पूर्वकथा :
मोहित की पहली मुलाकात जहां कौल सैंटर वाली सुमिता से होती है वहीं दूसरी बार वह स्विट्जरलैंड भ्रमण के दौरान व्योमबाला सुमिता से मिलता है. अब मोहित की तीसरी मुलाकात एक विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर सुमिता से होती है. आखिर इन तीनों सुमिता में से उस ने किस को अपना हमसफर बनाया.
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एकदूसरे की तारीफ के बाद जैसे ही ड्रिंक्स का दौर शुरू हुआ, तभी हौल में कौल सैंटर वाली सुमिता ने कदम रखा. वह भी आज खासतौर से ब्यूटीपार्लर से सजधज कर आई थी.
उस ने नए फैशन की काली सलवारकमीज डाली हुई थी. बिना दुपट्टे के वह गले में नए डिजाइन का नैकलेस डाले हुए थी. आज वह मोहित से शादी के बारे में बात करना चाहती थी. तनहा कोने वाली पसंदीदा मेज अभी तक खाली थी. ‘शायद मोहित अभी तक नहीं आया था,’ यह सोचते हुए वह धीरधीरे चलती हुई मेज के पास पहुंची. साथ वाली मेज पर एक जोड़ा चहकताहंसता बातें कर रहा था. पुरुष की पीठ उस की तरफ थी. चेहरा पीछे से कुछ जानापहचाना सा लग रहा था. मगर मोहित तो हमेशा जींस, टीशर्ट या फिर कैजुअल वियर पहनता था. यह तो कोई हाई सोसाइटी का कोई सूटेडबूटेड नौजवान है.
कुर्सी पर बैठ कर वह उस जोड़े को देखने लगी. आवाज मोहित की ही थी. उसे अपनी तरफ देखते हुए व्योमबाला ने मोहित से कहा, ‘‘आप के पीछे की मेज पर बैठी लड़की आप को देख रही है.’’ इस पर मोहित चौंका, व्योमबाला से बातों में मग्न हो कर वह सुमिता के साथ अपने फिक्स्ड प्रोग्राम को तो भूल ही गया था. वह फुरती से उठा और मुड़ कर सुमिता के समीप पहुंचा.
‘‘हैलो डियर, हाऊ आर यू?’’ मोहित के इस बदले रूप को देख कर सुमिता चौंकी. साथ में एक खूबसूरत लड़की भी थी. ऐसी स्थिति की उस ने कल्पना भी नहीं की थी.
मोहित ने उस की बांह थामी और प्यार से खींचता हुआ उसे व्योमबाला के समीप ले आया. ‘‘इन से मिलिए, ये आप की हमनाम हैं, इन का नाम सुमिता वालिया है और ये एयरहोस्टेस हैं.’’
उन दोनों ने एकदूसरे से हाथ मिलाया. व्योमाबाला के स्पर्श में गर्मजोशी थी क्योंकि उस को मोहित ने कौल सैंटर वाली सुमिता के बारे में बता रखा था. वहां कौल सैंटर वाली सुमिता का स्पर्श ठंडा था. वह बड़े असमंजस में थी. ‘‘पिछले महीने जब मैं स्विट्जरलैंड भ्रमण पर गया था तब इन से मुलाकात हुई थी. मैं ने आप के बारे में तो इन्हें बता दिया था लेकिन इन के बारे में आप को बताना भूल गया था.’’
सुमिता के माथे पर बना तनाव का घेरा थोड़ा ढीला पड़ा. ठंडे और हलके ड्रिंक्स का दौर फिर से शुरू हुआ. तभी डांस फ्लोर पर डांस का पहला दौर शुरू हुआ.
‘‘लैट अस हैव ए राउंड,’’ व्योमबाला ने मोहित की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा. मोहित उठा और उस के साथ डांस फ्लोर की तरफ बढ़ गया. एयरहोस्टेस दुनियाभर में घूमती थी. अनेक देशों में ठहरने के दौरान एंटरटेनमैंट के लिए डांस करना, ऐंजौय करना, उस के लिए सहज था.
