हरियाणा और राजस्थान में फैला मेवात चोरीचकारी, लूटपाट और छिनैती के लिए मशहूर रहा है. किसी जमाने में मेवात के मेव पशुधन की चोरी किया करते थे, लेकिन पूरी ईमानदारी से. ये पशुधन चुराते थे और उस के मालिक से फिरौती ले कर उस का पशु वापस कर देते थे. इस के लिए पशु मालिक को उस के चोरी गए पशु और फिरौती के लिए बाकायदा सूचना दी जाती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. चोरियां अब भी होती हैं, लेकिन अब फिरौती ले कर माल की वापसी नहीं होती.
राजस्थान के भरतपुर, अलवर जिले और हरियाणा के नूंह, फिरोजपुर झिरका, पुनहाना, पलवल और उस के आसपास के इलाके मेवात में आते हैं. इन इलाकों में अल्पसंख्यक समुदाय के मेवों की बहुतायत है. मेवात पहले से ही पिछड़ा हुआ इलाका रहा है. हालांकि अब समय के साथ यहां हर स्तर पर बदलाव आ रहा है.
मेवात के कई युवा अब आईएएस अफसर भी बन गए हैं, साथ ही यहां के युवा अन्य विभागों में भी जा रहे हैं. खेतीबाड़ी करने वाले मेवों के रहनसहन और शिक्षादीक्षा में भी काफी सुधार हुआ है. लेकिन इस के बावजूद यहां के तमाम मेवों का पुस्तैनी धंधा अभी बंद नहीं हुआ है. अलबत्ता इस धंधे की कार्यशैली जरूर बदल गई है. अब नई पीढ़ी आधुनिक साधनों का सहारा ले कर लोगों को ठगने के नएनए हथकंडे अपनाने लगी हैं.
करीब 20-25 साल पहले मेवात के कुछ लोगों ने खुदाई में निकली सोने की ईंट के नाम पर लोगों को ठगने का धंधा शुरू किया था. देश भर में इन का यह धंधा अब भी चल रहा है. जिस तरह आजकल एटीएम नंबर पूछ कर औनलाइन साइबर ठगी की जा रही है, अब से करीब 10-15 साल पहले मेवात में उसी तरह सोने की ईंट के नाम पर ठगी का कारोबार चलता था.
शायद ही देश का कोई ऐसा राज्य और जिला हो, जहां के लोग सोने की चमक के लालच में मेवात आ कर अपनी जमापूंजी ना गंवा बैठे हों. आला अफसरों से ले कर जज, डाक्टर, व्यापारी, अभिनेता, मौडल, खिलाड़ी से ले कर आम आदमी तक इन लोगों की ठगी का शिकार बने हैं.
मेवात इलाके में सोने की ईंट के नाम पर ठगी करने वाले लोगों को टटलू और उन के गिरोह को टटलू गैंग कहते हैं. ये लोग जिसे अपना शिकार बनाते हैं, उसे टटलू काटना कहते हैं. ये लोग साइबर ठगों की तरह खुद को हरियाणा या राजस्थान का बता कर देशभर में अंजान नंबरों पर फोन कर के कहते हैं कि उन के मकान या खेत में जेसीबी से खुदाई करते समय सोने की ईंट निकली है.
ये लोग खुद को गरीब बता कर लोगों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों में फांस कर सोने की इस ईंट को सस्ते दामों पर बेचने की बात कहते हैं, साथ ही यह भी कि पुलिस से बचने के लिए वे उस ईंट को कम दाम पर चुपचाप बेच देना चाहते हैं.
