शौचालय बनाने के लिए मिली रकम की बंदरबांट करने के लिए हर नियमकायदे को ताक पर रख दिया गया. इस के लिए मिले चैक को बैंक ने एनजीओ के खाते में डाल दिया गया.
पीएचईडी यानी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा के दस्तखत से ही पैसों का ट्रांसफर एनजीओ के खाते में किया गया. इतना ही नहीं, एडवाइस के साथ लगे 10 चैक बैंक ने एनजीओ के खाते में डाल दिए जबकि सारी रकम शौचालय बनवाने वाले लाभार्थियों के बैंक खातों में जानी थी.
शौचालय की रकम को लूटने के लिए पीएचईडी पूर्वी के तब के कार्यपालक अभियंता और कैशियर ने आरटीजीएस की फाइल में चैक का भुगतान करने के लिए कुछ लाभार्थियों के नाम और उन के बैंक खातों को दिखाया. लेकिन बैंक को भेजी जाने वाली एडवाइस में एनजीओ और दूसरे आदमी का नाम डाल कर रकम का गलत तरीके से भुगतान कर दिया गया.
कैशबुक में मैसर्स सत्यम शिवम कला केंद्र को 16 मई, 2016 को 35 अलगअलग चैकों के जरीए प्रचारप्रसार के सामान के मद में 1 करोड़, 52 लाख, 92 हजार, 176 रुपए दिए गए. इस केंद्र के संचालक महेंद्र कुमार के नाम पर यह रकम पटना के बोरिंग रोड की ओरिएंटल बैंक शाखा में जमा की गई.
इस के अलावा आदि शक्ति सेवा संस्थान के संचालक उदय सिंह और सुमन सिंह के इलाहाबाद बैंक की बिहारशरीफ शाखा और मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की कंकड़बाग शाखा में 10 करोड़, 3 लाख, 94 हजार, 442 रुपए डाले गए.
मां सर्वेश्वरी सेवा संस्थान के संचालक मनोज कुमार, प्रमिला सिंह और बौबी कुमारी के पंजाब नैशनल बैंक की बख्तियारपुर शाखा में 2 करोड़, 14 लाख, 57 हजार, 400 रुपए जमा किए गए.
शिव सेवा संस्थान की संचालिका रीता कुमारी और पीएचईडी की डाटा औपरेटर प्रीति भारती के मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की पटना शाखा और पंजाब नैशनल बैंक की दरभंगा शाखा औैर कारपोरेशन बैंक की मनेर शाखा में 9 लाख, 74 हजार रुपए डाले गए. ये सारे भुगतान 1 मई, 2016 से 23 जून, 2016 के बीच किए गए.
14 करोड़, 36 लाख रुपए के इस शौचालय घोटाले का मुख्य आरोपी विनय कुमार सिन्हा है. वह फिलहाल बिहार राज्य जल परिषद गंगा परियोजना अंचल 2 में अधीक्षण अभियंता के तौर पर काम कर रहा है, वहीं दूसरा आरोपी बिटेश्वर प्रसाद सिंह लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण के पटना प्रमंडल पूर्वी में कैशियर है.
घोटालेबाजों ने शौचालय बनाने की रकम को गटकने के लिए फर्जी एनजीओ बना रखे थे. उन एनजीओ के न तो औफिस हैं और न ही कहीं बोर्डबैनर लगे हुए हैं.
इस घोटाले में अब तक 14 लोगों के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.
शौचालय घोटाले में गिरफ्तार पीएचईडी के कैशियर बिटेश्वर प्रसाद सिंह को पुलिस ने तेलंगाना में दबोच कर पटना लाने के बाद जब पूछताछ की तो उस ने साफतौर पर कहा कि घोटाले का असली मास्टरमाइंड विनय कुमार सिन्हा है. विनय के दबाव में ही उस ने गलत काम किया.
उसी ने बताया कि विनय का घर राजेंद्र नगर टैलीफोन ऐक्सचेंज के पास है. वह दफ्तर से चैक ले कर घर आता था और विनय के घर पर सभी एनजीओ संचालक भी आते थे. वहीं पर चैक पर दस्तखत होने के बाद रुपयों की बंदरबांट होती थी.