वह रिदम मिला कर दक्षता से डांस कर रही थी. सुमिता के साथ मोहित भी अनेक बार डांस फ्लोर पर थिरक चुका था. मगर एयरहोस्टेस सुमिता के साथ बात कुछ और ही थी. पहला दौर समाप्त हुआ. रैस्ट करने और हलके ड्रिंक्स के बाद नया दौर शुरू हुआ. इस बार कौल सैंटर वाली सुमिता का साथ था.
आज वह विशेष तौर पर सजधज कर नए उत्साह के साथ प्रपोजल ले कर आई थी. मगर खीर में मक्खी पड़ जाने के समान एयरहोस्टेस आ टपकी थी. वह उसी के समान सुंदर थी और उस से कहीं ज्यादा ऐक्टिव थी. मोहित हमेशा कैजुअल वियर में ही आता था, लेकिन आज वह बनठन कर सुमिता को अपनी बांहों में ले कर उस के वक्षस्थल को भींच लेता था. सुमिता भी उस का मजा लेती थी.
मगर आज दोनों में वह बेबाकी नहीं थी. दोनों आज किसी प्रोफैशनल डांसर जोड़े की तरह नाच रहे थे, जिन का मकसद किसी तरह इस राउंड को पूरा करना था, न कि अपना और अपने साथी का मनोरंजन करना. डांस के बाद खाना खाया गया. वे
दोनों अपनीअपनी शिकायतों के साथ मोहित को विश करतीं ऊपर से मुसकराती हुई विदा हुईं.
इस बात का मोहित को भी पछतावा हुआ कि क्यों उस ने उन दोनों को एकसाथ यहां बुलाया. उसे दोनों में से किसी एक को टाल देना चाहिए था, या फिर दोनों को ही टाल देना चाहिए था. मगर अब जो होना था हो चुका था. अगले कई दिन तक उन दोनों में से किसी का भी फोन नहीं आया. मोहित फिर से अपने चित्रों, ग्राफिक्स व डिजाइनों में डूब गया.
एक शाम उसे किसी विज्ञापन कंपनी से फोन आया. कंपनी की डायरैक्टर उस से एक सौंदर्य प्रसाधन कंपनी के लिए नए डिजाइनों पर आधारित विज्ञापन शृंखला के लिए विचारविमर्श करना चाहती थी. मोहित नियत समय पर कंपनी औफिस पहुंचा. विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर के औफिस के बाहर नेमप्लेट थी ‘सुमिता मुदगल’ विज्ञापन डायरैक्टर.
मोहित मुसकराया. 2-2 सुमिताओं के बाद तीसरी सुमिता मिल रही थी. उस का कार्ड देखने के बाद बाहर बैठा औफिस बौय उस को तुरंत अंदर ले गया. औफिस काफी भव्य और सुरुचिपूर्ण था. कीमती लकड़ी की मेज के साथ रिवौल्विंग चेयर पर दमकते चेहरे वाली बौबकट युवती टौप और पैंट पहने बैठी थी.
उस ने उठ कर गर्मजोशी से हाथ मिलाया. ‘‘प्लीज बैठिए, मिस्टर मोहित, आप का सरनेम क्या है?’’
‘‘मेहता, माई नेम इज मोहित मेहता.’’ ‘‘आप के बनाए डिजाइन काफी आकर्षक और लीक से हट कर होते हैं.’’
‘‘तारीफ के लिए शुक्रिया.’’ ‘‘हमारे पास एक मल्टीनैशनल कंपनी का बड़ा और्डर आया है, आप से इसी सिलसिले में बात करनी है.’’