2-4 बार फोन कर के ये लोग अपने शिकार को भरोसे में ले कर अपने इलाके में बुला लेते हैं. खरीदार के मेवात इलाके में आने पर टटलूबाज उसे पहले से तैयार की गई सोने की ईंट का टुकड़ा दिखाते हैं. उस पीली धातु की चमक देख कर ग्राहक आमतौर पर उस की जांच करने की बात कहता है. इस पर टटलूबाज नमूने के तौर पर उस ईंट के एक कोने से रेती से घिस कर 100-50 मिलीग्राम बुरादा ग्राहक को दे देते हैं. ग्राहक देशभर में जहां भी सोने की जांच कराने की बात कहता है, टटलूबाज राजी हो जाते हैं और उस के साथ चले जाते हैं. जांच में सोना असली निकलता है. इस के बाद ग्राहक के मन में लालच आ जाता है. सोने की उस ईंट का सौदा होता है. टटलूबाज उस ग्राहक से उसी की हैसियत के हिसाब से सौदा कर लेते हैं.
10-20 हजार से ले कर लाख-2 लाख रुपए तक सौदा हो जाने के बाद वे ग्राहक को रकम ले कर अपने इलाके में बुलाते हैं. वह आ जाता है तो उसे 2-4 घंटे तक इधरउधर घुमाया जाता है. फिर उसे मोटरसाइकिल पर बैठा कर बहाने से जंगल या खेतों की तरफ ले जाया जाता है, जहां उसे नकली सोने की ईंट का टुकड़ा थमा कर उस से रकम ले ली जाती, साथ ही उस से कहा जाता कि वह जल्दी से जल्दी वहां से निकल जाए. इस के बाद ये लोग भी वहां से रफूचक्कर हो जाते हैं.
टटलूबाज कभी अकेले नहीं होते. गिरोह के 2-4 लोग साथ रहते हैं. अगर कोई ग्राहक समझदारी दिखाता है तो ये उस से मारपीट करने में भी पीछे नहीं रहते थे. मारपीट कर के उस से रकम छीन लेते हैं. जब कोई ग्राहक ईंट ले जाता है और बाद में उस की जांच कराता है तो वह पीतल की निकलती है.
ठगी के शिकार अधिकांश लोग अपनी बेवकूफी पर चुपचाप घर बैठ जाते हैं. कुछ लोग पुलिस तक पहुंचते हैं, मामला दर्ज भी होता है. पुलिस जांच भी करती है. कभीकभी कुछ टटलूबाज पकड़े भी जाते हैं. लेकिन वारदात सौ होती हैं और पकड़े जाते हैं केवल 10-20 अपराधी.
पिछले 20 सालों में राजस्थान में ऐसी हजारों वारदातें हुईर् हैं. सैकड़ों टटलूबाज पकड़े गए. कई टटलूबाज तो ऐसे हैं, जो 5-7 बार पकडे़ जा चुके हैं. छूटने के बाद ये लोग फिर नए तरीके से नए शिकार की तलाश शुरू कर देते हैं. पुलिस को इन टटलूबाजों से ठगी की रकम बरामद करने में सब से ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है. अव्वल तो रकम बरामद होती ही नहीं, होती भी है तो नाम मात्र की.
अपराधों के तौरतरीकों में आए बदलावों को देख कर अब इन टटलूबाजों ने भी अपने हथकंडे बदल दिए हैं. अब ये स्मार्ट फोन, वाट्सऐप और सोशल साइटों के माध्यम से ठगी के नये पैंतरें अपना रहे हैं. टटलूबाज अब सोने की ईंट के नाम पर लोगों को अपने झांसे में कम ही फंसाते हैं. सोशल साइटें इन के काम में मददगार बनी हुई हैं.
मेवात के एक टटलूबाज गिरोह ने चेन्नई के व्यापारी श्याम कुमार को सस्ता स्क्रैप बेचने के बहाने राजस्थान बुलाया. चेन्नई (तमिलनाडु) के जिला तिरवल्लूर के थाना तिरवर काडू के रहने वाले व्यापारी श्याम कुमार 3 मई, 2017 को हवाई जहाज से जयपुर पहुंचे. टटलूबाज गिरोह के बदमाश जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट पर पहले से तैयार थे.
