अतिथि शिक्षकों के बहाने दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल के बीच खुला टकराव बुधवार को विधानसभा में साफ नजर आया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं राज्य का चुना हुआ मुख्यमंत्री हूं, कोई आंतकवादी नहीं. सरकार के मंत्रियों को भी फाइलें देखने का अधिकार नहीं है. अधिकारियों से जब किसी मामले में जवाब मांगा जाता है तो उनका कहना होता है कि उपराज्यपाल के आदेश हैं कि फाइलें नहीं दिखाई जाएं.

मुख्यमंत्री केजरीवाल उपराज्यपाल अनिल बैजल पर जमकर बरसे. उनका कहना था कि यह सब भाजपा के इशारे पर हो रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा से पहले भी ऐसा ही एक पत्र उपराज्यपाल से आया है, जिसमें कहा गया है कि सेवा सीधेतौर पर उपराज्यपाल के अधिकार का मामला है. इस प्रकार के हथकंडों के जरिये ही अधिकारियों को डराया जा रहा है. यदि राजनीति करनी है तो खुलकर सामने आएं.

उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि हम वोट की राजनीति नहीं करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार इसे मंजूरी नहीं देती है तो वह भाजपा को हटाने में कोई कसर नहीं छोड़ें. इसमें आम आदमी पार्टी उनके साथ है.

‘सरकार क्यों चुनी, कानून सचिव को ही चुन लेते’

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता ने आप पार्टी की सरकार को चुना है. यदि सभी काम अधिकारियों को ही करने थे तो चुनी हुई सरकार की जरूरत नहीं. कानून सचिव का भी चुनाव आम जनता द्वारा किया जाता. मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अतिथि शिक्षकों से संबंधित फाइल को एक बार भी उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को नहीं दिखाया गया. यह जानकारी सरकार को विज्ञापन के माध्यम से मिली. इसी प्रकार मोहल्ला क्लीनिक के मामले में भी कोई फाइल स्वास्थ्य मंत्री को नहीं दिखाई जा रही है.

नेता प्रतिपक्ष से बहस

मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष में सीधे सवाल जवाब हुए. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे नेता प्रतिपक्ष को अपना नेता मानने को तैयार हैं. वे इस मामले में सीधे एलजी के पास चलें. सरकार उनके मुताबिक विधेयक में संशोधन भी करने को तैयार है. नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि यह विधेयक कानूनी प्रक्रिया के तहत नहीं है.

अफसरों की छवि खराब की जा रही : एलजी

उपराज्यपाल अनिल बैजल की ओर से केंद्रीय गृह सचिव को दिल्ली विधानसभा की कमेटियों को लेकर लिखी गई एक चिट्ठी सामने आई है. चिट्ठी इसी साल 23 जुलाई को लिखी गई है. इसमें आरोप लगाए गए हैं कि दिल्ली विधानसभा की अथॉरिटी का बेजा इस्तेमाल कर अफसरों की छवि खराब की जा रही है.

अनिल बैजल ने केंद्रीय गृह सचिव को चिट्ठी में यह भी लिखा है कि किस तरह विधानसभा की कमेटियों के विशेषाधिकार हनन और विधानसभा की अवमानना का डर अधिकारियों को दिखाया जा रहा है. उन्होंने लिखा कि इस तरह से दिल्ली में सरकारी काम काज ठप हो जाएगा. दरअसल यह चिट्ठी, दिल्ली विधानसभा की नियम संबंधित कमेटी की दूसरी रिपोर्ट में प्रस्तावों के मद्देनजर लिखी गयी है. जिसमें विभागों से संबधित स्थायी समितियों (डीआरएससीएस) को कई अतिरिक्त अधिकार देने का जिक्र है. नियम समिति की रिपोर्ट में सेवा, विजिलेंस, गृह, लैंड एंड बिल्डिंग जो कि रिज़र्व विषय हैं उन्हें भी डीआरएससीएस के अंदर लाने का प्रस्ताव है. अनिल बैजल के मुताबिक ये संविधान की धारा 239एए के खिलाफ है.

अनिल बैजल अपनी चिट्ठी में यह भी लिखते हैं कि दिल्ली विधान सभा की स्थाई समितियों को वो अधिकार देने का प्रस्ताव है जो संसद की ऐसी ही कमेटियों के पास तक नहीं है.

मेट्रो में किराया वृद्धि के खिलाफ प्रस्ताव पास

मेट्रो में किराया बढ़ाने के खिलाफ दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव पास किया गया. प्रस्ताव में किराया वृद्धि को आम आदमी के खिलाफ माना गया है. केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रलय से मांग की गई है कि वह हस्तक्षेप कर डीएमआरसी के किराया वृद्धि के फैसले पर रोक लगाए. बुधवार को विधानसभा के विशेष सत्र में भी मेट्रो किराया वृद्धि का असर दिखाई दिया. इस मामले पर एक प्रस्ताव पास किया गया. प्रस्ताव में कहा गया कि दस अक्टूबर से मेट्रो का किराया बढ़ाना जनविरोधी है.

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