इस के बाद लंबी बातचीत हुई. अपनी नोटबुक में जरूरी निर्देश नोट कर मोहित चला आया. इस के बाद डिजाइन दिखाने, डिसकस करने का सिलसिला चल पड़ा. कई बार सुमिता मुदगल उस के कार्यस्थल पर भी आई. मोहित पहले की तरह ही बेतरतीब ढंग से कपड़े पहनता, कभी तो कईकई दिन तक शेव नहीं करता. उस का यही खिलंदड़ापन अब तीसरी सुमिता को भी भा गया. वह भी अब बारबार आने लगी. मोहित भी शाम को उस के साथ घूमने लगा.
इस दौरान पहले वाली सुमिता और व्योमबाला का फोन भी नहीं आया. दोनों उस से नाराज हो गई थीं. मगर दोनों की नाराजगी ज्यादा दिन नहीं रही. दोनों का गुस्सा धीरेधीरे कम हुआ और दोनों यह सोचने लगीं कि क्या मोहित धोखेबाज था? नहीं ऐसा नहीं था. यह तो एक संयोग ही था कि 2-2 हमनाम लड़कियां उस से टकरा गई थीं या उसे मिल गई थीं. एक ही दिन, एक ही स्थान पर मुलाकात होना संयोग था.
अगर मोहित धोखेबाज होता तो उन्हें एक ही स्थान पर नहीं बुलाता. पहले कौल सैंटर वाली सुमिता का फोन आया. पहले तो मोहित चौंका, फिर मुसकराया और खिल उठा.
‘‘अरे, इतने दिन बाद आप ने कैसे याद किया?’’ ‘‘आप ने भी तो फोन नहीं किया.’’
‘‘मैं ने सोचा आप नाराज हैं.’’ ‘‘किस बात से?’’
अब मोहित क्या कहता. उस के बिना कहे भी सुमिता सब समझ गई. ‘‘आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’
‘‘जो आप चाहें.’’ ‘‘किसी और के साथ कुछ फिक्स्ड तो नहीं है?’’
इस पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. ‘‘उस दिन तो संयोग मात्र ही था.’’
‘‘ओके, फिर सेम जगह और सेम टाइम.’’ अभी फोन रखा ही था कि व्योमबाला का फोन आ गया.
‘‘अरे, स्वीटहार्ट, आज आप ने कैसे याद किया.’’ ‘‘आप ने मुझे स्वीटहार्ट कहा, मैं तो सोचती थी कि आप की स्वीटहार्ट तो वह है,’’ व्योमबाला चहकी.
‘‘वह तो है ही, आप भी तो हो.’’ ‘‘एकसाथ 2-2 स्वीट्स होने से आप को शुगर की प्रौब्लम हो सकती है.’’
व्योमबाला के इस शिष्ट मजाक पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. ‘‘आज का क्या प्रोग्राम है?’’
‘‘पहले से ही फिक्स्ड है.’’ ‘‘अरे, मैं तो सोचती थी शायद आज आप की शाम खाली होगी.’’
‘‘उस ने भी उस दिन के बाद आज ही फोन किया है.’’ ‘‘क्या बात है, क्या उस से झगड़ा हो गया था?’’
‘‘नहीं वह उस दिन से ही नाराज हो गई और आज उस का गुस्सा कम हुआ तो उस ने फोन किया. आज उसी जगह मिलना है.’’ ‘‘ओह, तब तो आप की शामें इतने दिन तक बेरौनक रही होंगी,’’ व्योमबाला के स्वर में तलखी भरी थी.
मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. वह बताने लगा कि इस दौरान तीसरी सुमिता से उस की दोस्ती हो गई थी और कोई शाम बेरौनक नहीं रही. ‘‘ओके, आज शाम पहली नंबर की रही मैं फिर फोन करूंगी.’’
रैस्टोरैंट में तनहा कोने वाली मेज पर मोमबत्ती स्टैंड पर लगी मोमबत्तियों
का प्रकाश माहौल को बेहद रोमानी बना रहा था.
