हाल ही की एक रिसर्च मे यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं 5 साल या उस से ज्यादा समय तक नाईट शिफ्ट में काम करती हैं, दिन में 9 से 5 बजे तक काम करने वाली महिलाओं की तुलना में, उन्हें दिल के रोग की वजह से मौत होने का खतरा ज्यादा होता है. नर्सों, डाक्टरों, काल सेंटर कर्मचारियों के साथ ही हास्पिटैलिटी इंडस्ट्री में महिलाओं को रात में काम करना पड़ता है.

जामा में प्रकाशित नर्सेस हैल्थ स्टडी के मुताबिक दिन के साथसाथ रात में काम करने वाली महिला नर्सों को कारनरी दिल के रोग होने का खतरा ज्यादा है. इस स्टडी के दौरान दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार पारंपरिक खतरों को भी ध्यान रखा गया है. 300000 नर्सों और पूर्व नर्सों पर हुई इस स्टडी में पाया गया है कि जिन नर्सों ने 10 या उस से ज्यादा साल नाईट शिफ्ट में काम किया है उन्हें, उन महिलाओं की तुलना में जिन्होंने इतने लंबे समय के लिए नाईट शिफ्ट में लगातार काम नहीं किया, कार्नरी दिल के रोग होने का खतरा 15 प्रतिशत या उस से भी ज्यादा है. युवा महिलाओं को यह खतरा ज्यादा है.

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इस संदर्भ में एचसीएफआई के अध्यक्ष और आईएसए के सेक्रेटरी, ‘डा. केके अग्रवाल’ कहते हैं कि रात को काम करने की वजह से कर्मचारियों पर तनाव का दबाव बढ़  जाता है. इस वजह से वह सिगरेट और शराब, अस्वस्थ जंक और अत्यधिक ट्रांस फैट युक्त भोजन के आदि हो जाते हैं. उन्हें अकसर व्यायाम करने का वक्त नहीं मिल पाता और उन की नींद का पैटर्न भी अनियमित हो जाता है. यह सब चीजें मिल कर डायबिटीज, हाईपरटैंशन और मोटापे का कारण बनती हैं, जो दिल के रोगों का प्रमुख कारण है. इस के साथ ही रात में काम करने  से महिलाएं डिप्रैशन में चली जाती हैं. माएं और पत्नियां अपने बच्चों और परिवार की रोजाना जीवन की बातों को जान नहीं पाती. वह दिन में सोती हैं जिस वजह से वह सामाजिक जिम्मेदारियों को निभा नहीं पातीं. नर्सों और डाक्टरों की साप्ताहिक छुट्टी का कोई निश्चित दिन नहीं होता जिस से उन के जीवन में अनिश्चितता आती है और उन में तनाव और अकेलापन बढ़ जाता है.

रात के समय काम करने के साईड इफैक्ट्स को कम करने के लिए रोजाना जीवन में कुछ बदलाव करने जरूरी हैं जिस के लिए परिवार और दोस्तों की समझदारी और सहयोग की जरूरत पड़ती है.

पहली और सब से जरूरी बात यह है कि घर का माहौल ऐसा हो कि वह दिन में 6 से 8 घंटे आराम से सो सकें. यह दिन की नींद केवल एक झपकी नहीं है बल्कि रात की पूरी नींद का विकल्प है इसलिए यह गहरी और शांतमयी होनी चाहिए.

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– काम के बाद एक घंटा आराम करें, चाहे दिन हो या रात, आराम देने वाला संगीत या गुनगुने पानी से स्नान मदद कर सकता है.

-सप्ताह के सातों दिन हर वक्त का खाना एक ही समय पर खाएं इस से शरीर की घड़ी सही काम करती रहती है.

-सब्जियां, मूंगफली का मक्खन क्रैकर्ज के साथ, फल आदि उच्च प्रोटीन वाले आहार खाएं ताकि आप सतर्क रह सकें.

-सोने से पहले एल्कोहल युक्त चीजें न लें.

-काफी, चाए, कोला और दूसरे कैफीन युक्त पेय से बचें जो नींद में बाधा डालते हैं. काफी बे्रक के समय संतरे का रस पिएं और चहलकदमी करें. शारीरिक गतिविधियां जगाए रखने में मदद करती हैं.

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– खाली पेट सोने से बचें. अगर खाने का मन न हो तो एक ग्लास दूध या डेयरी उत्पाद लें, जिन से अच्छी नींद आती है.

-सोने के कमरे में अंधेरा हो या आरामदायक आंखों का कवच पहनें. आंखें बंद होते हुए भी रौशनी के प्रति संवेदनशील होती है जो आप को नींद आने में बाधा बनती हैं या भरपर नींद लेने में रुकावट पैदा करती हैं.

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– दिन के शोर को बंद करें जो आप की आरामदायक गहरी नींद को खराब कर सकता है.

-एक दिन छोड़ कर ही सही लेकिन व्यायाम जरूर करें.

– जुकाम और एलर्जी की उन दवाओं से सावधान रहें जिन में नींद से जुड़े साईड इफैक्ट होते हैं.   

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