नवाजुद्दीन सिद्दीकी बौलीवुड में 90 के दशक में पदार्पण कर चुके थे लेकिन छोटीमोटी भूमिकाओं तक सिमटे रहे. नवाज 10-15 साल गुमनामी में ही रहे. संघर्ष करतेकरते आमिर खान की फिल्म ‘सरफरोश’ और ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ में चंद सैकंड के दृश्यों के अलावा इन के हाथ कुछ नहीं लगा. इस की कई वजहें रही होंगी. पहली कि जिस तरह का सिनेमा नवाज आजकल कर रहे हैं, उस दौरान उस तरह की फिल्मों के लिए न तो दर्शक थे और न ही बाजार. जाहिर है नवाज चौकलेटी हीरो के रोल तो कर नहीं सकते थे, लिहाजा उन दिनों उन का सफल होना मुश्किल ही था. उन के लुक और उन की अभिनय शैली तो आज भी उन्हें मेन स्ट्रीम का चौकलेटी हीरो नहीं बनने देगी. यह उन की सीमित प्रतिभा का भी परिचायक है और उन की कदकाठी व चेहरामोहरा भी इस में रुकावट डालता है. वे एक बेहतर कलाकार तो बन सकते हैं लेकिन पारंपरिक हीरो बन कर अभिनेत्रियों से रोमांस करना भी उन के लिए असहज है

हालांकि आज जिस प्रयोगधर्मी दौर में बौलीवुड गुजर रहा है, उस की बदौलत नवाज सफल हैं लेकिन अपने कंधे पर किसी भी फिल्म को सफल करा पाना उन के बस की बात नहीं. 100-200 करोड़ रुपए कमाना तो दूर की कौड़ी है. उन की लीड भूमिका की लगभग सभी फिल्में औसत बिजनैस कर पाई हैं फिर चाहे वह फिल्म ‘आत्मा’ हो या ‘मांझी द माउंटेन मैन’. बाकी बड़े सितारों के साथ ‘बदलापुर’ और ‘बजरंगी भाईजान’ व ‘किक’ जैसी फिल्में सफल हुईं तो सलमान खान और वरुण धवन की बदौलत. हरहाल, फिल्म ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ से चर्चित हुए अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. वे एक ट्रैंड ऐक्टर हैं, उन्हें फिल्मों में आने का कोई खास शौक नहीं था. वे दिल्ली में नैशनल स्कूल औफ ड्रामा से प्रशिक्षण ले कर थिएटर में अभिनय करते थे. करीब 3 साल थिएटर में काम करने के बाद भी उन्हें अधिक पैसा नहीं मिला तो उन्होंने दोस्तों की सलाह पर मुंबई आने की ठान ली. यहां आने पर उन्हें लगा कि आसानी से काम मिल जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ. उन्हें लंबे संघर्ष से गुजरना पड़ा.नवाजुद्दीन उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना गांव के हैं. 9 भाईबहनों में सब से बड़े होने की वजह से परिवार का दायित्व उन पर था. जब वे गांव से निकले तो परिवार वालों को लगा कि वे अच्छा काम कर परिवार को सहारा देंगे. पर यह हो नहीं पा रहा था. वे कहते हैं कि परिवार वाले अनपढ़ हैं, अत: उन्हें समझाने की जरूरत नहीं पड़ी. उन्हें लगा कि यह जो भी कर रहा है अच्छा ही होगा. गांव से तो अच्छा ही कमा लेगा.

नवाज का कहना है, ‘‘पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं ने बड़ौदा में भी कुछ दिनों तक चीफ कैमिस्ट का काम किया. उस के बाद दिल्ली आया और नैशनल स्कूल औफ ड्रामा से प्रशिक्षण लेने के बाद अभिनय को अपना कैरियर बनाया. दिल्ली में थिएटर करते हुए मैं ने चौकीदारी का भी काम किया. मैं किसी भी काम को गलत नहीं समझता जब तक कि उस में मेहनत जुड़ी हो.’’नवाजुद्दीन अपनेआप को अब भी स्ट्रगलर ही मानते हैं. पहले काम न मिलने का संघर्ष, अब अच्छा काम मिलने का संघर्ष. इस तरह उन की खोज हमेशा जारी रहती है. वे भावुक हो कर कहते हैं, ‘‘मैं हमेशा कोशिश जारी रखता हूं. जब तक कि मुझे मनचाही चीज मिलती नहीं. छोटीछोटी भूमिका कर के ही आज मैं यहां तक पहुंचा हूं. कई बार ऐसा हुआ कि किसी बड़ी फिल्म में हीरो का रोल मिला. मैं खुश हुआ कि चलो मुझे बे्रक मिल गया. मेरे कौस्ट्यूम तक तैयार हो गए थे मगर अंत में मुझे बताए बिना ही फिल्म से निकाल दिया गया. मुझे बहुत बुरा लगा पर मैं ने हिम्मत नहीं हारी. ‘मांझी द माउंटेन मैन’ के दौरान जब एक सीन में बारबार हथौड़ा मारने पर भी पहाड़ नहीं टूटता, तब मैं पागलों की तरह पत्थर पर बारबार वार करता. उस सीन ने मुझे अपने पुराने दिनों में मिले रिजैक्शन की याद दिलाई. मैं भावुक हो उठा था.’’

