भारत की सबसे बड़ी सिगरेट बनाने वाली कंपनी आईटीसी ने अपनी सभी फैक्ट्रियों में उत्पादन फिर से बंद कर दिया है. कंपनी ने कहा है कि 85% चित्रात्मक चेतावनी के अनुपालन को पूरा करने तक उसके कारखाने बंद रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इसी हफ्ते तंबाकू कंपनियों को बड़ी चित्रात्मक चेतावनी के नियम को लागू करने का निर्देश देते हुए मैन्युफैक्चरर्स की इसके क्रियान्वयन पर रोक की अपील को ठुकरा दिया. नए सिगरेट पैकेजिंग नियम एक अप्रैल से लागू हुए हैं.
4 मई से बंद किए कारखाने
आईटीसी ने बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा कि इस बीच उसने 4 मई से सिगरेट कारखानों को बंद कर दिया है. कंपनी के ये कारखाने उस समय तक बंद रहेंगे जब तक कि वह इस नियम का अनुपालन नहीं कर लेती. पिछले महीने आईटीसी ने अपने कारखानों में सिगरेट का विनिर्माण फिर शुरू कर दिया था. बड़ी चित्रात्मक चेतावनी के आदेश के विरोध में कंपनी ने एक अप्रैल को उत्पादन बंद किया था.
क्या आदेश दिया था सुप्रीम कोर्ट ने?
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सिगरेट और तंबाकू कंपनियों को बड़ा झटका दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कंपनियों को तत्काल प्रभाव से तंबाकू प्रोडक्ट पैकेट के 85 फीसदी हिस्से को ग्राफिक हेल्थ वॉर्निंग से कवर करना होगा.कंपनियों को इस मामले में केंद्र सरकार के इंस्ट्रक्शन को लागू करना होगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को कर्नाटक हाईकोर्ट के पास भेज दिया है. आईटीसी ने कहा कि जब तक कर्नाटक उच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती वह अपनी कंपनियों में उत्पादन बंद रखेगी.
स्वास्थय मंत्रालय ने जारी किया था नोटिफिकेशन
– सिगरेट और दूसरे तंबाकू प्रोडक्ट्स (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नियम, 2014 को लागू करने के लिए हेल्थ मिनिस्ट्री ने नोटिफिकेशन जारी किया था.
– कंपनियों को इसे 1 अप्रैल से लागू करना था. हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने इंटरिम इंस्ट्रक्शन में इस नियम को लागू करने पर स्टे लगा दिया था.
– आईटीसी समेत कई बड़ी कंपनियों ने अपनी सभी यूनिट बंद करने का फैसला किया था.
– इससे देश में सिगरेट का प्रोडक्शन काफी हद तक बंद हो गया है.
हर दिन 350 करोड़ का नुकसान
1 अप्रैल से चित्रात्मक चेतावनी के नए नियम आने से आईटीसी समेत तमाम बड़ी कंपनियों ने सिगरेट का उत्पादन बंद कर दिया था. माना जा रहा है कि इससे रोज 350 करोड़ रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है. कंपनियों का कहना है कि वे चित्रात्मक चेतावनी पहले से ही छाप रहे हैं. नए नियम में स्पष्टता नहीं है.