इन बदमाशों ने श्याम कुमार को काले रंग की स्कौर्पियो में बैठा लिया. श्याम कुमार को बताया गया कि स्क्रैप का गोदाम भरतपुर में है, वहीं चलना पड़ेगा. इस के बाद ये लोग श्याम कुमार को जयपुर से स्कौर्पियो में बैठा कर भरतपुर के लिए चल दिए. भरतपुर पहुंच कर 2 बदमाश व्यापारी को घेर कर बैठ गए और स्कौर्पियो को कच्चे रास्ते पर ले गए. बाद में स्कौर्पियो कच्चे रास्ते पर चलती रही और बदमाशों ने श्याम कुमार की कनपटी पर पिस्तौल लगा कर उस के हाथपैर बांध दिए.
बदमाश श्याम कुमार को पहाड़ी (भरतपुर) थाना क्षेत्र के गांव हुजरा ले गए. वहां उन्हें एक कमरे में बंधक बना कर रखा गया. इस के साथ उन्हीं के मोबाइल से उन के घर वालों को फोन कर के उन्हें छोड़ने के एवज में 90 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई. लेकिन व्यापारी के घर वालों ने इतना पैसा होने से इनकार कर दिया. इस पर कई घंटे तक सौदेबाजी चलती रही. अंतत: 30 लाख रुपए में सौदा तय हुआ.
बदमाशों ने व्यापारी श्याम कुमार के बेटे सिंटू श्याम को खाता नंबर बता कर उस से 20 लाख रुपए बैंक खातों में डलवा लिए. इन में 4 मई को एक बैंक खाते में 10 लाख रुपए डलवाए गए. इस के बाद दूसरे बैंक खाते में एक बार 6 लाख रुपए और दूसरी बार उसी खाते में 4 लाख रुपए डलवाए गए. बदमाशों ने व्यापारी को छोड़ने के बदले उस से 10 लाख रुपए का चेक भी ले लिया. 30 लाख रुपए मिल जाने के बाद भी बदमाशों ने व्यापारी को नहीं छोड़ा और उस से मारपीट करते रहे.
इस घटना की सूचना किसी तरह अजमेर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बीजू जार्ज जोसफ को मिली. उन के निर्देश पर अजमेर पुलिस ने इस मामले की सूचना भरतपुर पुलिस को दी. पुलिस ने सर्विलांस के जरिए व्यापारी के मोबाइल की लोकेशन के आधार पर उस की तलाश शुरू कर दी. श्याम कुमार के मोबाइल की लोकेशन भरतपुर के हुजरा गांव की मिली.
इस पर भरतपुर पुलिस ने 4 मई की आधी रात को भारी पुलिस बल के साथ पहाड़ी की तलहटी में बसे हुजरा गांव की घेराबंदी कर दी. आसपास के 6 थानों की पुलिस ने घरों का तलाशी अभियान चलाया. नतीजा यह हुआ कि एक मकान में हाथपैर बांध कर रखे गए श्याम कुमार को पुलिस ने मुक्त करा लिया.
पुलिस ने इस मामले में हुजरा गांव के रहने वाले साकिर मेव की पत्नी आसी को गिरफ्तार किया. इस से पहले पुलिस ने अजमेर जिले में मकराना के रहने वाले सरवन की पत्नी सिरजो और उत्तर प्रदेश के हाथिया के रहने वाले साकिर को गिरफ्तार कर लिया था. गिरोह ने सिरजो के 2 बैंक खातों में व्यापारी के घर वालें से फिरौती की रकम डलवाई थी. पुलिस ने सिरजो से 9 लाख 60 हजार रुपए बरामद कर लिए. जबकि उस के दूसरे खाते में डलवाए गए 10 लाख रुपए की रकम को पुलिस ने फ्रीज करवा दिया.
