राजदेव रंजन मर्डर केस की गुत्थी सुलझाने में लगी बिहार पुलिस के माथे पर तब पसीने की बूंद छलछला आई, जब उसे इस बात का संकेत मिला कि इस मर्डर के तार सिवान जेल में बंद राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन से जुड़ रहे हैं. 18 मई को जब पुलिस ने इस तार का ओर-छोर ढ़ूंढने के मकसद से सिवान जेल में छापा मारा, तो छापामारी में शमिल तमाम अफसर भौचक रह गए. जेल के भीतर शहाबुद्दीन का ‘जनता दरबार’ चल रहा था और वह सिवान के बड़े कारोबारी और राजद कार्यकत्ताओं की फरियाद सुन रहे थे. सिवान  में ‘साहेब’ के नाम से मशहूर बाहुबली नेता शहाबुद्दीन का पिछले 25 सालों से जिला पर ‘राज’ चल रहा है.

छापामारी में राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से मिलने आए 50 लोगो को हिरासत में ले लिया गया. पूछताछ के बाद 44 लोगों को पीआर बौंड पर छोड़ दिया गया. पौने 3 घंटे तक चली छापामारी में 49 मोबाइल फोन जब्त किए गए. जब्त किए गए सभी मोबाइल को पुलिस ने सर्विलांस पर रखा है और उनके कौल डिटेल को खंगाला जा रहा है. दोपहर 12 बजे छापामारी शरू हुई और 2 बजकर 45 मिनट तक चली. सिवान के डीएम महेंद्र कुमार और एसपी सौरव कुमार साह की अगुवाई में हुई छापामारी में पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में सिवान जेल कनेक्शन की पड़ताल की गई. पुलिस को सूचना मिली थी कि बड़ी संख्या में मुलाकाती शहाबुद्दीन से मिलने जेल पहुंचे हैं. बुधवार को शहाबुद्दीन से मिलने का दिन रहता था और काफी लोग उनसे मिलने पहुंचते हैं.

गौरतलब है कि मुलाकातियों को जेल के भीतर मोबाइल फोन ले जाने की मनाही है, इसके बाद भी 49 मोबाइल फोन जेल के भीतर कैसे पहुंच गए? पुलिस सूत्रों के मुताबिक हत्या के दिन घटनास्थल से किसी को सिवान जेल से 36 बार कौल किया गया था. उस मोबाइल का अंतिम लोकेशन उत्तर प्रदेश में मिला है. पुलिस की जांच में पता चला कि उस सिंम को फर्जी आईडी पर लिया गया था.

जेल में शहाबुद्दीन के जनता दरबार चलने के खुलासे के बाद फजीहत से बचने और अपनी नाक बचाने के लिए राज्य सरकार ने आनन-फानन 19 मई को सुबह तड़के 3 बजे शहाबुद्दीन को भागलपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया. जेल आईजी आनंद किशर ने बताया कि रात 12 बजे यह फैसला लिया गया कि पूर्व सांसद को सिवान से बाहर दूसरे जेल में भेजा जाए. उसके बाद ही 2 बजे उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच भागलपुर जेल भेज दिया गया है.

सिवान जेल में बंद राजद के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन से पिछले दिनों राज्य सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल गफूर की मुलाकात के बाद से ही बिहार की सियासत गरमाई हुई थी. उसके कुछ दिनों बाद ही राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शहाबुद्दीन को शामिल करने पर भी काफी शोर-शराबा हुआ था. भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि जेल में बंद आपराधिक चरित्र के लोगों का महिमामंडन किया जा रहा है और सुशासन का ढोल पीटने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खामोश हैं.

गौरतलब है कि साल 2005 में राष्ट्रपति शासन के दौरान सिवान के एसपी संजय रत्न ने 24 अप्रैल 2005 को शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर में छापा मार और भारी संख्या में हथियार, गोला-बारूद, चोरी की गाड़ियां, और विदेश मुद्राएं बरामद हुई थी. लंबे समय तक फरार रहने के बाद 6 नबंबर 2005 को पुलिस ने शहाबुद्दीन को दिल्ली में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद से आज तक वह जेल में बंद हैं. उन्हें 4 अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. राज्य के 34 थानों में उनके खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज हैं.

एक बाहुबली से राजनेता बनने तक शहाबुद्दीन की जिंदगी काफी उतार चढ़ाव से भरी रही है. 10 मई 1967 को सिवान जिला के हुसैनगंज प्रखंड के प्रतापपुर गांव में जन्मे शहाबुद्दीन ने कौलेज में पढ़ाई के दौरान ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. 1986 में हुसैनगंज थाना में शहाबुद्दीन पर पहला केस दर्ज हुआ था. सिवान की राजनीति पिछले 25 सालों से उनके ही इर्द-गिर्द घूमती रही है. लोक सभा चुनाव, विधान सभा चुनाव से लेकर पंचायत चुनाव में उनकी ही तूती बोलती थी.

साल 1990 में सिवान के डीएवी कौलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद शहाबुद्दीन राजनीति में उतरे और भाकपा और भाकपा माले से टक्कर लेते रहे. 1990 में जीरादेई विधान सभा सीट से पहली बार निर्दलीय विधायक बनने के बाद वह लालू प्रसाद यादव की पार्टी में शमिल हो गए. 1995 में दुबारा जीरादेई सीट से विधान सभा का चुनाव जीता. साल 1996 में जनता दल की टिकट पर सिवान लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंच गए. उसके बाद 1998, 1999 और 2004 में भी वह सिवान सीट से सांसद बने. सिवान के विधान सभा सीटों, विधान परिषद की सीट, नगर परिषद से लेकर जिला परिषद तक के चुनावों में शहाबुदीन की ही तूती बोलती रही है.

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