उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के ब्लाक सल्टौआ गोपालपुर के गांव घवखास के रहने वाले 58 साल के किसान जगदत्त सालों से गन्ने की खेती कर रहे थे, लेकिन गन्ना मिलमालिकों की मनमानी और सरकार की लापरवाही से ऊब कर उन्होंने गन्ने की खेती छोड़ कर दूसरी नकदी फसलों की खेती करने की ठानी जो कम समय और कम लागत में ही ज्यादा मुनाफा दें. यह बात 4 साल पहले की है, जब उन्होंने गन्ने की खेती को?छोड़ कर सब्जी की खेती करने की ठानी.
इस से पहले उन्होंने सब्जी की खेती कभी नहीं की?थी. इसलिए सब्जी की फसल की शुरुआत करने से पहले वे बस्ती की सब्जी मंडी गए जहां उन्होंने अलगअलग सब्जियों के आढ़तियों से सब्जी की मांग, उपलब्धता व बाजार भाव की जानकारियां लीं. किसान जगदत्त को लोबिया के एक आढ़ती ने बताया कि उस के यहां साल भर लोबिया की आवक होती है, जिस की मांग और बाजार भाव दोनों हमेशा ऊंचा रहता है. इस के बाद जगदत्त ने सब्जी की अन्य किस्मों व उन के बाजार भाव की भी जानकारी ली.
मंडी से वापस लौटते समय जगदत्त लोबिया की खेती का मन बना चुके थे. इस के लिए उन्होंने रास्ते में पड़ने वाली बीज की एक दुकान पर लोबिया की किस्मों व उस की खेती की जानकारी ली और वे लोबिया की उन्नतशील किस्म काशी कंचन का 2.5 किलोग्राम बीज ले कर घर आए. इस के बाद लोबिया की खेती के बारे में ली गई जानकारी के अनुसार उन्होंने जून के महीने में लोबिया के बीजों का शोधन कर उन की अपने खेत में रोपाई कर दी. 2 बीघे खेत में उन्होंने देशी खाद डाल कर बताई गई विधि के अनुसार लोबिया की बौनी किस्म की बोआई कर दी.
जब उन की बोई गई लोबिया की फसल में तकरीबन 50 दिनों बाद फलियां तोड़ने लायक हो गईं तो उन्होंने पहली बार 1 क्विंटल फलियों की तोड़ाई कर के उन्हें खुद बाजार में बेचा, जहां उन्हें तकरीबन 3 हजार रुपए की आमदनी हुई. पहले दिन इतना सारा पैसा देख कर उन का उत्साह दोगुना हो गया. वे अपनी फसल की और अच्छी तरह देखभाल करते रहे और तैयार फसल को बाजार में बेचने ले जाते रहे. इस से उन्हें 4 महीने में ही तकरीबन 20 क्विंटल लोबिया की उपज मिल चुकी थी, जिस से तकरीबन 60 हजार रुपए की आमदनी हुई. इस प्रकार लागत को छोड़ कर उन्हें 4 महीने में 50 हजार रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ.
इस के बाद जगदत्त ने लगातार सब्जी की खेती करने का मन बना लिया. जब 4 महीने बाद उन की लोबिया की फसल कट गई तो उन्होंने गरमी के लिए दोबारा फरवरी माह में लोबिया की बोआई की. लेकिन इस बार अलग हट कर खेती की. उन्होंने लोबिया की बौनी किस्म काशी कंचन को नीचे बो कर अपने खेत में बांस का मचान बना कर उस पर लता वाली फसल लौकी की फसल लेना शुरू किया. उन का कहना?है कि अगर फसल में किसी तरह के कीट या बीमारियां दिखाई देती हैं तो वे जानकारों से पूछ कर कीट बीमारियों का प्रकोप फैलने से पहले ही रोकथाम कर लेते हैं. वे कहते?हैं कि 4 साल पहले उन्होंने गन्ने की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती का जो निर्णय लिया था, वह बेहद ही सफल रहा. उन का कहना है कि सब्जी की खेती में गन्ने की खेती के मुकाबले मेहनत व लागत कम है. सब्जी की बिक्री के लिए मिलों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. अगर आप की सब्जी की फसल अच्छी है, तो वह हाथोंहाथ बिक जाती है.