खत जो तुम ने लिखा नहीं होता
जख्म दिल का हरा नहीं होता
अपनाअपना खयाल है लेकिन
दर्द, दिल की दवा नहीं होता
++तू ने चाहा नहीं मुझे वरना
इस जमाने में क्या नहीं होता
बेखबर तुम रहो, परेशां हम
यूं कोई सिलसिला नहीं होता
दाग ही दाग जो दिखाए वो
आईनाआईना नहीं होता
सब हैं हालात के फरेब ‘आलोक’
कोई खोटा, खरा नहीं होता.
– आलोक यादव
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