मिताली और गौरव का आज फिर झगड़ा हो गया. वजह, वही गौरव की व्यस्तता. किसी परिचित, रिश्तेदार या मित्र की गैटटुगैदर पार्टी हो या शोकसभा, शादीब्याह हो या गृहप्रवेश, ससुराल से निमंत्रण हो या खुद के घर में मेहमान आए हुए हों, गौरव को अपने काम से फुरसत ही नहीं मिलती. या तो वह इतनी देर से पहुंचता है कि कार्यक्रम समाप्त हो चुका होता है या फिर हमेशा की तरह फोन कर के अपनी मजबूरी जता देता है कि वह किसी काम में फंस गया है, नहीं पहुंच पाएगा. आज तो गौरव ने हद ही कर दी. खुद के साले की शादी थी और वह पहुंचा रात को 11 बजे. झगड़ा तो होना ही था. मिताली के साथसाथ उस के मायके वालों का भी मूड औफ हो चुका था.

9 वर्षीय अक्षांश फूटफूट कर रो रहा था, मम्मी से कह रहा था कि अब वह पापा से जिंदगीभर बात नहीं करेगा. मम्मी तो खुद दुखी थीं. हुआ यह कि पेरैंटटीचर मीटिंग में भरी क्लास में क्लासटीचर ने अक्षांश और मम्मी को सुनाते हुए करारा तंज कस दिया. क्लासटीचर ने कहा कि अगर इस के पापा के पास अपने बेटे के लिए इतना भी समय नहीं, तो मतलब साफ है कि उन्हें अपने परिवार से नहीं, व्यापार से ज्यादा प्यार है. स्थिति ऐसी थी कि कई बार तो अक्षांश 4-5 दिनों तक अपने पापा से बात नहीं कर पाता था. उस के  पापा रात को 11 बजे तक आते थे. तब तक वह सो जाता था और सुबह उसे जल्दी स्कूल जाना पड़ता था, तब तक पापा सोते रहते थे.

ऐसे मामले बहुत सारे घरों में देखने को मिल जाएंगे जहां व्यस्तता सिर चढ़ कर बोलने लगती है. ऐसे लोगों के पास न तो परिवार के लिए समय होता है और न ही अपनी सफलताओं का जश्न मनाने के लिए. ऐग्जिक्यूटिव पोस्ट पर बैठे नौकरीपेशा हों या निजी व्यवसाय करने वाले, ये खुद पर काम का इतना दबाव बना लेते हैं कि अपने शौक, परिवार और दोस्तों के लिए इन के पास वक्त ही नहीं बचता.

संतुलन बना कर चलें

आप कितने भी प्रोफैशनल क्यों न हों, कितना भी अच्छा परफौर्म करते हों, लेकिन आप के पास अगर खुशियों को मनाने, अपनों का हालचाल पूछने, उन के सुखदुख में शरीक होने का टाइम नहीं तो यह सब बेकार है. बेशक, कारोबार की जिम्मेदारी पूरी तरह आप पर है, लेकिन यदि काम और निजी जिंदगी के बीच सही संतुलन न बैठा पाएं तो निजी जिंदगी पर इस का बुरा असर पड़ना तय है. निजी जिंदगी की परेशानियां आप के कामकाज पर भी निश्चित तौर पर प्रभाव डालेंगी. इसलिए बेहतर है कि आप औफिस व घर दोनों में संतुलन बना कर चलें.

परिवार ही देता है प्रोत्साहन

प्रोफैशनल ऊंचाइयों पर पहुंचने पर हम अकसर उन्हीं घर वालों को भूल बैठते हैं जिन्होंने खराब दौर में हमारा मनोबल बढ़ाया होता है. जब आप ने कारोबार शुरू किया होगा तब संभव है कि परिवार की स्थिति को बेहतर करने के उद्देश्य को अपने दिमाग में रखा हो. पहले आप परिवार के नाम पर भागते रहे और अब आप कारोबार में कुछ इस कदर उलझ गए कि अपने परिवार से ही भाग रहे हैं. अगर आप कारोबार में बहुत ज्यादा सफलताएं पा भी लेते हैं तो भी अपने पीछे ऐसा पारिवारिक माहौल जरूर रखें जहां आप अपनी सफलताओं का जश्न मना सकें.

