हाल के दिनों में यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) के प्रति लोगों का आकर्षण काफी बढ़ा है. इससे पहले यूलिप को उच्च लागत और कम रिटर्न वाला निवेश विकल्प माना जाता था और इसमें पैसा लगाने को लेकर ग्राहकों की सोच अलग-अलग थी. लेकिन वास्तव में यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लांस (यूलिप) की मौजूदा समझ कुछ और नहीं बल्कि इससे जुड़ी विभिन्न गलत धारणाओं का मिलाजुला रूप है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे लेकर उत्पाद के उद्देश्य, कीमतें, फायदे, आसान लिक्विडिटी और काम करने के तरीके के बारे में लोगों के मन में लंबे समय से कई सारी गलतफहमी बनी हुई है. जिन्हें खत्म करना जरूरी है.
यूलिप में अब कोई बात छिपी नहीं है. यूलिप के विभिन्न फीचर्स बीमा कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइट और इंश्योरेंस एग्रीगेटर्स की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. पिछले कुछ वर्षों में लगातार हुए सुधारों ने यूलिप को एक सर्वोत्तम निवेश विकल्प बना दिया है, क्योंकि इसमें पूंजी निर्माण और इंश्योरेंस कवर के दोहरे फायदे शामिल हैं. यहां यूलिप से जुड़े कुछ आम गलतफहमियों की चर्चा की जा रही है.
गलतफहमी 1: यूलिप महंगे और अविश्वसनीय होते हैं
जब यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान पहली बार बाजार में आए थे, तब इन्हें इस प्रकार से पेश किया गया था कि ये ग्राहक से ज्यादा डिस्ट्रिब्यूटर्स को फायदा पहुंचाएंगे. 2010 में इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथौरिटी आफ इंडिया (आईआरडीएआई) के हस्तक्षेप से पहले, ग्राहक द्वारा चुकाए जाने वाले प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा पौलिसी एडमिनिस्ट्रेशन, प्रीमियम एलोकेशन और फंड मैनेजमेंट के पास चला जाता था.
लेकिन अब बीमा कंपनियों द्वारा लगाए जाने वाले विभिन्न शुल्कों को सीमित कर दिया गया है. पहले जहां इसमें 6-10 फीसदी चार्ज लगते थे, वहीं अब इंश्योरेंस कंपनियां 1.5 से 2 फीसदी चार्ज वसूले जाते हैं. इसके अतिरिक्त, डिजिटाइजेशन के विस्तार के चलते पालिसी एडमिनिस्ट्रेशन और प्रीमियम एलोकेशन जैसे मध्यस्थ शुल्क अब पूरी तरह खत्म हो चुके हैं. इस प्रकार यूलिप एक ऐसा बेहतरीन प्रोडक्ट बन गया है जिस पर ग्राहक अपने पैसे को लेकर विश्वास कर सकते हैं.
गलतफहमी 2: यूलिप का रिटर्न बहुत कम है
ज्यादातर लोग कम रिटर्न के डर से वे यूलिप में पैसा लगाने से बचते हैं. यहां यह समझना बेहद जरूरी है कि आज यूलिप में प्रीमियम का केवल एक छोटा सा हिस्सा इंश्योरेंस कवर के लिए प्रयोग किया जाता है, वहीं एक बड़ा हिस्सा रिटर्न प्राप्त करने के लिए निवेश किया जाता है. रिटर्न की मात्रा, हालांकि निवेश की जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है.
गलतफहमी 3: यूलिप में जोखिम अधिक होता है
बहुत से लोगों को मानना है कि यूलिप में जोखिम अधिक होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. ऐसा वे ये नहीं जानते कि यूलिप में निवेश किया गया पैसा ग्राहक की जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर विभिन्न फंड में बांटा जाता है. यहां निवेशकों से पूछा जाता है कि वे कितना जोखिम ले सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें फंड बदलने के विकल्पों के बारे में भी जानकारी दी जाती है, जिसकी मदद से बाजार की अस्थिरता के बीच सही फैसला लिया जा सकता है. कम जोखिम लेने वाले ग्राहक डेट इंवेस्टमेंट, सरकारी सिक्योरिटीज और कौरपोरेट डेट विकल्पों में से अपने लिए बेहतर विकल्प चुन सकते हैं, जिसमें जोखिम कम है और ये सामान्य रिटर्न देते हैं.
गलतफहमी 4: बाजार के उतार-चढ़ाव से इंश्योरेंस कवर प्रभावित होता है
चूंकि प्रीमियम का एक हिस्सा मुद्रा बाजार में निवेश किया जाता है, ऐसे में कुछ ग्राहकों को इस बात डर रहता है कि कहीं बाजार के उतार चढ़ाव के चलते उनसे बीमा कवर की राशि का जो वादा किया गया था वह कम न हो जाए. वास्तविकता यह है कि बाजार के उतार चढ़ाव के बावजूद लाइफ कवर की राशि पूरी पौलिसी अवधि के दौरान एक समान रहती है. आईआरडीएआई द्वारा 2010 में निर्धारित नियमों के अनुसार, यूलिप में न्यूनतम लाइफ कवर या सम एश्योर्ड की राशि पॉलिसी धारक द्वारा अदा किए गए वार्षिक प्रीमियम का 10 गुना होता है. बीमित व्यक्ति की मृत्यु की दशा में, बीमा कंपनी वादा की गई लाइफ कवर की राशि या फंड वैल्यू, जो भी ज्यादा हो उसे अदा करने के लिए बाध्य होगी.
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