बाद में पुलिस ने श्याम कुमार के अपहरण के मालमे में 6 मई को गिरोह के मुखिया सलामुद्दीन उर्फ सलीम उर्फ भूरा मेव और साबिर रसीद मेव को गिरफ्तार कर लिया. ये दोनों बदमाश उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना थाना अंतर्गत हाथिया गांव के रहने वाले थे. पुलिस ने वह स्कौर्पियो भी बरामद कर ली, जिस से व्यापारी का अपहरण किया था. इस के अलावा श्याम कुमार से छीने गए 2 एटीएम कार्ड भी अभियुक्तों से मिल गए.
जांच में पता चला कि हाथिया गांव का रहने वाला साकिर मुंबई में भी अपहरण कर के फिरौती लेने के मामले में वांछित चल रहा था. उस पर मुंबई पुलिस की ओर से 25 हजार रुपए का इनाम घोषित था. साकिर का भाई साकिब भी मुंबई में आर्थर रोड जेल में बंद है.
गिरोह के सदस्यों से पूछताछ में पता चला कि कुछ दिनों पहले ही 2 व्यक्तियों का अपहरण कर के फिरौती वसूली गई थी. इन में एक व्यक्ति से 10 लाख रुपए और दूसरे से 5 लाख रुपए फिरौती के रूप में वसूले गए थे.
चेन्नई के व्यापारी के अपहरण एवं पिछले कुछ समय में हुई टटलूबाजी की वारदातों में पकड़े गए अभियुक्तों से टटलूबाज गिरोह की जो कहानी उभर कर सामने आई है, वह इस प्रकार है-
सोने की ईंट के नाम पर ठगी की अनगिनत वारदातें होने के बाद लोगों के सतर्क हो जाने के कारण टटलूबाजों ने ठगी व लूट की वारदातों को अंजाम देने के लिए अब अपना ट्रैंड बदल दिया है. वे अब ई-मार्केटिंग कंपनियों और सोशल वेबसाइटों पर सस्ते दामों में वाहन, जनरेटर, प्लास्टिक दाना, स्क्रैप, सीसीटीवी, मोबाइल एवं अन्य सामान बेचने-खरीदने का विज्ञापन देते हैं.
निजी कंपनी के मालिक या कर्मचारी, व्यापारी व अन्य व्यक्तियों को तलाश कर ये लोग उन्हें अपना निशाना बनाते हैं. कई बार ये निर्माण कार्य कराने या कोई बड़ा काम कराने के नाम पर विज्ञापन देते हैं या संबंधित व्यक्ति से संपर्क करते हैं. सस्ते में सामान खरीदने या बेचने के लालच या बड़ा काम मिलने की उम्मीद में जो लोग इन से संपर्क करते हैं, उन्हें ये अपने ठिकानों पर बुला कर मारपीट करते हैं और उन से नकदी व वाहन छीन लेते हैं.
कई बार ये बदमाश उस व्यक्ति को बंधक बना कर फिरौती की रकम मांगते हैं. फिरौती की रकम वसूलने के लिए ये लोग बाकायदा बैंक खातों के नंबर देते हैं. चेन्नई के व्यापारी से फिरौती वसूलने में भी बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया था. अलवर, भरतपुर, धौलपुर व जयपुर में हाल ही में 3 महीने के दौरान ऐसी 18 वारदातें सामने आई हैं.
टटलू गिरोह के लोगों ने कुछ समय पहले फरीदाबाद (हरियाणा) की क्रेटिव पौली इंटोस्केप प्रा.लि. को जस्ट कौल डायल के जरिए फोन किया. गिरोह के सदस्यों ने कंपनी के अधिकारियों से कहा कि भरतपुर जिले में कामां के पास एक फार्महाउस में स्विमिंग पूल का निर्माण करवाना है. इस पर कंपनी के मालिक दिनेश कुमार ने कंपनी के 2 कर्मचारियों राजेश कुमार और हरिराम उपाध्याय को साइट देखने के लिए कामां (भरतपुर) भेज दिया.