सुमिता सफेद झालरों और हलके सितारे टंगे सफेद सूट में बहुत दिलकश लग रही थी. मोहित भी मैच करती टीशर्ट और ट्राउजर में था. उस के गले में सोने की मोटी चेन थी. आज वह बेहद स्मार्ट लग रहा था. आज डांस फ्लोर पर दोनों काफी करीब थे. दोनों चाहेअनचाहे कहीं भी किसी के शरीर को स्पर्श हो जाने पर दूरी बनाए रखने की कोई सावधानी नहीं थी. सुमिता इस बात से निश्चिंत थी कि आज मोहित उस का था और उस की नजरें किसी व्योमबाला या किसी और के लिए नहीं भटक रही थीं.
डांस के बाद हलका ड्रिंक और फिर लजीज खाने का दौर शुरू हुआ. फिर शहर के एक तरफ स्थित पार्क में घूम कर दोनों राजीखुशी विदा हुए. 2-3 दिन बीत गए. मोहित काम में व्यस्त था. तभी मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर नजर डाली तो फोन विज्ञापन कंपनी वाली सुमिता का था.
‘‘अरे, सुमिताजी नमस्ते.’’ ‘‘बहुत बिजी रहते हैं आप. जब भी फोन करो स्विच औफ मिलता है. कम से कम शाम को तो फोन औन रखा करो?’’ सुमिता मुदगल के स्वभाव में प्यार भरी शिकायत थी.
अब मोहित क्या कहता. शाम को तो वह बिना काम के ही बिजी रहता है. आखिर 2-2 उस के लिए लालायित थीं, लेकिन अब तो तीसरी भी आ गई थी. ‘‘क्या हुआ? क्या सो गए आप?’’
‘‘नहींनहीं, जरा काम में लगा था.’’ ‘‘आज शाम आउटिंग के लिए आ सकते हैं?’’
‘‘नहीं, आज बिजी हूं.’’ ‘‘कल?’’
‘‘देखेंगे.’’ आज की शाम तो व्योमबाला के साथ थी. व्योमबाला हलके मैरून कलर की साड़ीब्लाउज में अपने गौरवर्ण के कारण बला की हसीन लग रही थी. मोहित भी क्रीम कलर के सफारी सूट में जंच रहा था.
व्योमबाला के साथ डांस अलग अंदाज और हलका जोशीला था. कौल सैंटर वाली सुमिता अगर खिला गुलाब थी, तो व्योमबाला महकता हुआ जूही का फूल थी. मोमबत्तियों के रोमांटिक प्रकाश में खानापीना हुआ, फिर बोट क्लब पर बोटिंग. दोनों विदा हुए. इस दौरान पहली सुमिता का कोई जिक्र नहीं हुआ. उस के साथ बीती शाम अच्छी थी. यह शाम भी अच्छी रही. तीसरी सुमिता का जिक्र मोहित ने जानबूझ कर नहीं किया.
3 दिन बाद तीसरी सुमिता के साथ डेट थी. संयोग से उसे भी वही रैस्टोरैंट पसंद था. आज मोहित फिर से कैजुअल वियर में था. उस को आभास हो चला था कि तीसरी सुमिता भी पहली सुमिता की तरह उसे बेतरतीब और कैजुअल पहनावे में पसंद करती थी. उसे वह एक चित्रकार, एक कलाकार या दार्शनिक दिखने वाले रूप में ज्यादा पसंद था. ‘‘आप बैठो, मैं जरा टौयलेट हो आऊं.’’
टौयलेट से बाहर आते ही उस के कानों में 2 व्यक्तियों की बातचीत के अंश पड़े. ‘‘यह लड़का तगड़ा चक्करबाज है, 3-3 हसीनाओं से एकसाथ चक्कर चलाता है.’’
यह जुमला सुन कर मोहित पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया. उस ने तब तक कभी इस पहलू पर सोचा भी न था कि उस के बारे में देखने वाले खासकर उस से परिचित या उस को पहचानने वाले क्या सोचते थे. ‘‘आप को क्या हुआ? आप का चेहरा एकदम उतर गया है?’’ उस के चेहरे पर छाई गंभीरता को देख कर सुमिता ने पूछा.
