अग्रो फोबिया पर आधारित सायकोलॉजिकल रोमांचक फिल्म ‘‘फोबिया’’ की कहानी महक (राधिका आप्टे) के इर्द गिर्द घूमती है, जो कि एक पेंटर है. मगर एक रात टैक्सी ड्रायवर द्वारा यौन प्रताड़ना के बाद उसे अग्रो फोबिया हो जाता है. उसे घर से बाहर निकलने में डर लगता है. महक को अजीबोगरीब दौरे पड़ने लगते हैं. उसकी बहन अनु और उसका दोस्त शान (सत्यदीप मिश्रा) उसे लेकर काफी परेशान हैं. यह लोग महक को स्वस्थ कराने के लिए मनोवैज्ञानिक डाक्टर की मदद लेते हैं. एक डॉक्टर महक पर वर्च्युअल रियालिटी टेक्नोलॉजी का उपयोग करती है.पर कोई फायदा नहीं होता.
अंततः चार माह बाद शान, महक को लेकर किराए के मकान में रहने जाता है. उसका मानना है कि घर व माहौल बदलने से महक जल्दी ठीक हो जाएगी. इस मकान में पहले जिया नामक एअर होस्टेस किराएदार थी, जिसके पड़ोस में रहने वाले मनु (अंकुर विकल) के साथ प्रेम संबंध थे. दोनो ने सगाई कर ली थी. पर पेशे से आर्किटेक्ट मनु की प्रताड़ना के कारण जिया दूसरी जगह रहने चली जाती है. महक को देखकर मनु को लगता है कि जिया वापस आ गयी है. पर शान उसे समझाकर उसके घर भेज देता है. अब मनु बार बार अपने घर की दीवार पर ठोकता रहता है, यह आवाज महक को परेशान करती रहती है. धीरे धीरे महक की दोस्ती उसी इमारत में रहने वाली राजनीति षास्त्र की पढ़ाई कर रही लड़की निक्की से हो जाती है.
जब शान घर में नही होता, तब महक को जिया की डायरी मिल जाती है. वह जिया की डायरी पढ़कर अनुमान लगाती है कि जिया की हत्या हुई है. फिर उसे अपने घर में कई अजीबोगरीब चीजें दिखाई देने लगती हैं. उसे फ्रिज के फ्रीजर में कटी हुई इंसानी उंगली दिखायी देती हैं. एक दिन वह देखती है कि एक लड़की बाथरूम के बाथटब से घायल अवस्था में बाहर निकलने का प्रयास कर रही है. पर वह निकल नही पाती. वह डर जाती है. तभी शान आ जाता है. शान उसे समझाता है ऐसा कुछ नहीं है. पर महक सोचती है मनु ने जिया की हत्या की है. शान को महक की बातों में यकीन नहीं है. एक दिन महक,निक्की के साथ मिलकर योजना बनाती है और जब मनु अपने घर से चला जाता है, तो निक्की,मनु के घर के अंदर तलाशी लेकर उस कटर ब्लेड को पा जाती है, जिसे महक ने देखा था.
बीच में मनु आ जाता है, तो निक्की की जान बचाने के लिए महक किसी तरह मनु को अपने घर के अंदर बंद कर देती है. शान आकर मनु को आजाद करता है. दिवाली की रात निक्की व महक की जिद पर घर के अंदर अजीबोगरीब नाटक रचा जाता है. निक्की व महक का मानना है कि जिया की आत्मा को बुलाकर उससे उसकी हत्या के बारे सच पता चल जाएगा. पर उसी वक्त खुद जिया आ जाती है और पता चलता है कि जिया की हत्या ही नहीं हुई. मनु व जिया के बीच सुलह हो जाती है. अब शान को महक पर गुस्सा आ जाता है. शान, महक को समझाने का प्रयास करता है और फिर वह सब कुछ महक के साथ होता है, जो कि वह अब तक घर के अंदर देखती रही है.
महक की उंगली कट जाती है और फिर वह घायल अवस्था में बाथटब में गिर जाती है. शान उसकी उंगली को फ्रीजर में रखने जाता है. उसी वक्त महक बाथटब से निकलकर आती है. उसी वक्त जबरन घर के अंदर निक्की आ जाती है. शान उसे रोकने का प्रयास करता है. हादसा घटित होता है और निक्की को चोट लगती है. वह बेहोश हो जाती है. इधर महक घर से निकलकर इमारत के लॉन में पहुंचती है, जहां लोग पटाखे फोड़ रहे होते हैं. महक के गिर जाने पर लोगों का ध्यान जाता है. कुछ लोगों के हाथ उसका हाथ पकड़कर उठाना चाहते है, तो एक तस्वीर बनती है. यह वही तस्वीर है, जिसे पेंटर के तौर पर महक ने बनाया था.
यह एक डरावनी रोमांचक फिल्म है. फिल्म की शुरूआत बहुत धीमी गति से होती है. पर इंटरवल के बाद फिल्म गति पकड़ती है, मगर उसकी पकड़ ढीली हो जाती है. अग्रो फोबिया से आम दर्शक परिचित न होने के कारण वह समझ ही नहीं पाता कि महक के साथ यह क्या हो रहा है. पर महक जो कुछ अहसास करती है, वह जिस तरह से डरती है, वह सब दर्शक भी अहसास करता रहता है. इस तरह का किरदार निभाना हर कलाकार के बस की बात नहीं हो सकती, मगर राधिका आप्टे ने जबरदस्त परफार्मेंस से महक के किरदार व फिल्म की विषयवस्तु को जीवंतता प्रदान की है. राधिका आप्टे के उत्कृष्ट अभिनय के चलते दर्शक महक की पीड़ा व दर्द का अहसास कर पाता है.फिल्म को डरावना बनाने में साउंड ने भी अहम योगदान दिया है.
‘फोबिया’ से लेखक व निर्देशक ने साबित कर दिखाया कि आत्मा, चुड़ैल और तांत्रिक के बिना भी एक अति डरावनी फिल्म बन सकती है. फिल्म का नकारात्मक पक्ष यह है कि अग्रो फोबिया से पीड़ित महक जो कुछ सोचती है या देखती है, उसके माध्यम से निर्देशक कहना क्या चाहता है, यह स्पष्ट नही होता. जिया के गायब होने का रहस्य भी अजीबोगरीब तरीके से सुलझाया गया है. फिल्म खत्म होने पर लगता है जैसे कि इंटरवल से पहले निर्देशक ने जो कुछ रचा था, उसे वह इंटरवल के बाद ठीक से समेट नही पाया. सब कुछ समेटने की जल्दी नजर आती है. इसमें कुछ दोष पटकथा लेखक का भी नजर आता है.
पटकथा लेखक विक्की रजानी साधुवाद के पात्र हैं. फिल्म के निर्देशक ने बेहतरीन काम किया है. जब महक पर पैनिक अटैक पड़ता है, तो उस दर्द का अहसास दर्शक भी करता है. पार्श्वसंगीतकार के साथ ही कैमरामैन ने भी उत्कृष्ट काम किया है. फिल्म का निर्माण ‘नेक्स्ट जनरेशन फिल्मस’ और ‘ईरोज इंटरनेशनल’ ने मिलकर किया है. निर्देशक पवन कृपलानी, पटकथा लेखक विक्की रजानी तथा कलाकार हैं-राधिका आप्टे, सत्यदीप मिश्रा, अंकुर विकल व अन्य.