वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक शशांक मनोहर को निर्विरोध आईसीसी का पहला स्वतंत्र चेयरमैन चुना गया जिन्होंने दो दिन पहले बीसीसीआई अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. आईसीसी की पूर्ण परिषद ने बोर्ड द्वारा प्रस्तावित संवैधानिक सुधारों को मंजूरी दे दी जिसके बाद 58 बरस के मनोहर का चयन किया गया.

मनोहर ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. वह आईसीसी के पहले स्वतंत्र चेयरमैन हैं और उनका दो साल का कार्यकाल तुरंत प्रभाव से शुरू होगा. चुनाव प्रक्रिया के तहत आईसीसी के सभी निदेशकों को एक व्यक्ति को नामित करने का अधिकार था जो आईसीसी का मौजूदा या पूर्व निदेशक होना चाहिये. दो या अधिक पूर्ण सदस्य निदेशकों के सहयोग से नामित व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार होगा जो 23 मई तक पूरे हो जाने चाहिये.

आईसीसी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि मनोहर इस पद के लिये अकेले उम्मीदवार थे लिहाजा उनका चयन निर्विरोध हुआ है. चुनावी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे ऑडिट कमेटी के स्वतंत्र अध्यक्ष अदनान जैदी ने प्रक्रिया पूरी होने का ऐलान किया और मनोहर को विजयी बताया गया. मनोहर पहले 2008 से 2011 तक बीसीसीआई अध्यक्ष रहे. जगमोहन डालमिया के निधन के बाद उन्हें अक्तूबर 2015 में फिर चुना गया और इसी के आधार पर वह तब से आईसीसी चेयरमैन थे.

मनोहर ने कहा ,‘ आईसीसी का अध्यक्ष चुना जाना फक्र की बात है और मैं आईसीसी निदेशकों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरी क्षमताओं पर भरोसा जताया. मैं बीसीसीआई में अपने सभी साथियों का भी धन्यवाद देता हूं जिन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर मेरे कार्यकाल में सहयोग किया.’  

उन्होंने कहा ‘अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए यह रोमांचक समय है चूंकि हम 2014 के संवैधानिक सुधारों की व्यापक समीक्षा कर रहे हैं. अंतिम लक्ष्य खेल का विकास है और मैं सभी संबंधित पक्षों के साथ मिलकर काम करना चाहता हूं ताकि गौरवशाली इतिहास और समृद्ध परंपरा के धनी इस खेल के भविष्य का खाका खींचा जा सके.’ नये स्वतंत्र चेयरमैन के पद के लिये पूर्ण परिषद ने सोमवार को आईसीसी संविधान में विभिन्न संशोधनों को मंजूरी दी . इसके तहत अध्यक्ष का पद 2016 से खत्म हो जाएगा.

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले के बाद भारतीय क्रिकेट को पाक साफ करने का बीड़ा उठाने वाले मनोहर ने सात महीने के कार्यकाल के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष पद छोड़ दिया. उन्होंने ऐसे समय में पद छोड़ा है जब उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जस्टिस लोढा समिति ने बीसीसीआई में आमूलचूल सुधारों की सिफारिश की है.

हालांकि आपको बता दें कि अपने इस्तीफे के बाद मनोहर ने एक चौंकाने वाला बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था. उन्होंने कहा, 'मैं मौजूदा हालात में काम नहीं कर सकता था. मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि मुझे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया.'

उन्होंने कहा, 'मैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहना चाहता कि मैं बीसीसीआई को अपनी शर्तों पर चलाना चाहता था. मैं अपनी छवि को बर्बाद नहीं करना चाहता था. मैं बोर्ड को दूसरों के प्रभाव में आकर नहीं चलाना चाहता था.'

नागपुर के रहने वाले पेशे से वकील मनोहर ने पिछले साल अक्टूबर में जगमोहन डालमिया की मौत के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की थी. 58 वर्षीय मनोहर ने साफ कर दिया कि वह बीसीसीआई के संचालन से खुश नहीं थे.

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