहा था और मुझे परेशान कर रहा था. बारबार कह रहा था.
‘लेकिन मैं ने हार मानने से इनकार कर दिया. मैं इस विचार को, इस शोर को हराना चाहता था जिस के लिए मैं ने अपने शरीर को बहुत ज्यादा कष्ट दिया. मैं ने कठिन ट्रेनिंग शुरू की. मेरे ट्रेनर्स ने मुझ से कहा कि इस उम्र में मैं जोखिम ले रहा हूं. मैं इस तरह आहार लेता था, जैसे मैं कंगाल हो गया हूं और मेरे पास खाने तक के पैसे नहीं हैं…
‘साल 2017 के डोमेस्टिक सीजन में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद मैं इस साल के आईपीएल सीजन में पूरे आत्मविश्वास के साथ खेलने के लिए उतरा था. मेरे पैरों में नई जान आ गई थी, मेरा दिमाग पूरी तरह खुल गया था. मेरा बल्ला समंदर की लहरों की तरह गरज रहा था.
‘मैं ने सोचा कि उस डरावने विचार को मैं ने मार दिया था. लेकिन मैं गलत था. दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए 2017 के आईपीएल में 6 मैच खेलने के बाद वह डरावना विचार फिर से मेरे कानों में शोर करने लगा. इस बार यह शोर पहले से भी ज्यादा डरावना था. शायद मेरा समय ख़त्म हो चुका था. हां, मेरा समय खत्म हो चुका था इसलिए आज मैं आप के सामने हूं. तकरीबन 15 साल तक अपने देश के लिए खेलने के बाद आज मैं क्रिकेट के इस खूबसूरत खेल को अलविदा कह रहा हूं…
‘2 विश्व कप और दोनों ही विश्व कप के फाइनल में अपनी टीम के लिए सब से ज्यादा रन बनाना किसी भी क्रिकेटर के लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है. मैं ने सिर्फ एक ही सपना देखा था, वह सपना था आप लोगों के लिए विश्व कप जीतना. मुझे लगता है कि कोई था जो मेरे जीवन की पटकथा लिख रहा था, लेकिन शायद अब उस के पेन की स्याही खत्म हो गई है.
‘लेकिन उस ने जितना भी लिखा है, उन में कुछ अध्याय बेहद ही शानदार हैं जिस में से दुनिया की नंबर एक टैस्ट टीम का हिस्सा होना भी शामिल है. एक ऐसी ट्रॉफी जिसे पाने की मैं ने हमेशा तमन्ना की थी, वह थी ‘आईसीसी टैस्ट बैट्समैन आॅफ द ईयर’, जिस से मुझे 2009 में नवाजा गया. यह एक ऐसे बल्लेबाज का सम्मान था, जिसे हमेशा पता रहता था कि उस का आॅफ स्टंप कहां है.
‘न्यूजीलैंड में टैस्ट सीरीज और आॅस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज जीतना मेरे कैरियर की कुछ बेहतरीन उपलब्धियों में शामिल है…
‘मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं अपने कैरियर से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं. लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि मैं इस से ज्यादा पाने के योग्य था. मैं ने अपने क्रिकेटिंग कैरियर में कई यादगार साझेदारियां निभाई हैं. लेकिन आप लोगों के साथ, भारतीय क्रिकेट फैंस के साथ जो साझेदारी बनी है उस से अहम कुछ भी नहीं है. एक क्रिकेटर के लिए आप लोग ही सब से अहम साझेदार हो… मुझे लगता है कि आप लोग ही तो हैं जो किसी भी क्रिकेटर को एक खास पहचान दिलाते हैं इसलिए मैं आप लोगों को अपने क्रिकेटिंग कैरियर में साझेदार मानता हूं…
‘मैं ने जिस भी टीम से खेला उस का सपोर्ट करने के लिए मैं आप लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं. मैं कोलकाता के अपने फैंस को खासतौर पर धन्यवाद कहना चाहता हूं. कोलकाता के साथ मेरा प्यार हमेशा के लिए बना रहेगा. मैं उन सभी पिच क्यूरेटर्स, ग्राउंड स्टाफ, ड्रेसिंगरूम स्टाफ के सदस्यों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो बहुत कम के बदले में एक क्रिकेटर को बहुतकुछ देते हैं.
‘मैं नेट प्रैक्टिस के दौरान मुझे गेंदबाजी करने वाले उन सभी गेंदबाजों का भी शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने एक बेहतर बल्लेबाज बनने में मेरी मदद की. वे सब बहुत दूर से सिर्फ नेट में मुझे प्रैक्टिस कराने आते थे.
‘मेरे कोच संजय भारद्वाज हर हालत में चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे. मैं जब भी परेशानी में पड़ता था, उन्हें याद करता था. सर, मुझे नहीं पता कि मैं ने अपने खेल से आप को गौरवान्वित किया या नहीं लेकिन मैं इतना कहना चाहूंगा कि मेरे अंदर जितनी प्रतिभा थी उस का सौ फीसदी मैं ने क्रिकेट के मैदान पर दिया.
