नाग और नागिन को लेकर अब तक हौरर या प्रतिशोध लेने वाली फिल्में ही बनती आई हैं, मगर पहली बार लेखक व निर्देशन के क्षेत्र में कदम रख रहे पति पत्नी प्रीति प्रकाश की जोड़ी नाग नागिन को ही केंद्र में रखकर वर्तमान समय के हालातों को देखते हुए एक सामाजिक संदेश परक फिल्म ‘‘नागमणि-नाग का गहना’’लेकर आ रहे हैं.

‘‘मां कैलादेवी फिल्मस’’ के बैनर तले बाबू राजोरिया निर्मित इस फिल्म में इस बात को रेखांकित किया है कि कि वर्तमान समय में पैसा कमाने की अंधी दौड़ में नई पीढ़ी किस तरह अपने जमीर को बेच रही है. खुद फिल्म की कहानी व पटकथा लेखक तथा निर्देशक जोड़ी की प्रीति कहती हैं- ‘‘यूं तो हमारी फिल्म ‘नागमणि-नाग का गहना’ में मुख्य तौर से एक नाग-नागिन के प्यार की कहानी है. कई बार लोग मजाक-मजाक में ऐसी बात बोल देते हैं, कि कभी-कभी वह सच भी हो जाती है और फिर उससे विभिन्न समस्याएं उपजती हैं. एक बार नागिन भी मज़ाक में ऐसी ही कुछ बात बोल जाती है, जिसके चलते बहुत सारे घटनाक्रम बन जाते हैं. इसके अलावा वर्तमान में देष व समाज में जो देखने-सुनने मिल रहा है कि लोग खासतौर से युवा पीढ़ी पैसे कमाने के लिए किस तरह गिर रहे हैं, किस तरह अपने जमीर को बेच रहे हैं, यही इसमें फोकस किया गया है.’’

निर्देशक जोड़ी प्रीति प्रकाश के प्रकाश मूलतः बुलंदशहर (उ.प्र.)निवासी हैं. वह तकरीबन 10-12 साल पहले फिल्में में गीत लिखने का सपना लेक मुंबई पहुंचे थे. पर सफलता न मिलते देख उन्होंने दक्षिण भारतीय भाषा की फिल्मों के हिंदी में डबिंग राइट्स लेकर हिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रदर्शित करना शुरू कर दिया. इससे उन्होने धन व शोहरत दोनो कमाई. इसी दौरान दिल्ली से मुंबई आकर लेखक के तौर पर संघर्ष कर रही प्रीति से प्रकाश की मुलाकात हुई. समान रचनात्मक रूचि के चलते दोनो करीब आ गए और शादी कर ली. आज इनके दो बेटे हैं. अब अपनी निर्देषक जोड़ी बनाकर बतौर निर्देषक पहली फिल्म ‘नागमणि-नाग का गहना’लेकर आ रहे हैं.

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