ये दोनों कर्मचारी कामां पहुंचे तो गिरोह के सदस्य 2 मोटरसाइकिलों पर आए और उन्हें करीब 8 किलोमीटर दूर कामां-जुरहरा मार्ग पर ले गए और उन के मोबाइल व नकदी छीन ली. गिरोह के दोनों कर्मचारियों को छोड़ने के एवज में कंपनी के मालिक से फिरौती मांगी गई. कंपनी मालिक कामां पहुंचा और पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर दोनों कर्मचारियों की तलाश शुरू की. 4 मई को कामां पुलिस ने दोनों कर्मचारियों को तो मुक्त करा लिया, लेकिन एक भी अभियुक्त मौके पर नहीं पकड़ा जा सका.
पिछले साल अक्तूबर में हरियाणा की वेस्टर्न लिफ्ट एजेंसी के एक इंजीनियर को लिफ्ट लगवाने के बहाने टटलूबाजों ने अलवर बुला लिया. इंजीनियर को बदमाशों ने बंधक बना लिया और कंपनी के मालिक से 5 लाख रुपए की फिरौती मांगी. इस संबंध में हरियाणा में मुकदमा दर्ज हुआ.
जयपुर मंडल में ऐसे ही 3 मामले दर्ज हुए हैं. इन में जयपुर के मनोहरपुरा के रहने वाले दीपक व उस के साथी ने सोशल वेबसाइट ओएलएक्स पर स्विफ्ट कार बिकाऊ होने का विज्ञापन देखा. इस पर उन्होंने विज्ञापन में लिखे मोबाइल नंबर पर संपर्क किया. बदमाशों ने उन्हें 4 लाख रुपए ले कर भरतपुर बुलाया. दीपक और शिवशंकर इसी 3 अप्रैल को बदमाशों के बताए ठिकाने पर अलवर जिले के कठूमर इलाके में पहुंचे. वहां उन्हें 2 बाइक सवार मिले. वे उन्हें ऐसी सुनसान जगह पर ले गए, जहां पहले से उन के 4-5 साथी मौजूद थे. उन्होंने पहले तो दीपक और शिवशंकर को बंधक बना लिया. फिर मारपीट कर 4 लाख रुपए छीन लिए. जैसेतैसे दोनों युवक खुद को छुड़ा कर वहां से निकले और पुलिस को सूचना दी.
ऐसी ही एक वारदात जयपुर के निवारू रोड निवासी मनीष के साथ हुई. मनीष ने ओएलएकस पर 88 हजार रुपए में ड़्यूक बाइक बिकाऊ होने का विज्ञापन दिया. विज्ञापन देख कर नरेश नामक व्यक्ति ने मनीष से संपर्क किया. उस ने बाइक दिखाने का बहाना कर जयपुर में लोको कालोनी में बुलाया. मनीष बाइक ले कर पहुंचा तो नरेश ने उस पर चाकू से हमला कर बाइक लूटने की कोशिश की.
5 अप्रैल, 2017 को जयपुर के बनीपार्क में रहने वाले अरुण कुमार ने ओएलएक्स पर मोबाइल का विज्ञापन देख कर खरीदने के लिए उस से संपर्क किया. उस ने अरुण कुमार को जयपुर के क्रिस्टल मौल में बुलाया. वहां बदमाशों ने उसे प्लास्टिक का नकली मोबाइल दे कर 15 हजार रुपए ले लिए.
जांच में यह भी सामने आया है कि 8 नवंबर, 2016 की रात नोटबंदी के बाद इन टटलूबाजों ने कालेधन को ठिकाने लगाने के इच्छुक लोगों से काफी मोटी ठगी की थी. इन लोगों ने करोड़ों रुपए के 500 व 1000 रुपए के पुराने नोट ले कर बदले में नकली सोने की ईंट दे कर काली कमाई करने वालों को ठगा.
मेवात के लोगों ने राजस्थान के अलावा हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व कई अन्य राज्यों में ऐसी ही वारदातें कीं. जांच में जब ईंटें नकली निकलीं तो लोग अपना सिर पीटते रह गए. अधिकांश लोग काली कमाई की जांचपड़ताल के डर से चुप बैठ गए. एकदो मामले पुलिस में गए भी तो पुलिस ने जांच की.
