आज कैरियर की दौड़ में युवा रिश्तों व पर्सनल लाइफ का महत्त्व भूलते जा रहे हैं और उन्हें कैरियर की राह में बैरियर समझते हैं जबकि कैरियर, हाई स्टेटस, पैसा, सफलता आदि के साथसाथ रिश्तों और अपनों का होना भी खुशियां बांटने के लिए निहायत जरूरी है. अत: युवाओं को रिश्तों और कैरियर में बैलेंस बना कर चलना चाहिए.
स्वाति की कजिन कियारा, जिस के साथ स्वाति ने बचपन में लंबा समय बिताया था, जीवन के खट्टेमीठे पल एकसाथ शेयर किए थे, की मुंबई में मैरिज फिक्स्ड हो गई थी. कियारा चाहती थी कि स्वाति उस की मैरिज के हर फंक्शन में उस के साथ हो ताकि उस के जीवन का वह अनमोल पल उस के लिए यादगार बन सके, लेकिन संयोग से उसी दौरान स्वाति की बेंगलुरु में इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा थी. ऐसे में स्वाति ने कियारा की मैरिज अटैंड करने के बजाय अपने कैरियर को महत्त्व दिया और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा दी. कियारा को जब स्वाति के इस निर्णय का पता चला तो उसे हैरानी के साथसाथ दुख भी हुआ.
आप को अपने आसपास अधिकांश युवा स्वाति जैसे मिल जाएंगे जिन के लिए कैरियर पर्सनल लाइफ से अधिक महत्त्वपूर्ण है और वे इसे प्राथमिकता देते हैं.एक समय था जब युवा घर, परिवार, प्यार व दोस्ती को कैरियर से अधिक महत्त्व देते थे, लेकिन आज जमाना बदल चुका है, आज का युग प्रतियोगिता का है, जिस में युवाओं का फंडा है, ‘वही सक्सैसफुल है, जो अपनी इस उम्र को पूरी तरह अपने कैरि यर पर कुरबान कर दे.’ आज के युवाओं की महत्त्वाकांक्षाएं अत्यधिक बढ़ गई हैं. समाज में पैसे के बढ़ते महत्त्व के कारण भी युवा कैरियर को अधिक महत्त्व देने लगे हैं और बाद में अन्य चीजों के बारे में सोचते हैं.
पहले गांवों में उच्च शिक्षा की सुविधा न होने के कारण बच्चे दूसरे शहरों में पढ़ने जाते थे, लेकिन आज युवाओं में कैरियर में सफल होने की ललक इस कदर बढ़ गई है कि वे 10वीं व 12वीं के बाद ही घरबार छोड़ कर कैरियर बनाने की खातिर दूसरे शहरों में जा कर रहने लगे हैं. उन का एकमात्र उद्देश्य कैरियर में सफल होना होता है.
पीछे छूटती पर्सनल लाइफ
ग्लोबल स्वीडिश सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय युवाओं की प्राथमिकता सूची में काम, कैरियर और उच्च जीवन की चाहत सब से ऊपर हैं. एक ओर जहां भारतीय समाज में पारिवारिक संस्था को अत्यंत महत्त्व दिया जाता रहा है वहीं भारतीय युवा परिवार व बच्चे की चाह से दूर हो रहे हैं. वे परिवार को कैरियर में बैरियर यानी राह का रोड़ा समझने लगे हैं. सर्वे के अनुसार भारतीय युवाओं में देर से शादी भी चिंता का विषय है जिस के पीछे एकमात्र कारण उन का कैरियर को अधिक महत्त्व देना है. डिंक यानी डबल इनकम नो किड्स और सिंगल नौट रैडी टू मिंगल का चलन भी साबित करता है कि युवाओं के लिए कैरियर ज्यादा अहम है.
युवाओं की राय
इस बारे में आईआईटी की परीक्षा की तैयारी में जुटे 18 वर्षीय दिल्ली के अतिशय राठी का कहना है, ‘‘फर्स्ट चौइस कैरियर होना चाहिए. मार्केट में कंपीटिशन को देखते हुए कैरियर बनाना मेरी प्राथमिकता है. मैरिज या लव अफेयर के बाद कैरियर में सफल नहीं हुआ जा सकता. सफल कैरियर के बिना कोई पर्सनल लाइफ नहीं होती और मैं यह गलती हरगिज नहीं करूंगा.’’ इस बारे में गुड़गांव, हरियाणा में एक आईटी कंपनी में कार्यरत 25 वर्षीय स्वाति गोयल कहती है, ‘‘आज जरूरतें व ख्वाहिशें बढ़ गई हैं. ऐसे में कैरियर को प्राथमिकता देना जरूरी हो गया है. कैरियर को छोड़ कर प्यार या दोस्ती में पड़ना बेवकूफी हगी. किसी भी रिश्ते को खुशनुमा बनाए रखने के लिए आत्मनिर्भर होना जरूरी है. वैसे भी नौकरी या व्यवसाय में सफल होने के लिए शुरुआती मेहनत ज्यादा जरूरी होती है.
