सोशल मीडिया यानी फेसबुक, वाट्सऐप और ट्विटर के जरिए पोंगापंथ को बढ़ावा देने का काम बड़ी तेजी से होने लगा है. फेसबुक और वाट्सऐप पर रोज ऐसे मैसेज सैकड़ों की संख्या में आते हैं जिन में पूजापाठ, हवनयज्ञ और तमाम तरह के दोषों को दूर करने के उपाय बताए जाते हैं. कुछ संदेशों में तो मैसेज फौरवर्ड करने के लिए कहा जाता है. मैसेज फौरवर्ड करने पर लाभ और न करने पर हानि का भय भी दिखाया जाता है. खास मौकों को छोड़ दें तो वाट्सऐप ग्रुप में सब से अधिक मैसेज पोंगापंथी विचारों को फैलाने वाले ही आते हैं. इस तरह के मैसेज से धर्म के धंधे को बढ़ावा मिल रहा है. सोशल मीडिया को हथियार बना कर इस काम को किया जा रहा है. पश्चिमी सभ्यता की आलोचना करने वाले पश्चिम से आई इस तकनीक की बुराईन कर के उस का सहारा ले रहे हैं.

सोशल मीडिया के जरिए धर्म और दूसरी तरह की बातों को एक से दूसरे तक पहुंचाने में कोई मेहनत नहीं करनी होती. फेसबुक पर शेयर कर के या वाट्सऐप पर फौरवर्ड कर के एक मैसेज को दूसरे तक पहुंचाया जाता है. एक बार मैसेज जब फौरवर्ड हो जाता है तो बहुत सारे लोग खुद भी अपनेआप ऐसे मैसेज को आगे भेजने लगते हैं. ऐसे मैसेज को मैसेज का ट्रेंड होना या वायरल होना भी कहा जाता है. फेसबुक पर ऐसे फोटो वाले मैसेज एकदूसरे को शेयर या टैग किए जाते हैं. वाट्सऐप पर फोटो को ओपन करने से लोग बचने की कोशिश करते हैं तो मैसेज को टाइप कर के भेजा जाने लगा. यह मैसेज एक जगह पर टाइप कर के वाट्सऐप किए जाते हैं. धीरेधीरे ये बहुत सारे लोगों तक पहुंच जाते हैं. सोशल मीडिया पर मैसेज के तेजी से ट्रेंड होने के रिकौर्ड में सब से ज्यादा धार्मिक मैसेज का है. अश्लील या फनी मैसेज भी धर्म के मैसेज से कम तेजी से फैलते हैं.

बड़ा माध्यम है वाट्सऐप ग्रुप

वाट्सऐप ग्रुप मैसेज और प्रचारप्रसार का सब से बड़ा जरिया बन गया है. एक ग्रुप में 100 मैंबर होते हैं. किसी ग्रुप में मैसेज पहुंचने का मतलब होता है कि वह 100 लोगों तक एक बार में ही पहुंच जाता है. ऐसे में अगर कोई मैसेज 100 ग्रुप में पहुंच जाए तो वह 10 हजार लोगों तक पहुंच सकता है. इतने लोगों तक पहुंचने के बाद मैसेज आगे भी फौरवर्ड होने लगता है. मैसेज को इस तरह से बनाया जाता है कि हर आदमी उस से अपना जुड़ाव महसूस करता है. मैसेज के संदेश से लोगों को धार्मिक रूप से डराने की कोशिश की जाती है. धर्म से जुड़ी सलाहें इस तरह के मैसेज में दी जाती हैं जो आदमी को अपने लाभ की लगती हैं. पोगापंथ का प्रचार करने वाले अब रोज राशिफल और दूसरे तमाम तरह के मुहूर्त को बताने लगे हैं.

धर्म का प्रचार करने वाले पहले भी इस तरह के साधनों का प्रयोग करते थे. पोस्टकार्ड और पैंफलेट के जरिए ऐसा प्रचार होता था. अखबारों में विज्ञापन व किस्सेकहानी के जरिए भी इस तरह के प्रचार किए जाते थे. ये सभी माध्यम खर्चे वाले होते थे. इन के जरिए संदेश को आगे फैलाने में परेशानी व समय भी लगता था. वाट्सऐप और फेसबुक के जरिए मैसेज को आगे पहुंचाने में समय व पैसा दोनों ही बचते हैं. ज्यादा लोगों तक और सीधी पहुंच होने से यह तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है. कुछ समय पहले धार्मिक भावनाओं को भड़काने में सोशल मीडिया का बड़ा हाथ सामने आया. कई जगहों पर प्रशासन द्वारा इस के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए. धार्मिक प्रचार इस तरह के कानून के दायरे में न आने से बच जाता है. इस का कोई विरोध भी नहीं करता. इस वजह से इस को आगे बढ़ाने में अड़चन नहीं आती है.

मुफ्तखोरी का जरिया

वाट्सऐप पर मैसेज मुफ्तखोरी का जरिया बन गए हैं. इस के जरिए पितृयज्ञ, अतिथियज्ञ और ऐसे ही तमाम यज्ञ के जरिए संतमहात्मा के कपड़े पहनने वाले का इंतजाम हो जाता है. पढ़ेलिखे, नई उम्र के लोग इस तरह के धार्मिक कर्मकांडों को बहुत जानतेसमझते नहीं थे. अब इस तरह के मैसेज के जरिए उन को इन सब की जानकारी होने लगी है. वे जब कभी परेशानी में पड़ते हैं तो इस ओर उन का ध्यान जाता है. ऐसे मैसेज नई उम्र के युवाओं को बहकाने का काम करते हैं.

ऐसे मैसेज का प्रचार करने वाले अपने लिए दानदक्षिणा का इंतजाम कर लेते हैं. मैसेज ऐसे होते हैं जिन से यह लगता है कि हर समस्या का निदान यहां पर है. पुत्र या पुत्री प्राप्ति के लिए आयुर्वेद ग्रंथों का हवाला दे कर समझाया जाता है कि माहवारी के बाद कब संबंध बनाएं. मैसेज के जरिए केवल आदमी की सोच को ही प्रभावित नहीं किया जाता बल्कि उस के बैडरूम के अंदर बनने वाले संबंधों को भी प्रभावित करने का प्रयास होता है. मैसेजों में धर्म का प्रचार करने वाले संदेशों को तर्क और विज्ञान की कसौटी पर भी खरा साबित करने का प्रयास होता है. यज्ञ करने के पीछे तर्क दिया जाता है कि जल, वायु और पृथ्वी को इस के जरिए शुद्ध किया जा सकता है, यही नहीं, प्रदूषण को रोक कर ओजोन परत को भी बचा सकते हैं. मैसेजों में 5 तरह के यज्ञ को जरूर बताया जाता है.

दरअसल, यज्ञ और हवन के नाम पर कर्मकांड करने वालों को दक्षिणा मिल जाती है. इस तरह के मैसेज के विरोध में तर्क सहित कोई बात समझाने की कोशिश नहीं की जाती है कि जिस से पढ़ने वाला इस को सही न माने और तर्क सहित अपनी बात करे. इस तरह सोशल मीडिया के रूप में धर्म का प्रचार करने वालों को एक बड़ा हथियार मिल गया है. ऐसे में अगर सोशल मीडिया का प्रयोग करने वालों को सच समझाया नहीं गया तो वे धर्म के अंधविश्वास और रूढि़वादिता का शिकार हो जाएंगे. धर्म का प्रचार करने वालों के मुकाबले ऐसी बातों की पोल खोलने वालों की संख्या और प्रयास दोनों ही सीमित हैं.

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