जांच में पता चला कि यह काम अलवरभरतपुर के टटलूबाजों का था. उसी दौरान भरतपुर पुलिस ने जुरहरा, पहाड़ी के गांव तिलकपुरी, मूंगसका, अमरूका गांवों में दविश दे कर 8 टटलूबाजों को गिरफ्तार कर उन से नकली सोने की 19 ईंटें, ईंटों पर लगने वाली मोहर की डाई सहित अन्य औजार व हथियार बरामद किए.
राजस्थान व हरियाणा सीमा पर बसे कस्बे पुनहाना और जुरहरा के अधिकांश लोग पीतल की ईंटें बना कर आसपास के गांवों में रहने वाले टटलूबाज गिरोहों के सदस्यों को सप्लाई करते हैं और खुद भी बेचने का काम करते हैं. उन्होंने अपने घरों में ही नकली ईंट बनाने की भट्टियां लगा रखी हैं. इन लोगों के पास प्राचीन काल की सोने की ईंटों पर लगाने वाली मोहरें हैं, जो ईंट बनाते समय लगा दी जाती है, ताकि लोगों को लगे कि यह सोने की ईंट बहुत पुरानी है और खुदाई में मिली है.
गामड़ी गांव में सब से ज्यादा टटलू रहते हैं. इस गांव की आबादी करीब 5 सौ है. इन में से अधिकांश लोग नकली सोने की ईंटें बेचने का काम करते हैं. इस के अलावा कुंदन का नगला, बुआपुर गढ़ी, सीमाधरा, छीछरवाड़ी, रसूलपुर आदि गांव के अधिकांश लोग भी इसी धंधे से जुड़े हैं. मेवात जिले के गांव रूपड़ाका, कोट, उटावड़ व आलीमेव में टटलूबाजों के पूरे गैंग बने हुए हैं.
टटलूबाजी में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना थाने का गांव हाथिया बहुत बदनाम है. लगातार बदनाम हो रहे इस गांव की साख को बचाने के लिए पिछले साल ग्रामीण खुद आगे आए थे. गांव जरैला नंगला में उन्होंने एक बैरियर लगाया है. हाथिया जाने वाले हर बाहरी व्यक्ति को रोक कर वह उस से पूछताछ करते हैं. गांव में वह किस से मिलने आया है और मिलने की वजह क्या है, साथ ही वह उस व्यक्ति को टटलूबाजों की ठगी की वारदातों की जानकारी दे कर सचेत भी करते हैं.
इन टटलूबाजों की वजह से गांव की जो बदनामी हो रही है, उस से बच्चों की शादी करने में भी परेशानी आती है. नकली सोने की ईंट बेचने के अलावा इन टटलूबाजों ने स्क्रैप बेचने के नाम पर बड़े व्यापारियों को बुला कर भी ठगा है. इस के अलावा जनरेटर लगवाने व बेचने, मोबाइल फोन टावर लगवाने के नाम पर भी इन्होंने लोगों को लूटा है. कई व्यापारियों को बुला कर उन का अपहरण कर उन के परिजनों से इन्होंने फिरौती भी वसूली है.
इस गांव में पुलिस पर भी हमले होते रहे हैं. आगरा की क्राइम ब्रांच की टीम पर यहां फायरिंग की गई थी. इस में एक कांस्टेबल सतीश परिहार की मौत भी हो गई थी. राजस्थान व हरियाणा पुलिस पर भी दबिश के दौरान हमले हुए हैं. गांव में गैंगवार भी चलती रहती है. ओएलएक्स पर सोने के बिस्कुट सस्ते दामों पर बेचने के नाम पर मैनपुरी के 3 सर्राफा व्यापारियों को मथुरा बुला कर लूट लिया गया था. बदलते समय को देखते हुए इन लोगों ने भी ठगी के अपने तरीके को बदल दिया है. अब इन्होंने इंटरनेट को ठगी का जरिया बना लिया है.