फिल्मों के बदलते ट्रैंड के बारे में नवाजुद्दीन को काफी खुशी है. उन का कहना है, ‘‘बिना गौडफादर के कलाकारों को भी आगे आने का अब मौका मिल रहा है. उन की फिल्में हिट भी हो रही हैं.’’उन का यह भी कहना है, ‘‘बड़े बजट की फिल्मों में कहानी नहीं होती. बड़ी ‘स्टारकास्ट’ होती है. किसी ने किसी को एक लात मार दी, सब उड़ गए, एक आदमी 10 कारें लात मार कर गिरा देता है. ये बच्चों की कहानी है, वे ही खुश होते हैं, बाकी दर्शकगण नहीं. ऐसी फिल्में मैच्योर और स्वस्थ माइंड की नहीं होतीं. इन फिल्मों पर बुरी तरह से पैसा बहाया जाता है. अब यह दौर थम रहा है. दर्शक समझदार हो चुके हैं. वे भी अच्छी फिल्में देखना चाहते हैं.’’

नवाजुद्दीन ने टिपिकल हीरो के बजाय चरित्रप्रधान फिल्मों में अधिक काम किया. इस की वजह बताते हुए वे कहते हैं, ‘‘मुझे हीरो या विलेन जैसे दो शब्दों में कोई रुचि नहीं. मैं एक ऐक्टर हूं और हर तरह के रोल निभाना चाहता हूं. फिर चाहे वह भिखारी का रोल हो या कैदी का. आज के दर्शकों की पसंद बदल चुकी है. वे हमेशा अलग फिल्म देखने की इच्छा रखते हैं. मैं भी वैसी ही कहानी तलाश करता हूं जिस में कुछ नई और अलग भूमिका हो. ‘बजरंगी भाईजान’ के कई दृश्य ऐसे थे जिन में सलमान ने अच्छीअच्छी पंचलाइन दीं. कम भूमिका होने के बावजूद लोगों ने मुझे याद रखा. फिल्म ‘रईस’ में एक बार फिर मैं अलग दिखूंगा. मैं सोचता हूं कि जो भी भूमिका मुझे मिले उस में मैं सब से अच्छा परफौर्मेंस दूं ताकि फिल्मकार मुझे उस काबिल समझें. ‘मांझी द माउंटेनमैन’ जैसी फिल्मों का मिलना मेरे कैरियर में अहम पड़ाव है.’’

इतनी सारी सफल फिल्मों के बाद भी नवाजुद्दीन अपनेआप को सफल नहीं मानते. उन के जीवन का टर्निंग पौइंट फिल्म ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ थी जो उन्हें 10 साल की मेहनत के बाद मिली थी. वे 10 साल अभी भी उन्हें याद आते हैं जब एक कमरे में 5-5 लोग साथ रहते थे. वे कहते हैं, ‘‘उस समय पैसे की किल्लत रहती थी. जब पैसे की कमी पड़ी तो एक से उधार ले लिया, उसे चुका नहीं पाया, तो दूसरे से ले कर उसे चुकाया, इस तरह सालों चलता रहा. एक मजदूर और टीचर से बहुत प्रभावित रहा हूं. जो हमेशा काम करते रहते हैं, प्रसिद्धि से उन का कोई सरोकार नहीं. जिंदगी में सिर्फ काम करना है. मैं भी सफलता को मानने के बजाय काम करने में यकीन करता हूं. मैं मैटीरियलिस्टिक नहीं. दमदार रोल में विश्वास रखता हूं. मैं सफलता को अपने परिवार के साथ मनाता हूं. मैं उन की सुरक्षा के लिए सोचता हूं और चाहता हूं कि मैं अपने बच्चों को पढ़ालिखा कर अच्छा इंसान बना सकूं.’’नवाजुद्दीन को बनावटी लोग पसंद नहीं. वे जिस ईमानदारी से काम करते हैं उसी ईमानदारी की अगले से भी अपेक्षा रखते हैं.

नवाजुद्दीन की आने वाली फिल्मों में ‘रईस’, ‘गवाह’, ‘फर्जी’, ‘केरला’ आदि हैं. वे कहते हैं, ‘‘ऐक्टर के तौर पर मेरा काम हमेशा बेहतर होना चाहिए. जब मैं सैट पर होता हूं तो यह नहीं सोचता कि किस के साथ काम कर रहा हूं, वरना मेरी ऐक्टिंग ठीक नहीं होगी. अभी अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर पा कर खुशी महसूस कर रहा हूं. क्योंकि ऐसा सुनने में आया है कि उन्होंने ‘केरला’ फिल्म के निर्देशक से कहा है कि वे मुझ से बात करें. उन्हें मेरी फिल्म ‘मांझी द माउंटेनमैन’ बहुत पसंद आई है.’’इस में शक नहीं कि विद्या बालन, सलमान खान, शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म मिलने की खबर ने नवाज को सफलता की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है.उम्मीद की जा सकती है कि नवाजुद्दीन का नाम एक दिन बौलीवुड की महान हस्तियों में शुमार हो जाएगा. 

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