विनय कुमार सिन्हा ने खुद को बचाने के लिए बिटेश्वर के सिर पर घोटाले का आरोप मढ़ दिया था और उस के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाने में केस दर्ज कर दिया था.
31 अक्तूबर, 2017 को दर्ज एफआईआर में विनय ने कहा है कि कैशियर बिटेश्वर प्रसाद सिंह ही घोटाले का मास्टरमाइंड है और उसी ने फर्जी दस्तखत कर शौचालय योजना के करोड़ों रुपयों की गैरकानूनी निकासी की.
एफआईआर में विनय कुमार सिन्हा ने यह भी कहा कि वह 7 जुलाई, 2015 से 1 जुलाई, 2016 तक पीएचईडी में कार्यपालक अभियंता के पद पर तैनात था. उस के बाद उस का ट्रांसफर मुजफ्फरपुर में हो गया था. उस ने मुजफ्फरपुर जाने से पहले महकमे का सारा लेखाजोखा बिटेश्वर प्रसाद सिंह को सौंप दिया था.
बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन का खाता एसबीआई की मुख्य शाखा गांधी मैदान में है. पिछले साल उस बैंक के सहायक प्रबंधक शिवकुमार झा को विनय कुमार सिन्हा और उस ने मैनेज किया था. गलत तरीके से चैक पास करने के लिए शिवकुमार झा को 10 लाख रुपए दिए गए थे. फिलहाल बक्सर जिले के भारतीय स्टेट बैंक की गरहथाकलां शाखा में काम कर रहे शिवकुमार झा को 9 नवंबर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
किसी भी सरकारी योजना के लिए एक महीने में 50 लाख रुपए से ज्यादा नहीं देने का नियम है, पर विनय की दबंगई और रुपयों के लालच में बैंक अफसर ने करोड़ों रुपए के चैक जारी किए. घोटालेबाजों ने 23 दिनों में ही निकासी के 14 करोड़ रुपए खर्च कर डाले. 14 करोड़ रुपए की यह रकम सीधे लाभार्थियों के खाते में ट्रांसफर करनी थी जिसे 4 एनजीओ और 2 निजी खातों में डाल दिया गया.
पीएचईडी की डाटा औपरेटर प्रीति भारती का मुंह बंद रखने के लिए 2 लाख, 97 हजार रुपए उस के खाते में डाले गए थे. प्रीति का खाता पंजाब नैशनल बैंक की दरभंगा शाखा में है, जिस का अकाउंट नंबर 465000017741 है.
बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने पुलिस को बताया है कि एनजीओ के खाते में जितने भी चैक या आरटीजीएस या एनईएफटी के जरीए रकम डाली जाती थी उस में से 80 फीसदी विनय ले लेता था. एनजीओ आदि शक्ति सेवा संस्थान का संचालक विनय कुमार का परिचित है इसलिए उस के खाते में सब से ज्यादा 10 करोड़ रुपए की रकम जमा कराई गई थी.
बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने पुलिस के सामने यह भी कबूला कि विनय को 4 करोड़ रुपए और उसे 2 करोड़़ रुपए मिले थे. उस पैसे से दोनों ने दिल्ली और रांची में फ्लैट और जमीन खरीद ली थी. विनय ने लग्जरी कार भी खरीदी थी.
शौचालय बनाने में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद 17 जून, 2016 को शौचालय बनाने की योजना पीएचईडी से छीन कर डीआरडीए को देने का फैसला लिया गया. उस के बाद भी उस समय पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता रहे विनय कुमार ने शौचालय योजना की तमाम फाइलें और कागजात डीआरडीए को नहीं सौंपे.
इस के लिए विनय कुमार को 4 बार नोटिस भेजा गया, पर वह टालमटोल करता रहा. विनय कुमार की इस करतूत की जानकारी महकमे के बाकी अफसरों ने भी कलक्टर को देने की हिम्मत नहीं जुटाई.
