देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है. चुनाव किसी भी प्रदेश में हो उत्तर प्रदेश के नेताओं का दखल वहां प्रमुखता से रहता है. कर्नाटक चुनाव में सरकार बनाने के खेल में उत्तर प्रदेश के नेताओं की भूमिका असरदार रही.

अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में उत्तर प्रदेश के नेता स्टार प्रचारक होंगे. केन्द्र और प्रदेश में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी तीन राज्यों के चुनाव में अपने धर्मिक एजेंडा सबसे उपर रखना चाहती है. इस काम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पार्टी के सबसे बड़े मददगार होंगे. उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्मिक एजेंडा को बनाये रखने के लिये ही ‘अर्ध कुंभ’ का नाम बदल कर ‘कुंभ’ कर दिया. ‘इलाहाबाद’ का नाम बदल कर ‘प्रयागराज’ कर दिया. कुंभ स्नान करने वालों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लोग बहुतायत होते हैं.

अपने पहनावा, पहचान और बातचीत के अंदाज से ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धर्मिक एजेंडे को पूरा कर देते हैं. उनको धर्म पर कोई बयान देने की भी जरूरत नहीं पड़ती, उनके बिना बोले ही भाजपा का धर्मिक एजेंडा पूरा हो जाता है. वैसे तो उमा भारती भी उसी अंदाज में रहती हैं पर विधानसभा चुनावों के प्रचार में जो महत्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है वह उमा भारती का नहीं है. जबकि उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और केंद्र सरकार में मुख्यमंत्री हैं.

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता में उत्तर प्रदेश के नेताओं का क्रेज अधिक है. वह केवल योगी आदित्यनाथ को ही नहीं समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती का भी है. योगी आदित्यनाथ की तरह ही यह नेता भी वहां मशहूर हैं. विधानसभा चुनावों के प्रचार में यह नेता भी वहां पर स्टार प्रचारक होंगे. बसपा नेता मायावती 25 अक्टूबर से तीन राज्यों में अपना चुनावी प्रचार शुरू करेंगी. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वह 36 रैलियां करेगीं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 23 अक्टूबर से ही अपना छत्तीसगढ़ दौरा शुरू कर रहे हैं. वह 2 नवम्बर को राजस्थान का दौरा भी करेंगे. भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री,  भाजपा अध्यक्ष के बाद सबसे अधिक डिमांड योगी आदित्यनाथ की  है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के भाजपा मुख्यमंत्रियों डाक्टर रमन सिंह, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान से ज्यादा योगी आदित्यनाथ वहां डिमांड में हैं. सपा नेता अखिलेश यादव भी जल्द ही इन राज्यों में चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे. इन राज्यों के विधानसभा चुनावों की हार और जीत का प्रभाव लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा. ऐसे में कोई भी पार्टी अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है.

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