जीएसटी काउंसिल ने 26वीं बैठक में कुछ अहम फैसले लिए. काउंसिल के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्यों के बीच सामान की आवाजाही के लिए जरूरी ई-वे बिल को 1 अप्रैल 2018 से लागू कर दिया जाएगा. हालांकि एक ही राज्य के भीतर एक जगह से दूसरी जगह पर सामान की आवाजाही के लिए ई-वे बिल को क्रमबद्ध तरीके से 15 अप्रैल से लागू किया जाना शुरू किया जाएगा और 1 जून तक यह सभी राज्यों में लागू कर दिया जाएगा.
इसके अलावा जीएसटी काउंसिल की इस अहम बैठक में व्यापारियों को समरी सेल्स रिटर्न वाला GSTR-3B फौर्म भरने के लिए तीन महीने का विस्तार दिया गया है. यानी कि अब अब व्यापारी को GSTR-3B फौर्म जून 2018 तक भरना होगा. जीएसटी काउंसिल की ओर से पहले इसकी डेडलाइन 31 मार्च 2018 निर्धारित की गई थी. हालांकि इस बैठक में जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया को और आसान करने के विषय पर कोई फैसला नहीं लिया गया. इसके अलावा, निर्यातकों को दी जाने वाली कर छूट को भी और छह महीने के लिए यानी सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
ई-वे बिल एक नजर में
क्या है ई-वे बिल : अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को आवश्यक रूप से ई-वे बिल जनरेट करना होगा. अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं.
इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) की डिटेल दी जाती है. अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर (आपूर्तिकर्ता) को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी.
कितनी अवधि के लिए मान्य होता है यह बिल : अगर किसी गुड्स (वस्तु) का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है. वहीं अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो यह बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए यह बिल मान्य होगा.
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