‘‘ऐसे में अगर पर्सनल लाइफ को महत्त्व देंगे तो आत्मनिर्भर नहीं बन पाएंगे और सफलता की दौड़ में पीछे रह जाएंगे. वैसे भी आज अधिकांश युवक वर्किंग वाइफ की डिमांड करते हैं इसलिए युवतियों का भी कैरियर को महत्त्व देना जरूरी हो गया है. मैं खुद भी ऐसा पति चाहूंगी जो कैरियर को प्राथमिकता दे.’’
सक्सैसफुल वही है जिस का स्टेटस हाई है
रायपुर के 28 वर्षीय व्यवसायी राकेश अग्रवाल का मानना है, ‘‘आज सोसायटी में वही सक्सैसफुल है, जिस का स्टेटस हाई है. इस सब के लिए आप को अपनी पर्सनल लाइफ व मौजमस्ती को त्यागना होगा तथा अपने कैरियर या व्यवसाय में सफल होना होगा. यही तो उम्र है कमाने की, भविष्य सुरक्षित करने की. मौजमस्ती के लिए तो पूरी उम्र पड़ी है. इमोशनल बनने के बजाय प्रैक्टिकल हो कर सफल हुआ जा सकता है. बड़ेबुजुर्ग भी कहते हैं, ‘गुजरा समय लौट कर नहीं आता,’ यह उम्र व्यवसाय में सफल होने की है. अगर आज मैं दोस्ती, रिश्तों व इच्छाओं को महत्त्व दूंगा तो सक्सैसफुल होने की रेस में पिछड़ जाऊंगा.’’
मनोवैज्ञानिक राय
युवाओं में कैरियर को ले कर बढ़ती गंभीरता के बारे में मनोवैज्ञानिक प्रांजलि मल्होत्रा का मानना है, ‘‘समाज में हर चीज का व्यावसायीकरण हो रहा है, उपभोक्तावादी संस्कृति पनप रही है इसलिए युवा खुद को सुखसुविधा के साधनों से लैस कर लेना चाहते हैं. इस ख्वाहिश के चलते वे कैरियर को पर्सनल लाइफ की अपेक्षा अधिक तवज्जो देने लगे हैं. युवाओं में कैरियर के प्रति बढ़ती इस गंभीरता के पीछे कहीं न कहीं पेरैंट्स भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि पेरैंट्स ही चाहते हैं कि बच्चे अपने कैरियर में सफल हों, नौकरी में अच्छा पैकेज पाएं, व्यवसाय में सफल हों, भले ही इस के लिए बच्चों को अच्छे कालेज व नौकरी के लिए उन से दूर, दूसरे शहर में रहना पड़े.’’ पर्सनल लाइफ की अपेक्षा कैरियर के प्रति अधिक लगाव युवाओं में डिप्रैशन, हाई ब्लड प्रैशर व अकेलेपन जैसी समस्याओं को जन्म दे रहा है. कैरियर को अधिक महत्त्व देते युवाओं की इसी चाहत का परिणाम है कि युवाओं में विवाह की उम्र बढ़ रही है, वे गर्लफ्रैंड, बौयफ्रैंड, लिव इन रिलेशनशिप से काम चला रहे हैं.
दरअसल, युवाओं के कैरियर को प्राथमिकता देने के पीछे भी एक ठोस कारण है. पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे, जहां खर्चे साझे हुआ करते थे, जिम्मेदारियां मिलबांट कर पूरी होती थीं, लेकिन आज स्थिति विपरीत है. एकल परिवार होने से जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं जिस के चलते युवा कैरियर को ज्यादा महत्त्व देने लगे हैं.
ऊंचा स्टेटस न खो दे पर्सनल लाइफ
आज भले ही युवा हाई स्टेटस की ख्वाहिश में पर्सनल लाइफ की अनदेखी कर रहे हैं, लेकिन कैरियर में सफल होने की यह होड़ कहीं उन्हें रिश्तों के दायरे में अकेला न छोड़ दे. माना कि कैरियर, पैसा, सफलता सब जरूरी है, लेकिन उस सफलता, पैसे से खुशियां बांटने वाले रिश्तों, अपनों का होना भी उतना ही जरूरी है. ऐसे में रिश्तों और कैरियर को एकसाथ बैलेंस कर के चलने में ही समझदारी होगी. इसलिए कैरियर के साथ पर्सनल लाइफ में भी निवेश करें.