कसम जिंदगी की यह मेरी चाहत

तेरी मुहब्बत से कम न होगी

तेरी चाहत की रंगीन दुनिया

मेरी इबादत भी कम न होगी

लिखी है दिल पर गमों की दस्तक

खुशी की आहट से कम न होगी

बहुत हैं रोए बहुत हैं तड़पे

कहानी अब ये बयां न होगी

आंखों में नींदें न नीदों में सपने

देखें कि कब तक सुबह न होगी

मिले न मुझ को मैं जिस को ढूंढूं

मेरी तलाशें कभी कम न होंगी

खुशी की महफिल से हम को उठ कर

गमों की महफिल सजानी होगी

सुबह न होगी अब जिंदगी में

रातों को करवटें बदलनी होंगी

मैं सो रही हूं यादों में तेरी

नीदों में मेरी खलिश न होगी.

– रीता अत्रीय

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