‘‘कुछ नहीं, मैं अकस्मात किसी ग्राफिक्स के बारे में विचार कर रहा था.’’ ‘‘अरे, छोड़ो न. हर समय प्रोफैशन के बारे में नहीं सोचना चाहिए. शाम को ऐंजौय करो.’’
वह शाम भी अच्छी गुजरी. मगर अगले दिन मोहित गंभीर था. अब से उस ने कभी अपने कार्यस्थल पर काम करने वाले स्टाफ के चेहरे के भावों पर गौर नहीं किया था. मगर अब उसे महसूस हो रहा था कि उस की छवि उन की नजरों में पहले जैसी नहीं रही जब से 3-3 सुंदरियों के साथ शाम बिताने का सिलसिला चला था.
अगले 3 दिन में तीनों सुमिताओं का फोन आया. मगर उस ने मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाल कर फोन अटैंड नहीं किया. सभी कौलें मिस्ड कौल्स में दर्ज हो गईं. एक सप्ताह तक मिस्ड कौल्स का सिलसिला चलता रहा लेकिन वह अपने काम में व्यस्त रहा. आखिर कौल सैंटर वाली सुमिता से रहा न गया और वह उस के औफिस आ गई.
‘‘क्या बात है, फोन अटैंड क्यों नहीं करते?’’ ‘‘कुछ काम कर रहा हूं.’’
‘‘आज शाम खाली हो?’’ ‘‘नहीं.’’
‘‘कल?’’ ‘‘देखेंगे.’’
उस के स्वर में तटस्थता और उत्साहहीनता को महसूस कर सुमिता चुपचाप चली गई. इस के बाद बारीबारी से व्योमबाला और विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर का आना भी हुआ. मगर मोहित ने उन को भी टाल दिया. उस के ऐसा करने से तीनों देवियों की उत्कंठा और बढ़ी. पहले तो सभी उस के मर्यादित संयमित व्यवहार से प्रभावित थीं अब शाम की डेट टालने से उन की बेकरारी और बढ़ी.
दोनों सुमिताओं ने समझा कि वह उसे नहीं दूसरी को ज्यादा पसंद करता है. मगर तीसरी को पहली दोनों देवियों का पता नहीं था. इसलिए वह असमंजस में थी. मोहित अब सोच में पड़ गया था किसी चक्करबाज या रसिक के समान 3-3 सुंदरियों के साथ घूमनाफिरना, खानापीना उस के व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं था. उसे किसी एक को पसंद कर के उस से विवाह कर लेना चाहिए. वह इस पर विचार करने लगा किसे चुने.
तीनों ही सुंदर थीं, वैल सैटल्ड थीं. अच्छे परिवार से थीं. जातपांत का आजकल कोई मतलब नहीं था. उस के साथ तीनों जंचती थीं. तीनों का स्वभाव भी उस के अनुरूप था.
उधर वे तीनों उस से स्पष्ट बात कर विवाह संबंधी फैसला करना चाहती थीं. पहली 2 इस पसोपेश में थीं कि मोहित की पहली पसंद कौन थी? इतने दिन तक डेट के लिए मना करने से उन को गलतफहमी होनी ही थी. दोनों चुपचाप बीचबीच में रैस्टोरैंट का चक्कर भी लगा आईं कि शायद मोहित पहली या दूसरी सुमिता के साथ आया हो. मगर वह नहीं दिखा.
कौल सैंटर वाली सुमिता के ‘वेटर’ ने भी पुष्टि की कि वह नहीं आया था. अब उन का विचार यही बना कि वह काम में ज्यादा व्यस्त था. मोहित को भी स्पष्ट आभास था कि तीनों उस से विवाह करना चाहती हैं मगर वे तीनों ही उस से इस संबंध में पहल करने की अपेक्षा कर रही थीं.