हो सकता है कि औफिस में आप के प्रोफैशनल रवैए की सब तारीफ करते हों लेकिन घर में उस बरताव की जरूरत नहीं है. आप के घर वाले आप को भावनात्मक रूप में पहचानते हैं, इसलिए उन के आगे प्रोफैशनलिज्म वाली चादर ओढ़ कर न चलें. अपने स्वाभाविक रवैए के साथ ही घर के लोगों से मिलजुल कर रहेंगे तो उन्हें भी असहजता महसूस नहीं होगी. औफिस का रोब और हर चीज में अनुशासन जैसा औपचारिक बरताव घर में करने के बजाय वैसे ही रहें जैसे आप वास्तव में हैं. लोगों से अब भी उतनी ही आत्मीयता से मिलें जितनी आत्मीयता

से पहले मिलते थे. इस में औपचारिकता न झलके.

वक्त निकालना सीखें

औफिस की भागदौड़ करने वाले अकसर घर वालों से कहते हैं कि यह सब वे उन के लिए ही तो कर रहे हैं. यह ठीक है कि आप उन्हें आर्थिक संबल देने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन अगर भावनात्मक रूप से आप उन के साथ नहीं हैं तो कोई फायदा नहीं. अपने परिवार के करीब रहने के लिए अपने व्यस्त समय में से कुछ पल चुराना सीखें. बीवीबच्चों और अन्य परिवारजनों के साथ बिताए कुछ क्षण उन्हें तो खुशियां देंगे ही, साथ ही आप को भी भावनात्मक ऊर्जा से भर देंगे. तब आप अपनी कार्यक्षमता में भी काफी इजाफा महसूस करेंगे. बहुत से लोग औफिस में सबकुछ सामान्य चलने के बावजूद मानते हैं कि उन के बिना तो कोई काम हो ही नहीं सकता. इस सोच के चलते वे परिवार के कई अहम अवसरों में शामिल ही नहीं होते. पारिवारिक मेलजोल आप के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, इसलिए इस से कन्नी न काटें.

मूलमंत्र है परिवार से प्यार

आज के कैरियर ओरिऐंटेड दौर में आप से अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि आप अपना सारा वक्त सिर्फ परिवार के साथ ही बिताएं. लेकिन यह भी याद रखें कि आज भी परिवार नामक संस्था इतनी फालतू नहीं हुई है कि आप उसे सिरे से ही नकार दें. अगर आप की प्रबंधन क्षमता वाकई बेहतर है तो आप को परिवार और औफिस के बीच तालमेल बैठाना सीखना होगा ताकि किसी एक की वजह से दूसरा प्रभावित न हो. काम और घर के बीच तालमेल बैठाने का मूलमंत्र है समर्पण. जब आप इन में से किसी एक को भी कम कर के आंकने लगते हैं तो उस के समय में कटौती कर के दूसरे को देने लगते हैं. आप का समर्पण अपने काम और घर दोनों के प्रति होना चाहिए. जब काम पर हों तो पूरा ध्यान काम में हो ओर जब घर पर हों तो ध्यान काम में न लगा हो.

छुट्टी से मिलेगी संतुष्टि

बेशक एक ऐंटरप्रेन्योर होने के नाते आप का वक्त कीमती है. ऐसा भी संभव है कि लोग आप से 2 मिनट बात करने के लिए कई बार 2-2 घंटे इंतजार करते हों लेकिन आप के इस कीमती वक्त पर आप के परिवारजनों का भी हक है और वह भी बिना किसी अपौइंटमैंट के. इसलिए अपने कीमती वक्त का सही मैनेजमैंट करें ताकि अपने लोगों के लिए भी आप समय निकाल सकें. अपने परिवार के साथ सही समय बिताने से आप मानसिक और दिली तौर से संतुष्ट और प्रसन्न रहेंगे. इसे फायदे का निवेश मान कर आप अच्छा परिणाम सुनिश्चित कर सकते हैं. आप कितने भी व्यस्त क्यों न रहते हों, अपने दोस्तों और परिवार के साथ छुट्टी पर जाने का प्रोग्राम जरूर बनाएं. इस से आप को दिमागी तौर पर तो ताजगी मिलेगी ही, साथ ही नई जगहों और नए लोगों से मिलने पर आप की रचनात्मकता में भी निखार आ सकता है. भूल जाएं कि छुट्टी से आप के पैसे कटेंगे, क्योंकि असल में यह छुट्टी आप के लिए बोनस का काम करेगी जहां परिवार, दोस्तों और काम सभी के लिए आप फ्रैशनैस कैश कराएंगे.

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