बख्तियारपुर के मां सर्वेश्वरी सेवा संस्थान में एक ही परिवार के मांबेटी और बेटी का देवर 3 खास पदों पर बैठे हैं, जबकि एनजीओ के नियम के मुताबिक संस्था के अफसरों के बीच खून का रिश्ता नहीं होना चाहिए. इस संस्थान का गठन साल 2014 में हुआ था. हैरानी की बात है कि 2 साल में ही इस एनजीओ को करोड़ों रुपए के काम मिलने शुरू हो गए थे.
शौचालय योजना की रकम को गटकने के लिए घोटालेबाजों ने 3 हजार ऐसे शौचालय लाभार्थियों की लिस्ट बनाई जिन का कोई स्थायी पता ही नहीं है. यह लिस्ट 10 से 12 जून, 2016 के बीच बनाई गई. जांच दल अब बैंक खातों के आधार पर लाभार्थियों का अतापता लगाने में जुटा हुआ है.
अथमगोला में 343, बख्तियारपुर में 297, दानापुर में 202, दनियावां में 197, बिहटा में 159, बाढ़ में 109, पंडारक में 104, खुसरूपुर में 90, नौबतपुर में 54, फुलवारी में 40, पटना सदर में 38, मोकामा में 28 लाभार्थियों की लिस्ट में पते दर्ज नहीं हैं.
गौरतलब है कि निजी घरेलू शौचालय की एक यूनिट बनाने में 6 हजार, 600 रुपए की लागत आती है. इस में से 3200 रुपए केंद्र सरकार और 2500 रुपए राज्य सरकार मुहैया कराती है. शौचालय बनाने के इच्छुक लोगों को 900 रुपए अपनी जेब से लगाने पड़ते हैं. 5700 रुपए लाभार्थियों के खाते में सीधा ट्रांसफर करना होता है और इसी रकम में घोटाला किया गया.
29 अगस्त को स्वच्छ भारत अभियान की समीक्षा बैठक में कलक्टर को घोटाले की भनक लग चुकी थी. बैठक में खुलासा हुआ कि 1 मई से 23 जून, 2016 के बीच तब के कार्यपालक अभियंता और कैशियर ने तमाम नियमों को ताक पर रख कर 14 करोड़, 38 लाख रुपए की रकम का भुगतान किया है.
उस के बाद कार्यपालक अभियंता और कैशियर को तमाम बहीखाते मुहैया कराने का निर्देश दिया गया, पर वे कई दिनों तक आनाकानी करते रहे. इस के बाद भी जिला प्रशासन ने उन के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई?
गौरतलब है कि 2 अक्तूबर, 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त कराने का टारगेट रखा गया है. सभी राज्यों को 31 अक्तूबर, 2018 तक शौचालय बनाने के टारगेट को पूरा करना है.
इस मामले में देश के सभी राज्यों में बिहार ही सब से फिसड्डी है. टारगेट को पाने के लिए अब 15 महीने में राज्य में एक करोड, 40 लाख शौचालय बनवाने होंगे जो दूर की कौड़ी है.
देश में शौचालय बनाने की राष्ट्रीय औसत 67 फीसदी है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा 32.5 फीसदी हो कर रेंग रहा है. देश के 192 जिले खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं और उन में बिहार का एक भी जिला नहीं है.
बिहार के पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा का दावा है कि शौचालय बनाना और खुले में शौच पर रोक लगाना सरकार की प्राथमिकता है और इसे हर हाल में तय समयसीमा के अंदर पूरा कर लिया जाएगा. इस के लिए खास रणनीति के तहत काम शुरू किया गया है. राज्य की एक हजार पंचायतें खुले में शौच से मुक्त हो चुकी हैं.
इस साल 4555 पंचायतों में पूरी तरह शौचालय बनाने का काम हो जाएगा. साल 2018-19 में 2529 पंचायतों और 2019-20 में 1240 पंचायतों को पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त कर दिया जाएगा.