अब उस ने तीनों में से किसी एक को चुनना था और उसे प्रपोज करना था. इस के लिए क्या करे? कैसे किसी एक का चुनाव करे. तीनों ही सुंदर थीं. अच्छे परिवारों से थी. चरित्रवान थीं. किसी के भी व्यवहार में हलकापन नहीं था. ‘‘मिस्टर मोहित, मैं सुमिता मुदगल बोल रही हूं. आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’ विज्ञापन डायरैक्टर का फोन था.
‘‘आज शाम खाली हैं आप. बोट क्लब आ जाएं?’’ काफी दिन से बाहर नहीं निकला. इसलिए मोहित भी शाम को ऐंजौय करना चाहता था. ‘‘बोट क्लब क्यों? रैस्टोरैंट क्यों नहीं?’’
‘‘आज खानेपीने से ज्यादा घूमने की इच्छा है.’’ ‘‘ओके.’’
पैडल औपरेटेड बोट झील में हलकेहलके शांत पानी में धीमेधीमे चल रही थी. झील के बीचोंबीच बोट रोक कर दोनों ने एकदूसरे की आंखों में झांका. ‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं.’’
‘‘किस बारे में,’’ अनजान बनते हुए मोहित बोला. ‘‘आप का विवाह के बारे में क्या खयाल है?
‘‘आप मुझ से विवाह करना चाहती हैं?’’ ‘‘जी हां,’’ सुमिता मुदगल ने स्पष्ट कहा.
‘‘अभी हमें मुलाकात किए मात्र 2 महीने हुए हैं इतनी जल्दी फैसला करना ठीक नहीं है.’’ ‘‘आप कितना समय चाहते हैं, फैसला करने के लिए?’’
‘‘कुछ कह नहीं सकता.’’ ‘‘आप चाहें तो फैसला लेने से पहले एकदूसरे को समझने के लिए ‘लिव इन’ के तौर पर साथसाथ रह सकते हैं. वैसे भी आजकल इसी का चलन है.’’ विज्ञापन डायरैक्टर ने गहरी नजरों से उस की तरफ देखते हुए कहा.
मोहित भी गहरी नजरों से उस की तरफ देखने लगा. विज्ञापन डायरैक्टर अच्छी समझदार थी. उस का सुझाव आजकल के नए दौर के हिसाब से था. ‘‘मैं सोचूंगा इस बारे में. अब हम थोड़ी देर बोटिंग कर के खाना खाने चलते हैं.’’
सही फैसले तक पहुंचने के लिए मोहित को एक सूत्र मिल गया था. वह यही था कि विवाह के संबंध में तीनों क्या विचार रखती थीं. अगले रोज उस ने शाम से पहले कौल सैंटर फोन किया.
‘‘अरे, आप ने आज कैसे याद किया,’’ सुमिता ने तनिक हैरानी से कहा. ‘‘इतने दिन व्यस्त रहा. आज काम की थकान शाम को सैर कर के दूर करने का इरादा है.’’
‘‘ओके, फिर सेम प्लेस एट सेम टाइम.’’ ‘‘नोनो, रैस्टोरैंट नहीं नैशनल पार्क.’’
‘‘ओके.’’ नैशनल पार्क काफी एरिया में
फैला हुआ था. एक आइसक्रीम पार्लर से आइसक्रीम के 2 कप ले दोनों टहलतेटहलते आगे निकल गए. जहांतहां झाडि़यों व पेड़ों के पीछे नौजवान जोड़े रोमांस कर रहे थे. कई बरसात का मौसम न होने पर भी रंगबिरंगे छाते लाए थे और उन को फैला कर उन की ओट में एकदूसरे से लिपटे हुए थे.
इस रोमानी माहौल को देख कर हम दोनों ही सकपका गए. तन्हाई्र पाने के इरादे से दोनों जल्दीजल्दी आगे बढ़ गए. एक तरफ कृत्रिम पहाड़ी बनाई गई थी. दोनों उस पर चढ़ गए. एक बड़े पत्थर पर बैठ कर दोनों ने एकदूसरे की तरफ देखा. ‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहता था.’’
‘‘किस बारे में?’’ ‘‘आप का शादी के बारे में क्या विचार है?’’
