मौडलिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता जौन अब्राहम पहले कई म्यूजिक वीडियो में दिखाई दिए. इसके बाद उन्होंने एक मीडिया फर्म ज्वाइन कर कुछ दिनों तक काम किया. बाद में आर्थिक तंगी के कारण कम्पनी बंद हो जाने की वजह से उन्होंने मीडिया प्लानर के रूप में दूसरे कंपनी में काम किया. साल 1999 उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था, जब उन्होंने ग्लैडरैग्स मैनहंट कौंटेस्ट जीता और मैनहंट इंटरनेशनल के लिए फिलिपिन्स गए और सेकेंड रनर अप रहे. यहीं से वे मौडलिंग में प्रसिद्द हुए. देश और विदेश में उन्होंने खूब मौडलिंग की.

फिल्मों में उनका करियर फिल्म ‘जिस्म’ से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने अभिनेत्री बिपाशा बसु के साथ अभिनय किया. उनकी भूमिका को सराहना मिली. इसके बाद फिल्म ‘धूम’ में उन्होंने निगेटिव भूमिका निभायी. फिल्म बौक्स औफिस पर हिट रही और उनका नाम नामचीन एक्टरों की सूची में शामिल हो गया. साल 2012 में उन्होंने फिल्म ‘विकी डोनर’ बनायीं, जो एक सफल फिल्म रही. अभी जौन फिल्म ‘सत्यमेव जयते’ के प्रमोशन पर हैं. उनसे मिलकर बातचीत हुई, पेश है अंश.

इस फिल्म में क्या खास बात है जिससे आप उत्साहित हुए?

ये एक एक्शन फिल्म है. मुझे फिर से इस तरह की फिल्म में काम करने का मौका मिल रहा है. फिल्म परमाणु और मद्रास कैफे के बाद फिर से एक्शन फिल्म में काम करना मेरे लिए बेहद खुशी की बात है, लेकिन इसकी अधिकतर शूटिंग रात को होती थी, जिससे मुझे थोड़ी मुश्किल हो जाया करती थी, पर काफी समय बाद एक कमर्शियल फिल्म बनी है. इसमें रोमांस, एक्शन और ड्रामा सबकुछ है. इसकी कहानी से मैं बहुत प्रेरित हूं. जिस बात को ये फिल्म कहना चाहती है, उससे मैं अपने आपको रिलेट कर सकता हूं. मेरे पिता ने भी न कभी रिश्वत लिया है और न दिया है. एक समय था, जब उनके पार्टनर ने उन्हें धोखा दिया था. उस वक्त भी उन्होंने मुझसे कहा था कि चाहे कुछ भी हो जीवन में हमेशा इमानदार रहना.

फिल्म का कौन सा भाग कठिन था?

मैं हमेशा समय से सोता हूं और समय से उठता हूं, लेकिन इस फिल्म का 80 प्रतिशत सीन्स रात का था. इसे करते हुए तीसरे दिन मैं बीमार पड़ गया और डाक्टर को बुलाना पड़ा. फिर पता चला कि मेरी पूरी बौडी सायकिल औफ हो गई है. मैंने फिल्म साईन की है और मना नहीं कर सकता था. फिर मैं मनोज बाजपेयी के पास गया और उन्हें कुछ कहने को कहा. यही सबसे कठिन भाग था. इसके अलावा निर्धारित समय 47 दिनों में हम सभी ने फिल्म शूट कर डाली.

एक्शन के अलावा आप किस तरह की फिल्में करना पसंद करते हैं?

मुझे कौमेडी बहुत पसंद है. जल्दी मैं फिर से वैसी फिल्म करने वाला हूं. मुझे लोगों को हंसाना पसंद है. फिल्म ‘गरम मसाला’ मेरी पसंदीदा फिल्म है. अक्षय कुमार और मैं साथ में फिर से काम करना चाहते हैं. कौमेडी फिल्म करना सबसे कठिन काम है. टाइमिंग अगर सही हो, तभी मजा आता है.

आपने इतने सालों तक इंडस्ट्री में काम किया है, अपनी जर्नी को कैसे देखते हैं? क्या कुछ मलाल रह गया है?

मैंने सब तरह की फिल्म की है. वाटर, काबुल एक्सप्रेस, गरम मसाला, देसी ब्वायज, हाउसफुल 2 आदि. मैं अभिनेता और प्रोड्यूसर होने के नाते अधिक कंटेंट क्रिएट करना चाहता हूं और सिनेमा में विभिन्नता लाना चाहता हूं. आमिर खान फिल्मों में हमेशा से ही विभिन्नता लाने में समर्थ रहे हैं. मुझे भी वैसी ही फिल्में बनाने की इच्छा है.

पहले की फिल्म और आज की फिल्मों में कितना बदलाव आया है?

बदलाव अधिक नहीं है, आजकल हर तरह की फिल्में बन रही हैं, जो अच्छा दौर है. मेरे हिसाब से प्रोड्यूसर बनने के बाद मुझमें एक आत्मविश्वास आ गया है. मुझे अभी असफलता से कोई परेशानी नहीं, जो पहले होती थी. अभी मेरे जीवन का सबसे अच्छा समय चल रहा है, जब मैं अपने हिसाब से फिल्में बना सकता हूं और जितने भी निर्देशक जो असफल होने के बाद भी मेरे पास आये, मैंने उनकी फिल्में की, क्योंकि मुझे फैल्योर से कोई समस्या नहीं. मैं उन एक्टरों में से नहीं हूं, जो सिर्फ बड़े निर्देशक के साथ काम करना चाहता हो. मैं किसी का ‘पास्ट’ नहीं देखता.

आगे की फिल्में कौन सी है?

अभी मेरी फिल्म रोमियो अकबर वाल्टर, रौ और बाटला हाउस है.

आप बचपन में कैसे थे?

मैं बहुत शरारती था. पिता बहुत स्ट्रिक्ट थे, मां गुस्सा होने पर झाड़ू से हम दोनों भाइयों को मारती थीं. बहुत ड्रामा चलता था.

आप बाइक के बहुत शौकीन हैं कितनी बाइक अभी तक आपने खरीदी है?

मुझे कौलेज लाइफ से ही बाइक का शौक था, मैंने अपने छोटे भाई से पैसे उधार लेकर पहली बाइक खरीदी थी. मेरी सफलता को मैं मोटरसायकल से ही नापता हूं. मैंने बहुत सारे मोटरसायकल बांट दिए हैं. अभी तक मैंने 300 मोटरसायकल खरीदे हैं.

आप फिल्मों में स्टंट करते हैं उसे देखकर यूथ भी ऐसा करते हैं, जिससे कई दुर्घटनाएं हो जाया करती हैं उनके लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

सभी स्टंट एक्सपर्ट की निगरानी में किया जाता है. इसे आप कभी न दोहराएं. ये एक क्रिएटिव आस्पेक्ट है, जिसका प्रयोग फिल्म को बेहतर बनाने कर लिए किया जाता है.

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