‘संजय सर ने ही मुझे दूसरे कोचों से भी मिलाया जिन में पार्थसारथी शर्मा सर भी शामिल हैं जो अपनेआप में बल्लेबाजी के एक पूरे संस्थान हैं. स्पिन गेंदबाजों को खेलने की मेरी काबिलियत का सारा श्रेय उन को जाता है…
‘आस्ट्रेलिया के पूर्व टैस्ट ओपनर जस्टिन लैंगर ने भी मेरे कैरियर में मेरी बहुत मदद की. मैं ने साल 2015 में उन से सलाह मांगी था और उन्होंने दिल खोल कर मेरी मदद की. उन की तरफ से बाद में मुझे ढेर सारी तारीफ भी मिली…
‘मैं भारतीय क्रिकेट टीम, कोलकाता नाइट राइडर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स और दिल्ली स्टेट टीम के उन सभी कोचों का भी शुक्रगुजार हूं, जिन के संपर्क में मैं आया. उन सभी का मेरी बल्लेबाजी और मेरे व्यक्तित्व पर गहरा असर है.
‘मैं ने अपने साथी क्रिकेटर्स से बहुतकुछ सीखा है. मैं उन सभी को मिस करूंगा. धन्यवाद दोस्तो, आप सभी मेरे लिए हमेशा परिवार का हिस्सा रहेंगे.
‘आखिरी में मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे इतना प्यार दिया. मेरा इतना सपोर्ट किया. मैं अपने मातापिता, दादादादी, दोनों मामा और मामी, मेरी पत्नी और मेरी दोनों प्यारी बेटियों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरे सारे नखरे और मूड स्विंग्स को बिना कुछ कहे झेला.
‘मैं अंत में अपनी मां का धन्यवाद कहना चाहूंगा, जिन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचाना और मुझे पहली बार 10 साल की उम्र में क्रिकेट एकेडेमी ले कर गईं. उस के बाद सब इतिहास में दर्ज हो चुका है. मेरे हर खराब दौर में मेरी मां मेरे साथ थीं. मैं अपना सारा गुस्सा भी उन्हीं पर निकालता था. इस के लिए मैं आप से माफी मांगता हूं मां.
‘मेरे क्रिकेट खेलने का दबाव मुझ से ज्यादा मेरे पिता पर रहता था. उन्होंने मुझ से कभी कहा तो नहीं लेकिन उन के साथी मुझ से बताया करते थे. मैं जब भी बल्लेबाजी करता था वे टीवी नहीं देखते थे. डैड, अब आप भी थोड़ा सहज महसूस करेंगे.
‘मेरे मामा जिन्होंने एक क्रिकेटर के रूप में मुझे गढ़ा, मेरे पीछे एक खंभे की तरह खड़े रहे. वे शब्दों में बहुत कम जाहिर करते थे लेकिन एक्शन से बहुतकुछ कह देते थे. उन्होंने मेरे लिए जो भी किया उस की कभी बराबरी नहीं की जा सकती, न ही उस का आकलन किया जा सकता है. मैं उम्मीद करता हूं कि मैं आप की उम्मीदों पर खरा उतरा होउंगा. मैं बिना आप की इजाजत के यह कहना चाहूंगा कि मैं आप की सब से बड़ी उपलब्धि हूं. धन्यवाद मामा.
‘मैं अपने दूसरे मामा और मामी का भी शुक्रगुजार हूं, जो बुरे समय में हमेशा मेरे साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहे. मैं अपनी एकलौती बहन एकता से अधिकतर बार रक्षाबंधन पर उस के साथ नहीं रहने के लिए माफी मांगता हूं.
‘मैं अपने दोस्तों दिनेश और विवेक को भी धन्यवाद देता हूं जो हमेशा मेरे लिए दुआ करते थे. मैं तुम दोनों को दोस्त के रूप में पा कर खुद को भाग्यशाली मानता हूं. दिनेश को खासकर जिस ने मेरी हर बदतमीजी को बिना कुछ कहे बर्दाश्त किया है.
‘मैं अपनी पत्नी नताशा को खासतौर पर याद करता हूं. वही थी जो मेरे मूड स्विंग्स के सामने हमेशा खुद को खड़ा पाती थी. दुख की बात यह है कि वह अच्छे से ज्यादा बुरे समय में मेरी साझेदार रही. मेरे साथ मेरी शक्ति बनने के लिए तुम्हारा शुक्रिया नताशा…
‘आंध्र प्रदेश के साथ अगला रणजी मैच मेरे क्रिकेटिंग कैरियर का आखिरी मुकाबला होगा. वहीं पर अंत होगा जहां से सबकुछ शुरू हुआ था, फिरोजशाह कोटला क्रिकेट स्टेडियम… एक बल्लेबाज के रूप में मैं ने हमेशा समय की इज्जत की है. मुझे पता है कि यह सही समय है. गुड बाय एंड गुड लक.’