मोहित के इस सीधे सपाट सवाल पर सुमिता चौंक पड़ी और फिर मुसकराई. ‘‘विवाह जीवन का जरूरी कदम है. एक जरूरी संस्कार है.’’
‘‘और लिव इन रिलेशनशिप?’’ ‘‘इस का आजकल फैशन है. यह पश्चिम से आया रिवाज है. वहां इस के दुष्परिणामों के कारण इस का चलन अब घट रहा है.’’
‘‘आप विवाह को अच्छा समझती हैं या लिव इन को?’’ ‘‘मेरा तो लिव इन में बिलकुल भी विश्वास नहीं है.’’
‘‘और अगर विवाह सफल न रहे तो?’’ ‘‘ऐसा तो लिव इन में भी हो सकता है.’’
‘‘मगर लिव इन में संबंध विच्छेद आसान होता है.’’ ‘‘अगर संबंध विच्छेद का विचार पहले से ही मन में हो तो विवाह नहीं करना चाहिए और न ही लिव इन में रहना चाहिए.’’
सुमिता के इस सुलझे विचार से मोहित उस का कायल हो गया और प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखने लगा. वह शाम भी काफी अच्छी बीती. 2 दिन बाद मोहित ने व्योमबाला को फोन किया. उस के साथ रैस्टोरैंट में मुलाकात तय हुई. व्योमबाला बिंदास और शोख अंदाज में नए फैशन के सलवारसूट में आई.
हलके ड्रिंक और डांस के 2-2 दौर चले. खाने का दौर शुरू हुआ. ‘‘मिस वालिया, आप का विवाह के बारे में क्या विचार है,’’ मोहित ने सीधे सवाल दागा.
‘‘मैरिज लाइफ के लिए जरूरी है. सोशल तौर पर भी और फिजिकली भी.’’ ‘‘और लिव इन…’’
‘‘वह भी ठीक है. बात तो आपस में निभाने की है. निभ जाए तो विवाह भी ठीक है लिव इन भी ठीक है. न निभे तो दोनों ही व्यर्थ हैं.’’ ‘‘आप किस को ठीक समझती हैं?’’
‘‘मैं तो लाइफ को ऐंजौय करना अच्छा समझती हूं. निभ जाए तो ठीक नहीं तो और सही. मगर घुटघुट कर जीना भी क्या जीना,’’ व्योमबाला दुनियाभर में घूमती थी. रोजाना सैकड़ों लोगों से उस की मुलाकात होती थी. उस का नजरिया काफी खुला और बिंदास था. वह शाम भी काफी शोख और खुशगवार रही. तीनों सुमिताओं की प्रकृति और सोच मोहित के सामने थी. पहली का लिव इन में विश्वास नहीं था.
दूसरी बिंदास थी, शोख थी, लाइफ ऐंजौय करना उस का मुख्य विचार था. ऐसी औरत या युवती बेहतर जीवनसाथी या बेहतर लिव इन साथी मिलने पर पुराने साथी को छोड़ सकती थी. तीसरी विज्ञापन डायरैक्टर काफी व्यावहारिक थी. उस का नजरिया विवाह के बारे में भी व्यावसायिक था. पहले लिव इन सफल रहा तो फिर विवाह. नहीं तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते.
मोहित एक चित्रकार था. कलाकार था. दार्शनिक विचारधारा वाला था. उस को अपना सही जीवन साथी समझ आ गया था. उस ने कौल सैंटर फोन किया.
‘‘अरे, अभी परसों ही तो मिले थे.’’ ‘‘आज मैं ने आप से एक खास बात करनी है.’’
वह तैयार हुआ. कैजुअल वियर की जगह वह शानदार ईवनिंग सूट में था. एक मित्र ज्वैलर्स के यहां से कीमती हीरे की अंगूठी खरीदी और रैस्टोरैंट की पसंदीदा मेज पर बैठ कर अपनी भावी जीवनसंगिनी का इंतजार करने लगा.